पढ़ें- त्रेता युग से चली आ रही थी ये परंपरा, इस साल हो गई खंडित

श्रीराम जानकी विवाहोत्सव पर नेपाल के जनकपुर में निकलने वाली बरात सह शोभा यात्रा बुधवार को मधेशी आंदोलन की भेंट चढ़ गई। पुराणों के अनुसार त्रेता युग से चली आ रही एक ऐतिहासिक परंपरा थम गई।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Thu, 17 Dec 2015 08:00 AM (IST) Updated:Thu, 17 Dec 2015 01:51 PM (IST)
पढ़ें- त्रेता युग से चली आ रही थी ये परंपरा, इस साल हो गई खंडित

जेएनएन, सीतामढ़ी। श्रीराम जानकी विवाहोत्सव पर नेपाल के जनकपुर में निकलने वाली बरात सह शोभा यात्रा बुधवार को मधेशी आंदोलन की भेंट चढ़ गई। दोपहर एक बजे श्रीराम की बरात सहित डोला राम मंदिर से व दो बजे जानकी मंदिर से निकल कर ऐतिहासिक बारहबीघा मैदान पहुंचनी थी।

यहां स्वयंवर होना था। लेकिन, राष्ट्रपति के दौरे कों लेकर अवधि एक घंटे बढ़ा दी गई। इसी बीच हमला हो गया। न तो बरात निकली और न स्वयंवर हो सका। आनन-फानन में विवाह की रस्म अदा कर दी गई।

पुराणों के अनुसार त्रेता युग से चली आ रही एक ऐतिहासिक परंपरा थम गई। हिंसा के कारण धार्मिक व आध्यात्मिक नगरी तथा मिथिला नरेश राजा जनक की राजधानी रही जनकपुर खून के रंग में रंग गई।

नेपाली राष्ट्रपति दौरे की सूचना से लोग भड़क गए। विभिन्न संगठनों के नेता व कार्यकर्ता सड़क पर उतर गए। हाथों में काला झंडा लेकर सड़क के दोनों किनारे पर खड़े होकर नारेबाजी करने लगे।

हालात देख नेपाली सेना ने मंदिर व आसपास के इलाके को कब्जे में ले लिया। कड़ी सुरक्षा के बीच राष्ट्रपति मंदिर में दाखिल हुई। इस दौरान मंदिर में भारत व नेपाल समेत अन्य देशों के करीब तीन हजार श्रद्धालु थे।

महंत ने राष्ट्रपति का स्वागत किया। सुरक्षा कर्मियों के कहने पर पांच मिनट में ही राष्ट्रपति ने पूजा अर्चना कर ली। यहां से बाहर निकलते ही माहौल बिगड़ गया। स्थिति विस्फोटक हो गई। मंदिर परिसर संगीनों के साये में है।

मंदिर में तमाम आयोजन रोक दिए गए हैं। राष्ट्रपति के साथ आए सुरक्षा कर्मियों के जूता पहन कर व हाथ में आम्र्स लेकर मंदिर में घुसने से आक्रोश बढ़ा। लोग बार - बार जूते उतारने की बात कह रहे थे। लेकिन, सुरक्षा कर्मी नहीं माने।

chat bot
आपका साथी