फसल अवशेष अब दर्द नहीं दवा, कृषि भूमि को मिलेगी मजबूती

डुमरा प्रखंड के मुरादपुर स्थित संयुक्त किसान भवन के पीछे बीज गुणन प्रक्षेत्र में शुक्रवार को फसल अवशेष की समस्या से निजात को लेकर हैपी सीडर मशीन की कार्य प्रणाली से किसानों को अवगत कराया गया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Dec 2019 12:31 AM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 06:14 AM (IST)
फसल अवशेष अब दर्द नहीं दवा, कृषि भूमि को मिलेगी मजबूती
फसल अवशेष अब दर्द नहीं दवा, कृषि भूमि को मिलेगी मजबूती

सीतामढ़ी। डुमरा प्रखंड के मुरादपुर स्थित संयुक्त किसान भवन के पीछे बीज गुणन प्रक्षेत्र में शुक्रवार को फसल अवशेष की समस्या से निजात को लेकर हैपी सीडर मशीन की कार्य प्रणाली से किसानों को अवगत कराया गया। प्रत्यक्षण कार्यक्रम में विभिन्न प्रखंडों से पहुंचे किसानों को इस मशीन के द्वारा धान के पौधों को काटने के तुरंत बाद बिना खेत की जुताई किए ही किसानों को गेहूं की खेती करने के बारे बताया गया। जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव ने बताया कि इस मशीन से धान के अवशेष(पुआल)को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटते हुए खेत में हीं मिला दिया जाता है। जो बाद में कार्बनिक खाद में रूपांतरित हो जाती है। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति में वृद्धि होती है। इससे साथ ही इस मशीन में दो बॉक्स होता है। एक में उर्वरक एवं दूसरे में बीज रखा जाता है। दोनों की बॉक्स में मात्रा निर्धारण करने का प्रावधान है। जिसे मशीन चलाने से पहले सेट कर लिया जाता है। इससे खेत में समान रूप से बीज की बुआई भी हो जाती है। मशीन की कीमत करीब 1 लाख 75 हजार है तथा इसके खरीदारी पर सामान्य वर्ग के किसान को अधिकतम एक लाख दस हजार अथवा 75 फीसद तथा अनुसूचित व अत्यंत पिछड़ा वर्ग के किसान को अधिकतम एक लाख 20 हजार अथवा 80 फीसद अनुदान दिया जाता है। इस मशीन से फसल अवशेष जलाकर वायुमंडल को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है साथ ही बीज बुआई की लागत भी कम होती है। मजदूर की जरूरत नहीं के बराबर है। जिला में सर्वप्रथम इसे सोनबरसा प्रखंड स्थित नरकटिया गांव निवासी मनोज कुमार यादव ने लाया है। पदाधिकारी ने सभी किसानों को कम लागत में बुआई करने तथा वायुमंडल को प्रदूषण से बचाने के लिए इस मशीन के उपयोग की अपील की। मौके पर परियोजना निदेशक आत्मा देवेंद्र सिंह, सहायक जिला कृषि पदाधिकारी एनके दास, आलोक कुमार के अलावा कृषि समन्वयक, किसान सलाहकार, किसान व कर्मी मौजूद थे।

हैपी सीडर से फसल अवशेष की समस्या से मिलेगी निजात

फसल अवशेष की समस्या देश में विकराल रूप धारण कर चुकी है। किसानों के पास इससे निजात पाने के जलाने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। लेकिन हैपी सीडर मशीन इस समस्या का विकल्प बनकर सामने आया है। जिला में सर्वप्रथम इस मशीन को लाने वाला शिक्षित किसान मनोज कुमार यादव ने उक्त बाते कहीं। मनोज दिल्ली से बीएससी एजी करके गांव में ही खेती कर रहा है। विभिन्न स्थानों से फसल अवशेष के जलाने से हो रहे प्रदूषण को लेकर वह भी परेशान था। बताया कि इसे लेकर वह जिला कृषि पदाधिकारी अनिल कुमार यादव व कृषि समन्वयक आलोक कुमार से मिल कर इससे निजात का रास्ता पूछा। इसके साथ ही नेट पर भी सर्च करते रहे। पदाधिकारी के सलाह पर उन्होंने इसकी खरीदारी की। बताया कि वे अपनी खेती करने के साथ ही अन्य किसानों की भी बुआई कर रहे हैं। एक एकड़ की बोआई में डेढ़ से दो घंटा समय लगता है तथा उन्हें इसके लिए 12 सौ रुपये प्रति एकड़ मिलता है। मशीन से उन्हें कई प्रकार का फायदा है तथा उन्हें संतोष है कि उन्हें अब फसल अवशेष जलाने जरूरत नहीं है, जिससे वायुमंडल प्रदूषित होता है। साथ ही फसल अवशेष भी कार्बनिक खाद बन कर खेत को मजबूती दे रहा है। जो फसल अवशेष पहले दर्द बना था अब दवा बन चुकी है।

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