गर्दिश में हूं या आसमान का तारा हूं ..
रामकथा के दौरान मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने जीवन जीने का फलसफा भी बताया। उन्होंने कहा कि जीवन जीना है तो मस्ती में रहो, बहते रहो।
सीतामढ़ी । रामकथा के दौरान मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने जीवन जीने का फलसफा भी बताया। उन्होंने कहा कि जीवन जीना है तो मस्ती में रहो, बहते रहो। एक मशहूर फिल्म का गीत आवार हूं, गर्दिश में हूं या आसमान का तारा हूं आवारा हूं, के माध्यम से कहा कि जीने की मस्ती इसे में है। साथ ही कहा कि आवारा का मतलब निसंगता। डिस्टेंस बनाए रखो तभी जीवन सही ढंग से जी पाओगे। फिर कहा कि जिस तरह मकान के नीचे खंभे रहते हैं लेकिन सभी के बीच दूरी रहती है। दूरी बनी रहती है तो छत सही है सुरक्षित है। सभी खंभे अगर एक जगह हो जाए तो छत गिर जाएगा। इसी तरह घर हो या समाज सभी की सीमाएं हैं, सभी की अपनी दूरी है। माता-पिता, भाई-बहन सभी के बीच एक दूरी है एक नियम है। एक आचार है एक विचार है। इस सबके बीच संतुलन जरूरी है। इसे नहीं चाहिए। संतुलन बनाए रखने से ही जीवन की राह आसान होगी। जीवन आनंदमय होगा।
विज्ञान का सदुपयोग करें, दुरुपयोग करें
सीतामढ़ी : रामकथा के दौरान मोरारी बापू ने विज्ञान का सदुपयोग करने की सलाह भी दी। कहा विज्ञान वरदान है लेकिन इसका गलत उपयोग विनाश की ओर ले जाता है। उन्होंने हर समय मोबाइल पर उलझे रहने वालों को कहा कि इसका ज्यादा उपयोग दिमाग बिगाड़ेगा। एक समय निश्चित कर लो उसी समय मोबाइल का उपयोग करो। इंटरनेट का उपयोग करो। हर समय इससे लगे रहना ठीक नहीं। इससे संतति बचाने की जरूरत है। सत्संग में जाए, भजन का कोई विकल्प नहीं। इंज्वाय करो लेकिन ऐसा इंज्वाय न करो जिससे चित बिगड़ जाए। जीवन ऐसा जीना कि कोई बुद्ध पुरुष भी तुम्हें याद करे। कहा की तुम बेहतर करोगे तो कोई जीभ से मुंह से सराहना के बोल न बोले तो यह मत समझना कि उसे अच्छा नहीं लगा। वह हृदय से तुम्हारी सराहना की होगी। क्योंकि मुंह और जीभ का क्या वह तो कभी भी बदल सकती है। सराहना कई बार प्रगति को बाधित कर देती है। यही वजह है कि महापुरुष जल्द सराहना नहीं करते। क्योंकि सरहाना प्रगति को बाधित कर देती है। इसलिए महापरुष सराहना के बोल न बोले तो यह मत समझना कि उन्होंने सराहा नहीं।
रामकथा करता है वाइपर का काम
सीतामढ़ी: रामकथा के दौरान मोरारी बापू ने टीवी पर इन दिनों आने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के बारे में कहा कि बच्चों को इससे दूर रखने की जरूरत है। यह चित को विकृत कर सकती है। यह तो अच्छा है कि उसी टीवी पर रामकथा भी चलती है। जो विकृत होती टीवी संस्कृति को बीच-बीच में साफ करती रहती है। रामकथा वाइपर का काम करती है। टीवी स्क्रीन को साफ कर देता है।