तटबंध मरम्मत कार्य अधूरा, इस साल भी बाढ़ की आशंका

प्राकृतिक आपदा का मतलब बाढ़। यह हर साल कहर बनकर आती रही है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 23 Jun 2018 12:21 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jun 2018 12:21 AM (IST)
तटबंध मरम्मत कार्य अधूरा, इस साल भी बाढ़ की आशंका
तटबंध मरम्मत कार्य अधूरा, इस साल भी बाढ़ की आशंका

सीतामढ़ी। प्राकृतिक आपदा का मतलब बाढ़। यह हर साल कहर बनकर आती रही है। पिछले साल इसकी विनाशलीला याद कर आज भी लोग सिहर उठते हैं। नदी की धारा को रोकने के लिए वैसे तो हर वर्ष पानी की तरह पैसे बहाए जाते हैं। लेकिन दशकों से जगह-जगह जर्जर बांध की सुधि समय पर कोई नहीं लेता। पिछले साल भी एक दर्जन से अधिक स्थानों पर जर्जर बांध टूटकर जब तबाही मचाई थी तब प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों द्वारा बाढ़ बाद निदान की बात कही गई। लेकिन, समय से काम शुरू नहीं हुआ। इधर, जिला प्रशासन की सक्रियता के बाद कुछ दिनों पूर्व बांध की मरम्मत का काम शुरू हुआ और कई स्थानों पर टूटे बांध की मरम्मत भी हुई। बावजूद अभी भी बांध कई स्थानों पर जर्जर हैं तो कहीं मनरेगा से शुरू काम का डेडलाइन समाप्त हो जाने के कारण तटबंध की मरम्मत का कार्य आधा अधूरा पड़ा है। ऐसे में इस बार भी बाढ़ से तबाही तय है। कई स्थानों पर जर्जर बांध से खतरा : नेपाल से निकलकर प्रखंड से गुजरने वाली अधवारा समूह की मरहा, बुधनद आदि नदी कभी इलाके के लिए जीवनदायनी कहलाती थी। इसके पानी से ¨सचाई के अलावे लोग रोजमर्रा का काम किया करते थे। लेकिन सिस्टम की लापरवाही से नदी नहर का रूप ले ली। कभी उड़ाही और बांध की मरम्मत नहीं होने के कारण नदी पानी एकत्र रखने में सक्षम हो गई। अब लोगों के लिए यह नदी अभिशाप साबित हो रही है। प्रत्येक वर्ष जब बारिश में नदी उफान पर होती है तो कहीं न कहीं बांध पानी के दबाव से टूट जाता है और भारी तबाही मचती है। यह सिलसिला एक दशक से अधिक समय से जारी है। पिछले वर्ष आई प्रलयंकारी बाढ़ में टूटे व जर्जर बांध मरम्मत के अभाव में मुहं बाए खड़ी है। इस बार मरम्मती में टूटे स्थानों को भरने के कार्य को महत्व तो दिया गया। लेकिन, बांध टूटने की सबसे बड़ी वजह बड़े-बड़े गड्ढे, मांद, चूहों का सुराग ही नही जर्जर, ऊंचाई कम और कमजोर रहना है जो आज भी सुरसा की तरह मुंह बाए खड़ी है। भले ही मानसून आने में देर है लेकिन संभावित बाढ़ आने पर किसी खतरे को देख अभी से ही भयभीत नजर आने लगे है।

सीमावर्ती जिलों में भी मचती तबाही : हरिहरपुर पंचायत से गुजरने वली मरहा नदी का बिररबा बांध। पिछले साल आधा दर्जन से अधिक स्थानों पर टूटकर तांडव मचाया था। इस बांध के टूटने से लाखों की आबादी प्रभावित होती है। इस बार मनरेगा से बांध मरम्मत का कार्य शुरू हुआ। बाढ़ में टूटे भाग को भर दिया गया। शेष काम 15 जून का डेडलाइन के चक्कर में अधूरा रह गया। अभी भी थलही से धर्मपुर तक काफी नीचे हो चुके बांध के ऊंचीकरण का कार्य नहीं हो सका। जो नदी के ओवर फ्लो के कारण बांध टूटने व बाढ़ का खतरा मंडरा ही रहा है। इसी तरह

भिट्ठा धर्मपुर पंचायत के धर्मपुर, भकुरोहिया व डुम्हारपट्टी के उतरी भाग में मारहा नदी के दक्षिण भाग में पूर्व काल से निर्मित सुरक्षा बांध जो कि बिररबा नाम से प्रसिद्ध है पिछले साल की प्रलयंकारी बाढ़ के पानी ने उक्त गांवों के कई स्थानों पर बुरी तरह से क्षतिग्रस्त यह बांध को अभी तक दुरुस्त नहीं किया गया है। हालांकि पंचायत द्वारा मनरेगा योजना से कई जगहों पर हल्के-फुल्के क्षतिग्रस्त भूभाग को फिर से मिट्टी भरकर ठीक किया गया है। परंतु यदि अभी भी वंचित भूभाग का निर्माण नहीं कराया गया तो पंचायत के साथ रामनगर बेदौल, बररी बेहटा, बौरा वाजितपुर पंचायत ही नहीं सीमावर्ती सहसपुर, विशनपुर आदि पंचायत के दर्जनों गांवों में भंयकर तबाही का खतरा बना रहना लाजिमी है। कहते हैं अधिकारी : प्रभारी बीडीओ सह सीओ लवकेश कुमार से इस बाबत पूछने पर बताया कि अभी पिछले साल आई बाढ़ में तटबंध के टूटे स्थानों का कार्य हो रहा है। इसके अलावा अन्य समस्या को भी जल्द ही ठीक करा दिया जाएगा।

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