घाटों पर गूंजते रहे छठी माता के गीत

केरवा के पात पर उगलिन सूरज देव झांके-झुके जैसे छठ गीतों के बीच शनिवार की सुबह पुपरी अनुमंडल के विभिन्न तालाब व नदी के घाटों पर जुटे श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को पूरी श्रद्धा से अ‌र्ध्य दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Nov 2020 01:01 AM (IST) Updated:Sun, 22 Nov 2020 01:01 AM (IST)
घाटों पर गूंजते रहे छठी माता के गीत
घाटों पर गूंजते रहे छठी माता के गीत

सीतामढ़ी। केरवा के पात पर उगलिन सूरज देव झांके-झुके, जैसे छठ गीतों के बीच शनिवार की सुबह पुपरी अनुमंडल के विभिन्न तालाब व नदी के घाटों पर जुटे श्रद्धालुओं ने उदीयमान सूर्य को पूरी श्रद्धा से अ‌र्ध्य दिया। इसके साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व पुरे हर्षोल्लास के बीच संपन्न हो गया। राग-द्वेष, ऊंच- नीच और जातपात को भूलकर छठ घाटो पर जूटा श्रद्धालुओं के सैलाब ने आपसी समरसता का परिचय दिया। उदयीमान सूर्य के इंतजार में काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरी रात नदी व तालाब घाटो पर गुजारा। छठ मइया के गीतों ने पुरी रात उनलोगों का उत्साह बरकरार रखा। अहले सुबह लोगो के घरों में भी चहल-पहल बढ़ गई। अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्ध्य घर लौटी व्रतियों ने अहले सुबह नहा धोकर विभिन्न छठ घाटों की ओर जाना शुरू कर दिया। शहर के बुधनद नदी, भूलन चौक, प्रखंड कार्यालय, मिट्ठा हाट, झझिहट स्थित तालाबो से लेकर हरदिया, रामपुर, पचासी, गंगापट्टी समेत अन्य घाटो पर उमड़ी भीड़ छठ मइया के प्रति उनकी असीम आस्था का परिचायक था। जैसे-जैसे सूर्य देव के उगने का समय नजदीक आता गया, उनके दर्शन के लिए व्रतियों की बेतावी बढ़ती गई। ''''उग हे सूर्य देव, आइल अ‌र्ध्य के बेर,'''' गीत के बीच सात बजे बाद पूर्व दिशा में लाली देखते ही पानी मे उतरी व्रतियों का उत्साह देखते ही बनता था। उनकी नजर उस दिशा में टिकी रही। अंधेरे व कुहासे को चीरते हुए उदयीमान सूर्य के रोशनी बिखेरते व्रतियों ने पूरी श्रद्धा से उन्हें अ‌र्ध्य दिया। इसमें पूर्व शुक्रवार की शाम श्रद्धालुओ ने पूरी आस्था के साथ अस्ताचलगामी सूर्य को अ‌र्ध्य दिया। कई स्थानों पर घाटों की ओर जाने वाले रास्ते के दोनों ओर चुना से लाइनिग दी गई थी। कोई कंधे पर प्रसाद का देउरा लेकर चल रहा था तो कोई ठेला पर दउरा लाद छठ घाट पहुंचे।

घाट पर डाला रखकर भक्ति गीतों से करते हैं जागरण

पुपरी, संस : नदी घाटो पर संध्याकालीन अ‌र्ध्यदान के साथ ही डाला वहीं रखकर जागरण की प्रथा बढ़ती जा रही है। घाटो पर जागरण में जहां भक्ति गीतों से रात गुजार देते हैं। कुछ लोग ताश व अन्य खेल खेलकर मनोरंजन करते है। इस साल तो इसमें अप्रत्याशित इजाफा देखा गया। शहर स्थित बुधनद नदी घाट से लेकर ग्रामीण इलाके के तालाब व नदी घाटों पर काफी संख्या में व्रतियों द्वारा रात भर डाला रखने की व्यवस्था की गई थी। हरदिया पंचायत के पचासी घाट पर प्रोजेक्टर पर भक्ति गीत सुन श्रद्धालुओं ने समय बिताया। वही, बिक्रमपुर समेत अन्य स्थानों पर भी डाला रख रात्रि जागरण के लिए टीवी आदि कार्यक्रम की व्यवस्था रही। ऐसे श्रद्धालुओं का कहना है कि डाला ले जाने व लाने में दूरदराज बाले को परेशानी होती है। लिहाजा जागरण नदी घाटो के साथ तालाबो में शुरू है। अब तो दूरदराज ही नहीं, घर के पास स्थित तालाब घाटों पर रात्रि जागरण के साथ डाला रखा जाने लगा है।

chat bot
आपका साथी