नाशमुक्ति केंद्र में आनेवालों में युवाओं की संख्या अधिक

शेखपुरा। शराबबंदी के तहत जिले में स्थापित नशामुक्ति केंद्र पर जितने लोग पहुंच रहे हैं उसमें युवाओं की संख्या दो-तिहाई से अधिक है। जिले के नशामुक्ति केंद्र पर अब तक 123 लोग पहुंच चुके हैं जिनमें 20 से 30 साल की आयु के 76 लोग हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 19 Feb 2021 11:16 PM (IST) Updated:Fri, 19 Feb 2021 11:16 PM (IST)
नाशमुक्ति केंद्र में आनेवालों में युवाओं की संख्या अधिक
नाशमुक्ति केंद्र में आनेवालों में युवाओं की संख्या अधिक

शेखपुरा। शराबबंदी के तहत जिले में स्थापित नशामुक्ति केंद्र पर जितने लोग पहुंच रहे हैं, उसमें युवाओं की संख्या दो-तिहाई से अधिक है। जिले के नशामुक्ति केंद्र पर अब तक 123 लोग पहुंच चुके हैं, जिनमें 20 से 30 साल की आयु के 76 लोग हैं। नशा मुक्ति केंद्र पर आने वालों में एक की मौत भी हुई है। इसके अलावा एक को यहां से पटना रेफर करना पड़ा है। 65 लोगों को परामर्श के बाद घर भेज दिया गया। वहीं, 59 लोगों को वार्ड में भर्ती करके उसका इलाज किया गया है। अब तक जो भी 123 लोग इस केंद्र पर आए हैं उसमें 95 फीसद लोग शराब का नशा लेने वाले थे।

10 बेड का स्पेशल वार्ड :

सदर अस्पताल में 10 बेड का स्पेशल नशामुक्ति वार्ड बनाया गया है। नशामुक्ति केंद्र के प्रभारी तथा सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. वीरेंद्र कुमार ने बताया कि यहां एक चिकित्सक तथा दो नर्स के साथ आठ सहायक तैनात हैं। यहां हर महीने औसतन तीन रोगी आते हैं। इसमें कई लोगों का इलाज 10 से 12 दिनों तक रखकर किया गया है। यहां से मुक्त होने वालों को तीन से चार महीने तक घर पर रखकर दवा खिलाई जाती है। यह विशेष दवा नशा की आदत को छुड़ाने का काम करता है। पिछले दो सप्ताह से केंद्र पर कोई नया रोगी नहीं आया है। यहां आने वाले 95 फीसद लोग शराब के नशे से पीड़ित रहते हैं।

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विक्षिप्त होने से बचाता है इलाज : आदतन नशेबाज को अगर अचानक शराब मिलना बंद हो जाये तो इसका असर सीधे दिमाग पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को शराब से दूर रखने के लिए नशामुक्ति केंद्र की मदद काफी कारगर ही होती है। केंद्र प्रभारी डॉ. वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि अचानक शराब नहीं मिलने पर व्यक्ति मानसिक रूप से विक्षिप्त हो सकता है। ऐसे में केंद्र पर ऐसे लोगों को दवा के साथ परामर्श देकर इस स्थिति से निकाला जाता है।

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