धड़ल्ले से हो रहा सफेद पानी का काला कारोबार, प्रशासन है बेखबर

शेखपुरा। जिले में शहर से लेकर गांव तक फिल्टर पानी के रूप में सफेद पानी का काला कारोबार किया जा रहा है। जिला प्रशासन भी इस पूरे प्रसंग से अनभिज्ञ है। इस कारोबार में दो दर्जन से अधिक फिल्टर पानी बेचने के प्लांट लगाए गए हैं परंतु कुछ को छोड़ दिया जाय तो किसी ने निबंधन नहीं कराया गया है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 11:57 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 11:57 PM (IST)
धड़ल्ले से हो रहा सफेद पानी का काला कारोबार, प्रशासन है बेखबर
धड़ल्ले से हो रहा सफेद पानी का काला कारोबार, प्रशासन है बेखबर

शेखपुरा। जिले में शहर से लेकर गांव तक फिल्टर पानी के रूप में सफेद पानी का काला कारोबार किया जा रहा है। जिला प्रशासन भी इस पूरे प्रसंग से अनभिज्ञ है। इस कारोबार में दो दर्जन से अधिक फिल्टर पानी बेचने के प्लांट लगाए गए हैं, परंतु कुछ को छोड़ दिया जाय तो किसी ने निबंधन नहीं कराया गया है। पानी की गुणवत्ता सेहत के लिए अच्छी है अथवा नहीं, इसके लिए कोई मापदंड तय नहीं है और न ही इसकी निगरानी को लेकर जिला प्रशासन द्वारा कोई पहल होती है। स्थिति यह है कि आम से लेकर खास तक इस पानी का प्रयोग कर रहे हैं। जिला प्रशासन के कई कार्यालयों में भी इसी फिल्टर पानी को उपयोग किया जाता है।

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25 रुपये प्रति डब्बा बिकता है फिल्टर पानी

जिले में पानी 25 रुपये प्रति डब्बा के हिसाब से बिक्री की जाती है। एक डब्बे में 14 लीटर पानी रहता है। शादी और समारोह में भी इसी की आपूर्ति होती है। जानकार बताते हैं कि फिल्टर पानी को बाजार में बेचा जाता है इसके लिए टीडीएस मशीन से ग्राहकों को नाप कर दिखाया जाता है।

100 से नीचे टीडीएस पानी का रहने पर उसे बेहतर माना जाता है। जबकि, सामान्य तौर पर बोरिग के पानी का टीडीएस 300 से लेकर 800 तक रहता है। जिसे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी नहीं माना गया है। इस संबंध में शेखपुरा आरओ वाटर फेडरेशन के अधिकारी प्रदीप कुमार ने बताया कि पानी के कारोबार में हम लोग लगे हुए हैं। कई लोग उद्योग विभाग से निबंधन भी कराया है और नगर परिषद के ट्रेड लाइसेंस भी ले कर रखा है। डीजल की महंगाई आदि का असर व्यापार पर पड़ा है और यह मुनाफे का सौदा नहीं रह गया।

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10 लाख लीटर पानी की हर दिन होती है बर्बादी

फिल्टर पानी के इस कारोबार में पानी की जमकर बर्बादी भी होती है । बूंद बूंद पानी बचाने का एक तरफ अभियान चलता है और लोगों को जागरूक करने पर लाखों-करोड़ों खर्च होते हैं तो दूसरी तरफ इस तरह के फिल्टर पानी के प्लांट में पानी को फिल्टर करने में पानी की भारी बर्बादी होती है। बताया जाता है कि एक लीटर पानी को फिल्टर करने में 10 लीटर पानी की बर्बादी हो जाती है। जिले में दो दर्जन फिल्टर पानी के प्लांट लगे हुए हैं जहां 200 सौ से लेकर 300 डिब्बे तक प्रतिदिन का कारोबार होता है। इस लिहाज से एक लाख लीटर पानी की बिक्री होती है और इसमें 10 लाख लीटर पानी की बर्बादी हो जाती है।

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