अपराध की कमाई से करोड़पति बन गया भगोड़ा फौजी

कभी सेना की वर्दी पहन कर देश की हिफाजत करने की कसम खाने वाला शंकर दयाल सिंह उर्फ फौजी जुर्म की इबारत लिखने लगा। भगोड़ा सैनिक वारदातों को अंजाम देकर करोड़पति बन गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 14 Apr 2019 05:54 PM (IST) Updated:Sun, 14 Apr 2019 11:18 PM (IST)
अपराध की कमाई से करोड़पति बन गया भगोड़ा फौजी
अपराध की कमाई से करोड़पति बन गया भगोड़ा फौजी

फोटो 14 सीपीआर 5

जासं, छपरा : कभी सेना की वर्दी पहन कर देश की हिफाजत करने की कसम खाने वाला शंकर दयाल सिंह उर्फ फौजी जुर्म की दुनियां में तेजी से छा गया। भगोड़ा सैनिक वारदातों को अंजाम देकर करोड़पति बन गया।

भोजपुर जिले के बड़हारा निवासी फौजी के पास 200 बीघा जमीन बताई जाती है। कई अन्य संपत्ति भी उसके पास होने की बात कही जा रही है।

बताया जाता है कि करीब आठ वर्षों तक चली वर्चस्व की जंग में विरोधियों का खात्मा करके फौजी गिरोह ने वर्ष 2012 में मनेर के दियारा में अपना सल्तनत खड़ा कर दिया। इसमें मनेर के दुर्दात नृपेंद्र राय उर्फ उपेंद्र ने भी अहम भूमिका निभाई। दरअसल दियारा के विभिन्न इलाकों में अलग-अलग गिरोहों की समानांतर हुकूमत है। मनेर दियारा पर दबदबे को लेकर वर्ष 2005 के बाद खूनी संघर्ष तेज हो गया। आरंभिक भिड़ंत में नृपेंद्र का एक भाई भी मारा गया था। दियारा के आसपास के इलाकों के लोग फौजी और सिपाही नाम से कुख्यात दो गिरोहों का साथ देते थे । मनेर के दियारा इलाके की एक बड़ी खासियत यह है कि वहां के तकरीबन हर घर में एक फौजी है। फौज में रहने के दौरान उनकी पोस्टिग जब जम्मू व कश्मीर में होती है, तो वे वहां अपने नाम से राइफल या बंदूक का लाइसेंस जारी करा लेते हैं। वही लोग दियारा इलाके में बालू के गैरकानूनी खनन में लगे अपराधी गिरोहों को ढाई से तीन हजार रुपये के मासिक किराए पर वे हथियार दे देते हैं।

बालू निकालने के लिए जिन जेसीबी और पोकलेन मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है, वे लोकल बाहुबलियों के होते हैं। एक मशीन की कीमत 40 लाख से 50 लाख होती है। सोन नदी से गैरकानूनी रूप से बालू निकालने और उससे करोड़ों रुपए की कमाई करने वाले फौजी और उमाशंकर सिंह उर्फ सिपाही को पटना, भोजपुर और सारण जिलों की पुलिस पिछले कई सालों से ढूंढ़ रही थी। लेकिन वे पकड़ में नहीं आ रहे थे।

मूल रूप से कैमूर जिले के रहने वाले फौजी पर दर्जनों हत्याओं और पुलिस पर गोलियां चलाने का आरोप है। वहीं सिपाही गिरोह का सरगना मनेर थाने की सूअरमरवा भरवा पंचायत का मुखिया है। इन दोनों के बीच बालू घाट पर कब्जा जमाने को ले कर अकसर खूनी भिड़ंत होती रहती थी। 30 और 31 जुलाई, 2016 को इन दोनों गुटों के बीच अंधाधुंध फायरिग से सोन दियारा का इलाका थर्रा उठा था । फायरिग में कोइलवर के प्रमोद पांडेय की मौत हो गई थी और दोनों ओर के दर्जनों लोग घायल हो गए थे। प्रमोद पांडेय, फौजी गिरोह का सदस्य था। बताया जाता है कि 30 मार्च, 2014 को पुलिस ने फौजी को उस के नौ गुर्गे के साथ पकड़ा था । उस के पास से बड़े पैमाने पर देशी और विदेशी हथियारों का जखीरा बरामद किया गया था। लेकिन जेल से छूटने के बाद वह फिर से बालू खनन के गैरकानूनी काम में लग गया । पटना व भोजपुर जिला प्रशासन के बीच जमीन का है विवाद

दियारा के जिस इलाके को ले कर खूनी जंग छिड़ी हुई है, उस जमीन के बारे में सरकार और प्रशासन के बीच ही विवाद का माहौल बना हुआ है । 2 अगस्त, 2016 को पटना और भोजुपर जिले के एसपी और 3 अंचल के सीआई की बैठक में जमीन के लिए बातचीत हुई। पटना और भोजपुर को जोड़ने वाले महुई हाल का इलाका साल 1920 के सर्वे के हिसाब से पटना को मिल गया था। फिर 1972 में हुए सर्वे के मुताबिक उसे भोजपुर का हिस्सा करार दिया गया। लेकिन आज तक उसे मंजूरी नहीं मिल सकी । इस लिहाज से उसे पटना का ही इलाका बताया जा रहा है। बिहटा और आनंदपुर गांव के किसान भी इस सरकारी हेरफेर से उलझन में हैं। किसानों की जमीन की रसीद पटना जिले से ही कट रही है। फौजी ने इन्हीं किसानों से बालू निकालने का एग्रीमेंट कर रखा था। सिपाही गुट जब-तब इस एग्रीमेंट का विरोध कर अपना कब्जा जमाना चाहता था, जिससे गोलीबारी होती थी । सिपाही गिरोह का कहना है कि यह जमीन सरकार की है। बालू वाली जमीन ठेके पर लेने के बाद सरगना वहां से बालू निकालने के लिए पोकलेन मशीन और नावों का इंतजाम कराता है। गौरतलब है कि सड़क रास्ते से बालू ढोने वाली गाड़ियों का चालान काटा जाता है, परंतु नदी से जाने वाली नावें बंदूक के जोर पर ही चलती हैं। महुई महाल से बालू निकाल कर माफिया उसे नाव से छपरा लाकर बेच देते हैं। दियारा इलाके के काफी दूर होने की वजह से अपराधी गिरोह जम कर चांदी काटते हैं। वहां पुलिस और प्रशासन का पहुंचना आसान नहीं है। इस का फायदा उठाते हुए फौजी और सिपाही गिरोह ने बकायदा अपना चेकपोस्ट भी बना रखा है। वे उस रास्ते से गुजरने वाली नावों से टैक्स वसूलते हैं ।

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