सात माह की कंपनी को दे दिया एक करोड़ का टेंडर

By Edited By: Publish:Wed, 30 Jul 2014 09:16 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jul 2014 09:16 PM (IST)
सात माह की कंपनी को दे दिया एक करोड़ का टेंडर

जागरण संवाददाता, छपरा : जयप्रकाश विश्वविद्यालय में उत्तर पुस्तिका खरीद में हुई गड़बड़ी से परत-दर-परत पर्दा उठ रहा है। विश्वविद्यालय ने इलाहाबाद की जिस कंपनी को उत्तर पुस्तिका की आपूर्ति का आदेश दे दिया है, उसकी स्थापना नवंबर 13 में हुई है। यानि चन्द्रकला यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड (सीयूपीएल) का गठन मात्र सात माह पहले हुआ है। जिसे उत्तर पुस्तिका के मुद्रण व आपूर्ति का कोई विशेष अनुभव नहीं है। कंपनी ने इसके पहले इतनी ज्यादा उत्तर पुस्तिका भी नहीं छापी थी। शोध विद्यार्थी संगठन के डा. हरि मोहन कुमार पिंटू, चुन्नू सिंह व धीरज सिंह ने इस 'डील' में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें 50 लाख से ज्याद का कमीशन विश्वविद्यालय के उच्च अधिकारियों ने लिया है। इलाहाबाद की कंपनी सीयूपीएल एवं कुलपति प्रो. द्विजेंद्र गुप्ता के बीच के संबंधों की जांच करायी जाए। आखिर किस परिस्थिति में नियम-कानून को ताक पर रखकर कुलपति ने बिना निविदा के ही आनन-फानन में उत्तर पुस्तिका की आपूर्ति का आदेश दे दिया। इतना ही नहीं उत्तर पुस्तिका का बिना मूल्य निर्धारण किये ही सात लाख उत्तर पुस्तिका छापने का आदेश दिया है। यानि बिना एक उत्तर पुस्तिका का मूल्य तय किये ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने उस सीयूपीएल कंपनी को सात लाख उत्तर पुस्तिका छापने का आदेश दे दिया है। वित्तीय परामर्शी ने अपनी अनुशंसा में दर निर्धारण की प्रत्याशा में पूर्व निर्धारित दर को ध्यान में रखते हुए भुगतान की स्वीकृति कुलपति से प्राप्त करने की अनुशंसा कर दी। कुलपति ने प्रस्ताव को अपनी टिप्पणी के साथ अनुमोनित भी कर दिया।

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