जब-जब होई धरम की हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी

जब जब होई धरम की हानि। बाढ़हि असुर अधम अभिमानी। तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा। हरहि दयानिधि सज्जन पीड़ा अर्थात जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 17 Oct 2019 01:18 AM (IST) Updated:Thu, 17 Oct 2019 01:18 AM (IST)
जब-जब होई धरम की हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी
जब-जब होई धरम की हानि, बाढ़हि असुर अधम अभिमानी

समस्तीपुर । 'जब जब होई धरम की हानि। बाढ़हि असुर अधम अभिमानी। तब-तब धरि प्रभु विविध शरीरा। हरहि दयानिधि सज्जन पीड़ा' अर्थात जब-जब पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है, दुष्टों का प्रभाव बढ़ने लगता है, तब सज्जनों की पीड़ा हरने के लिए प्रभु का अवतार होता है। उक्त बातें उज्जैन से पधारी कथावाचिका साध्वी प्रभु प्रिया ने कहीं। पूसा प्रखंड के श्रीरामपुर अयोध्या गांव में नौ दिवसीय रामकथा ज्ञान महायज्ञ के चौथे दिन बुधवार को कथा को विस्तार देते हुए राम जन्म प्रसंग की चर्चा की। इस दौरान डॉ. नवलकिशोर चौधरी के नेतृत्व में प्रभु श्री राम की नयनाभिराम झांकी सजाई गई। कथा पंडाल में श्रोताओं की भीड़ उमड़ रही है। इनमें महिलाओं की भागीदारी अधिक है।

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