आफतें आती जाती रहेंगी, जिदगी मुस्कुराती रहेंगी

तात्कालिक कविता को काल भी नहीं मार सकता। कवियों की विशेषता उन्हें तात्कालिक होने में है। उक्त बातें एलएमएनयू के पूर्व हिन्दी प्राध्यापक डॉ. प्रभाकर पाठक ने कहीं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 11:28 PM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 11:28 PM (IST)
आफतें आती जाती रहेंगी, जिदगी मुस्कुराती रहेंगी
आफतें आती जाती रहेंगी, जिदगी मुस्कुराती रहेंगी

समस्तीपुर। तात्कालिक कविता को काल भी नहीं मार सकता। कवियों की विशेषता उन्हें तात्कालिक होने में है। उक्त बातें एलएमएनयू के पूर्व हिन्दी प्राध्यापक डॉ. प्रभाकर पाठक ने कहीं। वे गुरु पूर्णिमा पर स्थानीय जीएमआरडी कॉलेज द्वारा आयोजित गुगल मीट राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर ऑनलाइन जुड़े सौ से अधिक श्रोताओं को संबोधित कर रहे थे। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता चेन्नई से गीतकार ईश्वर करुण ने की। संचालन साहित्यकार मुकेश कुमार मृदुल ने किया। संयोजक हरिनारायण सिंह हरि ने गुगल मीट के माध्यम से काव्य संवाद के औचित्य पर प्रकाश डाला। प्रधानाचार्य डॉ. घनश्याम राय ने राष्ट्रीय स्तर के कवि सम्मेलन को महत्वपूर्ण बताते हुए कोरोना काल में कविता और गुरु का महत्व बताते हुए आमंत्रित कवियों का स्वागत किया। कवि सम्मेलन का प्रारंभ कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ. ब्रह्मदेव प्रसाद कार्यो की गुरु वंदना से हुई। ततपश्चात आयकर अधिकारी भागवत शरण झा अनिमेष ने गुरु महिमा से संकट उबारने की बात की- इस कठिन काल में कृपा करो/दुख दोष शिष्य का हरा करो। मुजफ्फरपुर से डॉ. संजय पंकज ने कहा-जंगल के मस्ती में जीना। गोविन्द राकेश ने - दुनिया भर में ये बीमारी सोचो तो। ऊर्जावान युवा लेखक अश्विनी कुमार आलोक के छंदों में कोरोना काल और मनुष्य की विवशता के चित्र दिखे- ऐसी क्या गलती की हमने तुमसे मिल पाना भी मना है। वरिष्ठ उद्घोषक बैद्यनाथ पंडित प्रभाकर ने कहा- मानवता मिट जायेगी अब तो रहम करो ना। बेंगलूरु से युवा गीतकार गरिमा सक्सेना ने गीत पढ़ा-मजबूरी ही पैदल चलती, सिर पर लादे धूप। अध्यक्ष ईश्वर करूण ने अध्यक्षीय भाषण में कहा-आफतें आती जाती रहेंगी, जिदगी मुस्कुराती रहेंगी। इनके अतिरिक्त कवि सम्मेलन में डॉ. सुधा त्रिवेदी (चेन्नई),डॉ.

भावना (मुजफ्फरपुर), घनश्याम(पटना), संजीव प्रभाकर(गुजरात) सत्यसंध भारद्वाज (दलसिंहसराय), आचार्य लक्ष्मी दास (बेगूसराय), शेफालिका झा, मुकेश कुमार मृदुल (समस्तीपुर) अनिल कुमार झा (देवघर, झारखण्ड), भागवत शरण झा अनिमेष (दरभंगा), डा चित्रलेखा (दानापुर), डा शिवानी भारद्वाज (भागलपुर) समेत देशभर के करीब दो दर्जन कवियों की रचनाएं सराही गयी। कॉलेज के प्राचार्य द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के बाद राष्ट्रगान करके कार्यक्रम का समापन किया गया।

तीन किताबों का हुआ विमोचन

ऑनलाइन कवि सम्मेलन के अवसर पर तीन किताबों का विमोचन किया गया। हरिनारायण सिंह हरि की काव्य पुस्तक 'समय के थपेड़े' और नवगीत संग्रह 'आज का यक्ष प्रश्न' तथा गरिमा सक्सेना द्वारा दोहा संकलन 'दोहे के सौ रंग' का विमोचन किया गया।

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