कहीं टूट न जाए रिश्तों की डोर

सहरसा। भारत- नेपाल के बीच आयी दूरी के बाद कोसी क्षेत्रवासियों के बीच यह चिता सताने लगी है कि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Sep 2020 07:24 PM (IST) Updated:Fri, 18 Sep 2020 07:24 PM (IST)
कहीं टूट न जाए रिश्तों की डोर
कहीं टूट न जाए रिश्तों की डोर

सहरसा। भारत- नेपाल के बीच आयी दूरी के बाद कोसी क्षेत्रवासियों के बीच यह चिता सताने लगी है कि कहीं रिश्तों की डोर टूट न जाए। एक तो दोनों देशों के बीच आयी दूरी और दूसरा कोरोना काल के दौरान भारत- नेपाल सीमा बॉर्डर सील होने के कारण लोगों की परेशानी बढ़ गई है।

कोसी क्षेत्रवासियों का नेपाल से रोटी-बेटी का संबंध रहा है। पड़ोसी देश नेपाल होने के कारण एवं मैथिली भाषी होने के चलते इस क्षेत्र के लोग बड़ी आसानी से अपने बेटे-बेटियां की शादी नेपाल देश में करते रहे हैं। इस क्षेत्र के लोगों की हर हमेशा आवाजाही नेपाल से होती रहती है। किसी का ससुराल नेपाल में है तो किसी की बेटी व बहन ब्याही गयी है। सबकी परेशानी एक ही है। हर कोई इन दिनों परेशान हैं। लोग मोबाइल पर ही अपने रिश्तेदारों से बातचीत कर संतुष्ट हो रहे हैं। चाह कर भी वहां जा नहीं पा रहे हैं।

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बॉर्डर सील रहने से हो रही परेशानी

नेपाल बॉर्डर सील रहने के कारण मेरी पत्नी अपने पिता को देखने राजबिराज नेपाल नहीं जा पा रही है। पिछले चार महीनों से नेपाल सील है। कोरोना वायरस को लेकर लोगों को न नेपाल से निकलने दिया जा रहा है और न ही किसी दूसरे भारतीय सीमा से प्रवेश करने दिया जा रहा है। भारत से जानेवाले हर व्यक्ति को आदेश लेकर जाने के बाद उसे 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कर दिया जाता है। ऐसे में नेपाल जाना एक मुसीबत बनती जा रही है। मेरे ससुर बीमार हैं। लेकिन उसे देखने मैं और मेरी पत्नी नहीं जा पा रहे हैं। पहले यह समस्या नहीं थी। बॉर्डर खुला रहता था। एक दिन में ही भेंटकर वापस लौट जाते थे। दूसरी ओर भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक दूरी बढ़ने से भी यह परेशानी बढ़ गयी है। नेपाल में रहन ेवाले भारतीयों की भी मुसीबत बढ़ गयी है।

सुशील कुमार गुप्ता, गांधी पथ निवासी

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नेपाल जाना जितना पहले आसान था अब मुश्किल हो रहा है। मेरी शादी नेपाल के जनकपुर धाम के पास गौशाला इलाका में हुई है। अभी हाल ही में मेरी दादी का निधन हो गया। लेकिन मेरे ससुराल से कोई नहीं आ पाया। खबर देने के बाद भी दाह संस्कार में कोई नहीं पहुंच पाया। क्योंकि बॉर्डर पिछले चार महीनों से बंद कर दिया गया है। नेपाल से न निकलने दिया रहा है और न ही जाने दिया जा रहा है। नेपाल में संबंध करना ही अब मुसीबत बन गयी है।

राहुल कुमार, स्टेशन रोड निवासी

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भारत-नेपाल के बीच आयी दूरी के कारण नेपाल में रह रहे मैथिली भाषी के लोगों के साथ नेपाली पुलिस दोहरा व्यवहार अपना रही है। उनके साथ खराब बर्ताव किया जा रहा है। अगर यही स्थिति रही तो नेपाल में संबंधियों व रिश्तेदारों की परेशानी बढ़ जाएगी। वैसे भी हमलोग नेपाल जा नहीं पा रहे हैं। कोरोना काल ने बॉर्डर पर तनाव बढ़ा दिया है। अब तो चाहकर भी अपने ससुराल नहीं जा पा रहे है। नाते- रिश्तेदार सब छूटते जा रहे हैं। अब सिर्फ मोबाइल पर ही बातचीत हो पा रही है।

गोपाल कुमार, बरियाही निवासी

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नेपाल में कई रिश्तेदार हैं। नेपाल के विराटनगर, कंचनपुर, धरान, राजविराज, जलेश्वर, दुहबी इलाके में सहरसा जिले के सैकड़ों लोगों का रिश्तेदारी है। इसीलिए सहरसा के हर मुहल्ले से नेपाल का संबंध रहा है। इधर छह महीने में एक तो भारत के साथ रिश्ते बिगड़ने के बाद नेपाल में नेपाली पुलिस बाहरी लोगों के साथ दु‌र्व्यवहार करने पर तुली हुई है। ऐसे में हर रिश्तेदार नयी ठौर की तलाश में हैं। मेरे ससुराल वाले भी इधर सहरसा नहीं आ पा रहे हैं और हम भी परिवार के साथ नेपाल नहीं जा पा रहे हैं। पड़ोसी देश नेपाल से हर हमेशा भारत की दोस्ती ही रही है। इधर लॉकडाउन ने यह दूरी बढ़ा रही है।

शंकर गुप्ता, डीबी रोड निवासी

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