सुरक्षित मातृत्व में सहायक सिद्ध होगा अभियान

सहरसा। कोरोना संकट के बीच गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्

By JagranEdited By: Publish:Mon, 10 Aug 2020 05:58 PM (IST) Updated:Mon, 10 Aug 2020 05:58 PM (IST)
सुरक्षित मातृत्व में सहायक सिद्ध होगा अभियान
सुरक्षित मातृत्व में सहायक सिद्ध होगा अभियान

सहरसा। कोरोना संकट के बीच गर्भवती महिलाओं को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का आयोजन सोमवार को किया गया। इस अभियान के तहत जिले के गर्भवती महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच की गई। सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार ने बताया प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान कार्यक्रम का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ उन्हें बेहतर परामर्श देना है। कोरोना संकट के चलते यह अभियान स्थगित रखा गया था लेकिन अब इसे दोबारा शुरू करने के निर्देश प्राप्त हुए है। बेहतर पोषण गर्भवती महिलाओं में खून की कमी से बचाता है। इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को जांच के बाद पोषण के बारे में भी जानकारी दी जाती है। उन्होंने बताया कि इस अभियान की सहायता से प्रसव के पहले ही संभावित जटिलता का पता चल जाता है जिससे प्रसव के दौरान होने वाली जटिलता में काफी कमी भी आती है और इससे होने वाली मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी कमी आती है।

सिविल सर्जन डॉक्टर अवधेश कुमार ने बताया अत्यधिक रक्त स्त्राव से महिला की जान जाने का खतरा सबसे अधिक होता है। प्रसव पूर्व जांच में यदि खून की कमी होती है तब ऐसी महिलाओं को आयरन की गोली के साथ पोषक पदार्थों के सेवन के विषय में सलाह भी दी जाती है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, मधुमेह, अत्यधिक या कम वजन एवं अत्यधिक खून की कमी प्रसव संबंधित जटिलता को बढ़ा सकता है। इस दिशा में प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व योजना प्रभावी रूप से सुदूर गांवों में रहने वाली महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रही है एवं इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में भी अंकुश लागने में सफलता मिल रही है।

सुरक्षित प्रसव के लिए जरूरी

अस्पताल मैनेजर अमित कुमार चंचल ने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के तहत गुणवत्तापूर्ण प्रसव पूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास में काफी सफलता मिली है। स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता के साथ अभियान को सफल बनाने में आशाओं की भूमिका भी सराहनीय है। आशाएं सामुदायिक स्तर पर उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं की पहचान कर उसे प्रत्येक महीने की नौवीं तारीख को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के साथ रेफरल अस्पतालों पर प्रसव पूर्व जांच के लिए ससमय संदर्भित करती हैं एवं खुद भी उपस्थित होती है।

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