पीआरएस और उपमुखिया को सात-सात वर्ष की सजा

सहरसा। सत्तर कटैया प्रखंड के पटोरी पंचायत में वर्ष 2012 में 12 लाख 59 हजार 413 रुपये सरकार

By JagranEdited By: Publish:Tue, 20 Mar 2018 10:25 PM (IST) Updated:Tue, 20 Mar 2018 10:25 PM (IST)
पीआरएस और उपमुखिया को सात-सात वर्ष की सजा
पीआरएस और उपमुखिया को सात-सात वर्ष की सजा

सहरसा। सत्तर कटैया प्रखंड के पटोरी पंचायत में वर्ष 2012 में 12 लाख 59 हजार 413 रुपये सरकारी राशि गबन के मामले में मंगलवार को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी बैजनाथ राम ने तत्कालीन उप मुखिया एवं पंचायत रोजगार सेवक को सात-सात वर्ष सश्रम कारावास की सजा मुकर्रर किया है। न्यायालय ने सजा के अलावा आरोपियों को एक-एक लाख रूपए जुर्माना अदा करने और नहीं करने पर छह माह अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतने का फैसला सुनाया। दोनों आरोपियों को भादवि की धारा 406 व 120 बी में तीन वर्ष की सजा भी सुनाई गई है। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा सजा सुनाने से पूर्व इस मामले की सुनवाई अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी चतुर्थ सतीश कुमार झा की अदालत में चल रहा था। न्यायालय निरीक्षण के लिए आए पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश सह सहरसा न्याय मंडल के निरीक्षी न्यायमूर्ति आशुतोष कुमार ने जेल निरीक्षण के दौरान इस मामले को संज्ञान में लिया था। पटना जाने के बाद उन्होंने जिला जज को इस मामले को एक महीने के अंदर निष्पादित करने का आदेश भेजा था। जिला जज ने आदेश की प्रति विचारण न्यायालय को उपलब्ध करा दिया,जिसके आलोक में एसीजेएम सतीश कुमार झा ने 13 मार्च को दोनो आरोपियों को गंभीर अपराध के लिए दोषी करार दिया था। अपराध की गंभीरता के कारण उन्होंने इस मामले में स्वयं सजा नहीं सुनाते हुए दप्रसं की धारा 325 के तहत मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को सजा सुनाने के लिए हस्तांतरित कर दिया था। तत्पश्चात सजा के बिंदु पर दोनों आरोपियों की दलील सुनने के बाद उपरोक्त सजा मुकर्रर कर दिया। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के न्यायालय में जिला अभियोजन पदाधिकारी अविनाश राय एवं अपर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी चतुर्थ के न्यायालय में अनुमंडल अभियोजन पदाधिकारी नागेश्वर साह मणि ने अभियोजन की ओर से बहस में हिस्सा लेते हुए आरोपियों को कठोर से कठोर सजा देने की प्रार्थना न्यायालय से की थी। मामले में विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से मामले के सूचक एवं सत्तर कटैया प्रखंड के तत्कालीन कार्यक्रम पदाधिकारी अजीत कुमार समेत सात गवाहों का बयान दर्ज कराया गया था। जबकि बचाव पक्ष से भी छह गवाहों ने न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराया। बचाव पक्ष के गवाहों ने कुछ कागजातों पर पटोरी पंचायत के मुखिया एवं उपमुखिया के हस्ताक्षर को पहचानने की बात कही थी, जो अभियोजन के पक्ष में गया था। वहीं बचाव पक्ष के पहले गवाह स्वयं अभियुक्त कुंदन कुमार ¨सह ने तत्कालीन मुखिया अन्नपूर्णा देवी के दबाव व धमकी में आकर चेक देने की बात कही थी।

क्या था मामला

इस मामले की प्राथमिकी जिला ग्रामीण विकास अभिकरण सहरसा के पत्रांक 575- 2 दिनांक 4 मई 2012 के आलोक में सत्तर कटैया के तत्कालीन कार्यकम पदाधिकारी अजीत कुमार झा के आवेदन पर बिहरा थाना में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। दर्ज प्राथमिकी में पटोरी पंचायत के योजना संख्या 2,3,4/10-11 में सड़क मरम्मत एवं आरसीसी पुलिया निर्माण के लिए आवंटित 12 लाख 59 हजार 413 रूपए को बिना कार्य कराए पंचायत के तत्कालीन मुखिया अन्नपूर्णा देवी एवं उनके पुत्र सह उपमुखिया राजकुमार ¨सह पंचायत रोजगार सेवक कुंदन कुमार ¨सह द्वारा राशि की निकासी कर आपस में बंदरबांट करने का आरोप लगाया गया था। इसकी गबन की गूंज जब जिलाधिकारी तक पहुंची तो प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया था। विचारण के दौरान मुखिया अन्नपूर्णा देवी की मृत्यु हो गई, जबकि पीआरएस करीब साढ़े चार वर्षों से जेल में है। उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा भी जमानत नहीं दी गई।

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