दो माह के अंदर सहरसा में चालू हो जाएगा सहकारी बैंक
सहरसा। अब सहरसा के किसानों को कृषि ऋण प्राप्त करने फसल की बीमा लेने अथवा बिक्री किए गए
सहरसा। अब सहरसा के किसानों को कृषि ऋण प्राप्त करने, फसल की बीमा लेने अथवा बिक्री किए गए धान और गेहूं का भुगतान प्राप्त करने के लिए बीहट या अन्य को-ऑपरेटिव बैंक का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सहरसा और मधेपुरा जिले में को ऑपरेटिव बैंक खोलने के लिए जो आदेश दिया था, उसके अनुरूप कार्रवाई तेजी से चल रहा है। अगर सबकुछ ठीक- ठाक रहा, तो दो महीने के अंदर सहरसा में बैंक चालू हो जाएगा। यह कोसीवासियों और खासकर पैक्सों, व्यापार मंडलों और किसानों के लिए बहुत बड़ी सौगात है। इससे कृषि क्षेत्र का भी विकास होगा, किसानों की आमदनी बढ़ेगी और अंतत: इलाके की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। सुपौल जिले में सहकारी बैंक पूर्व से ही कार्यरत है। ऐसे में सहरसा को- ऑपरेटिव बैंक के खुलने से सहरसा और मधेपुरा के किसानों को काफी लाभ पहुंचेगा। ---------------------------
वर्ष 2003 से ही बंद है कोऑपरेटिव बैंक
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वर्ष 2003 के पूर्व कोसी प्रमंडल में मधेपुरा- सुपौल को-ऑपरेटिव बैंक संचालित था। जुलाई 2003 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा इस बैंक की अनुज्ञप्ति रद कर दी गई। तब से इस इलाके के किसानों को सहकारिता बैंक संबंधी सभी कार्यों के लिए बीहट को-ऑपरेटिव बैंक पर निर्भर होना पड़ गया। धान- गेहूं की राशि से लेकर बीमा तक के लिए इलाके के किसानों की असहनीय परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। एक वर्ष पूर्व सुपौल जिले में सहकारी बैंक खोला गया, जिससे उस जिले के किसानों की समस्या को दूर हुई, परंतु सहरसा व मधेपुरा जिले के किसान अबतक बीहट को- ऑपरेटिव बैंक पर ही निर्भर है। रिजर्व बैंक द्वारा सहरसा व मधेपुरा जिले में बैंक खोले जाने की अनुमति मिलने से इलाके के किसानों का भाग्य का द्वार खुलेगा, ऐसी संभावना प्रबल हो गई है।
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सहरसा में को- ऑपरेटिव बैंक खुलने से जिले के किसानों और सहकारी समितियों को नवजीवन मिलेगा। यह इलाके के विकास के लिए काफी कारगर सिद्ध होगा।
सैयद मशरूख आलम
डीसीओ, सहरसा।