तेरी-मेरी यारी, भगवान को है पसंद अल्लाह को है प्यारी :::::: जागरण विशेष

सहरसा। राष्ट्र कवि दिनकर ने कहा है मित्रता बड़ा अनमोल रतन कब इसे तोल सकता है धन। एक सच्चा मित्र मिलना

By Edited By: Publish:Fri, 03 Jul 2015 06:43 PM (IST) Updated:Fri, 03 Jul 2015 06:43 PM (IST)
तेरी-मेरी यारी, भगवान को है पसंद अल्लाह को है प्यारी :::::: जागरण विशेष

सहरसा। राष्ट्र कवि दिनकर ने कहा है मित्रता बड़ा अनमोल रतन कब इसे तोल सकता है धन। एक सच्चा मित्र मिलना दैवीय उपहार तथा वरदान से कम नहीं है। यह तब विशेष बन जाता है जब दोनों दो संप्रदाय के हों। दो अलग-अलग मजहब के अरविन्द यादव उर्फ झा जी एवं मो. हासिम की चट्टानी यारी आज साम्प्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल बनी हुई है।

आज एक ओर जहां कहीं-कहीं कट्टरपंथियों द्वारा मजहब के नाम पर उन्माद फैला कर समाज में अशांति एवं विद्वेष पैदा कर दिया जाता है। वहीं दूसरी ओर अरविंद एवं हासिम जैसे लोगों के दोस्ती की मिसाल साम्प्रदायिक सद्भाव एवं एकता की कड़ी को मजबूत बनाने में प्रेरक का काम कर रहा है।

जिले के सौरबाजार प्रखंड अंतर्गत गम्हरिया गांव के पूर्व मुखिया स्व. शिव प्रसाद यादव के छोटे पुत्र 47 वर्षीय किराना व्यवसायी अरविन्द यादव एवं मरहूम कमरूद्दीन के 41 वर्षीय पुत्र मो. हासिम की दोस्ती कोई नई नहीं बल्कि ढ़ाई दशक पुरानी है। इतने बड़े अंतराल की दोस्ती ने दोनों की जिंदगी बदल दी लेकिन मजहब भी कभी दीवार नहीं बनी।

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कैसे हुई दोस्ती की शुरूआत

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बकौल मो. हासिम शुरूआती दौर में रोजी-रोटी की खातिर बैजनाथपुर चौक के फुटपाथ पर झा जी के छोटे से कपड़े की दुकान के आगे सब्जियां बेचा करता था। किसी तरह परिवार का भरण-पोषण चल रहा था। झा जी भी कपड़े के व्यापार में लगातार घाटे से परेशान थे। उनकी भी माली हालत अच्छी नहीं थी। समय बदलता गया हालात भी बदला। हम दोनों ने मिलकर कुछ करने की ठानी और कपड़े की दुकान बंद कर किराना दुकान की शुरूआत की। दिन-रात एक कर मेहनत की। बैंक से कुछ कर्ज लेकर कारोबार बढ़ाया। धीरे-धीरे सफलता मिलनी शुरू हो गई। आज हमलोग अपने कारोबार में पूर्णत: संतुष्ट हैं।

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बच्चों को भी दी अच्छी तालीम

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दोनों की मेहनत ने परिवार में खुशहाली व समृद्धि के साथ ही अपने-अपने बच्चों को अच्छी तालीम भी दी। जहां अरविन्द के एक पुत्र इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त कर फिलहाल प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी पटना में रहकर कर रहा है, तो दूसरा पुत्र एक इंश्योरेंस कंपनी में कार्यरत है। मो. हासिम के दोनों पुत्र अच्छे संस्थान में अध्ययनरत है।

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दोनों करते हैं साथ तीर्थ

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दोनों दोस्तों की देशाटन की चाहत ने कई प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों का भ्रमण भी करवाया। अरविंद बताते हैं अब तक हम दोनों ने परिवार समेत शिरडी, वैष्णो देवी, अजमेर शरीफ सहित दर्जनों तीर्थ स्थानों की यात्राएं भी की है।

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अनाथ लड़की भी बसाया घर

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करीब 15 वर्ष पूर्व रेलवे स्टेशन पर भटक रही एक बच्ची रिंकू को दोनों परिवार वालों ने बेटी की तरह पाला पोसा। बड़ी होने पर उसका विवाह भी करवाया। रिंकू अभी इटहरी गांव अपने ससुराल में सुखमय जीवन बिता रही है।

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