Bhabhua : शादी का झांसा देकर आरोपी ने किया यौन शोषण, कोर्ट के आदेश पर पीड़िता संग हुआ विवाह

जिला व्यवहार न्यायालय की एडीजे नम्रता तिवारी ने यौन शोषण के एक मामले में आरोपी को पीड़िता के साथ विवाह करने का फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद जेल प्रशासन की उपस्थिति में विवाह समन्न कराया गया।

By Satya Prakash SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 03 Dec 2022 11:21 PM (IST) Updated:Sat, 03 Dec 2022 11:21 PM (IST)
Bhabhua : शादी का झांसा देकर आरोपी ने किया यौन शोषण, कोर्ट के आदेश पर पीड़िता संग हुआ विवाह
न्यायालय की अनुमति से पीड़िता का आरोपित संग हुआ विवाह।

 भभुआ, जागरण संवाददाता : जिला व्यवहार न्यायालय की एडीजे नम्रता तिवारी ने यौन शोषण के मामले में एक मामले में एक ऐसा फैसला सुनाया है जो चर्चा का विषय बना हुआ है। अदालत से जारी निर्देश पर जेल प्रशासन की उपस्थिति में शनिवार को व्यवहार न्यायालय परिसर में स्थित महादेव मंदिर पर पीड़िता का विवाह यौन शोषण के साथ विवाह करा दिया गया।

विवाह के बाद जहां युवती ससुराल चली गई, जबकि आरोपी को जेल भेज दिया गया। विवाह में जेल प्रशासन के साथ दोनों पक्ष के वकील भी मौजूद रहे।बता दें कि, आरोपी 2021 में पीड़िता के सम्पर्क में आया और धीरे-धीरे दोनों में प्यार हो गया। आरोपी ने पीड़ीता के साथ विवाह का वादा किया था लेकिन पिता के विरोध के कारण वह इससे पीछे हट गया। लड़के के शादी करने से इनकार पर लड़की ने जितेंद्र कुमार सिंह के विरूद्ध शादी का झांसा देकर यौन शोषण करने का आराेप लगाते हुए सीजेएम रश्मि प्रसाद के न्यायालय में मुकदमा दायर कर दिया।

न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर 23 नवंबर 2022 को जेल भेज दिया। इधर मामला विचारण के लिए प्रथम श्रेणी दंडाधिकारी ज्योतसना पाठक के न्यायालय में पहुंचने व जमानत का आवेदन रद होने के बाद मामला जिला एवं सत्र न्यायालय में पहुंच गया। जहां से सुनवाई के लिए एडीजे प्रथम तक पहुंचने तक दोनों पक्षों के बीच विवाह के लिए आपसी सहमति बन गई थी।

बंदी ने जेल प्रशासन के माध्यम से एडीजे प्रथम के न्यायालय में विवाह के लिए अनुमति की मांग की। अधिवक्ता की अपील पर न्यायालय ने जेल प्रशासन को बंदी को विवाह के लिए निर्धारित तिथि तीन दिसंबर 2022 को न्यायालय परिसर में स्थित मंदिर पर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। पुलिस बल की देखरेख में बंदी को मंदिर पर पहुंचाया गया। जहां दोनों परिवारों व अधिवक्ताओं की उपस्थिति में माल्यार्पण व सिंदूरदान के बाद वर-बधु का विवाह सम्पन्न हो गया।

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