लालू परिवार में पुराने वफादार बनाम नए किरदार पर मंथन जारी, कौन संभालेगा राजद को

राजद का कौन होगा नया प्रदेश अध्यक्ष? इस प्रश्न को लेकर राजद परिवार में मंथन जारी है। लालू परिवार में पुराने वफादार पर मुहर लगेगी या इस बार कोई नया चेहरा सामने आएगा जानिए...

By Kajal KumariEdited By: Publish:Fri, 11 Oct 2019 10:01 AM (IST) Updated:Fri, 11 Oct 2019 10:50 PM (IST)
लालू परिवार में पुराने वफादार बनाम नए किरदार पर मंथन जारी, कौन संभालेगा राजद को
लालू परिवार में पुराने वफादार बनाम नए किरदार पर मंथन जारी, कौन संभालेगा राजद को

पटना [अरविंद शर्मा]। राजद का सदस्यता अभियान दो महीने चलकर गुरुवार को खत्म हो गया। पंचायत, प्रखंड एवं जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया अब शुरू होगी। सियासी गलियारे में सबसे ज्यादा चर्चा, उत्सुकता और इंतजार प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर है। डॉक्टर रामचंद्र पूर्वे ही बने रहेंगे या किसी और को यह जिम्मेवारी दी जाएगी। लालू परिवार में पुराने वफादार बनाम नए किरदार पर मंथन जारी है। 

राजद में प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार कई हैं और रामचंद्र पूर्वे की राह में बढ़ती उम्र भी आड़े आ रही है। ऐसे में आलोक मेहता एवं शिवचंद्र राम का नाम तेजी से चल रहा है। सूची में कुछ ऐसे बड़े नाम भी शामिल हो चुके हैं, जो प्रतिस्पर्धा को दिलचस्प बना रहे हैं।

विधान परिषद के पूर्व सभापति सलीम परवेज, पूर्व स्पीकर उदय नारायण चौधरी भी बड़े दावेदार माने जा रहे हैं। हाल के दिनों में पूर्व सांसद शैलेश कुमार उर्फ बुलो मंडल और विधायक कुमार सर्वजीत का नाम भी जुड़ गया है। करीब महीने भर पहले राजद की सदस्यता लेने वाले पूर्व मंत्री रमई राम भी प्रयासों में पीछे नहीं हैं।

चुनाव करीब देखते हुए दर्जन भर अन्य नेता भी सक्रिय हो गए हैं। दावेदारी और उम्मीदवारी में कोई किसी से कम नहीं है, लेकिन रामचंद्र पूर्वे की वफादारी सब पर भारी पड़ सकती है। 

चार बार से कप्तानी कर रहे पूर्वे

राजद की चुनाव प्रक्रिया के हिसाब से दो दिसंबर के पहले प्रदेश राजद के नए कप्तान का निर्वाचन हो जाएगा। डॉ. पूर्वे 2010 से ही राजद के प्रदेश अध्यक्ष हैं। चार बार इस पद पर रह चुके हैं। एक बार मनोनीत और तीन बार निर्वाचित। लोकसभा चुनाव का परिणाम पूर्वे के पक्ष में नहीं आया है। फिर भी दावेदारी में भारी नजर आ रहे हैं।

पूर्वे की गिनती लालू प्रसाद के वफादार नेताओं में होती है। सत्ता और सियासत में ओहदा पाने के लिए सामाजिक समीकरण और नेतृत्व के प्रति समर्पण, दो बड़े फैक्टर अहम होते हैं। अति पिछड़े वर्ग से आने और राजद के स्थापना काल से जुड़े होने के कारण पूर्वे अभी भी लालू के हर फार्मूले पर फिट बैठते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में हारने के बाद भी लालू के लिए वह अपरिहार्य बने रहे। 

राजद ने बनाए 80 लाख सदस्य

राजद ने दो महीने के सदस्यता अभियान में करीब 80 लाख सदस्यों को जोड़ा है। एक करोड़ का लक्ष्य रखा गया था। तीन लाख 15 हजार छह सौ सक्रिय सदस्य बनाए गए हैं। 23 अक्टूबर तक मुख्यालय में पर्चा जमा करना है। इसके बाद सदस्यता सूची का प्रकाशन होगा।

इसी महीने के आखिरी हफ्ते में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 12 दिसंबर को राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर लालू भी फिर से आसीन हो जाएंगे। इस बार संगठन में सबको साथ लेकर चलने की कोशिश की जा रही है।

माय (मुस्लिम-यादव) समीकरण को भी मजबूती से बनाए रखना है। अति पिछड़ों और दलितों को भी उचित प्रतिनिधित्व देना है। संगठन में उनकी 60 फीसद हिस्सेदारी तय कर दी गई है। सवर्णों को भी साथ लाने का प्रयास है। 

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