पटना लिटरेचर फेस्टिवलः स्टोरी टेलर के साथ स्टोरी सेलर भी होना जरूरी
पटना लिटरेचर फेस्टिवल के तीसरे दिन वो मुझसे बातें करता है-लेखक-पात्र संबंध पर चर्चा बुद्धिजीवियों ने चर्चा की।
पटना, जेएनएन। पटना साहित्य उत्सव के तीसरे दिन वो मुझसे बातें करता है-लेखक-पात्र संबंध पर चर्चा के दौरान लेखक रत्नेश्वर सिंह ने कहा कि लेखन के दौरान लेखक के बदले पात्र ज्यादा प्रभावी हो जाता है। कहा कि लेखक जब किसी भी विषय पर लिखना शुरू करता है तो वह एक पात्र की रचना करता है और धीरे-धीरे यह पात्र उससे बातें करने लगता है और लेखक को खुद में आत्मसात कर लेता है।
दूसरे वक्ता पंकज दुबे ने पात्र के चयन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आसपास की घटनाओं और अपने अनुभवों को मिलाकर लेखक अपने पात्र को तैयार करता है। वहीं, लेखन के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के बारे में कहा कि आज लेखकों को सफलता प्राप्त करने के लिए स्टोरी टेलर के साथ स्टोरी सेलर भी बनना होगा। इसके बाद ही वे बाजार में चल पाएंगे।
वहीं, लेखिका वंदना राग ने कहा कि लेखक कल्पना के आधार पर पात्र का चयन करता है लेकिन वे पात्र भी उनके आसपास के अनुभवों से जुड़े होते हैं। वहीं, लेखने के क्षेत्र में बाजारवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि लेखकों को उनके इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी की सही कीमत मिलनी ही चाहिए।