कोरोना काल में कमाल का ये जुगाड़ वाला स्‍टार्ट-अप, भीड़ कम कर रहा ठेले पर बना सत्तू-बेसन प्लांट

कोरोना संक्रमण के दौर में एक युवक का जुगाड़ वाला स्‍टार्ट-अप चर्चा में है। इसके माध्‍यम से दुकानों में भीड़ कम हो रही है। साथ ही दरवाजे पर ही शुद्ध सत्तू-बेसन उपलब्ध हो रहा है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Tue, 02 Jun 2020 10:57 AM (IST) Updated:Tue, 02 Jun 2020 11:54 AM (IST)
कोरोना काल में कमाल का ये जुगाड़ वाला स्‍टार्ट-अप, भीड़ कम कर रहा ठेले पर बना सत्तू-बेसन प्लांट
कोरोना काल में कमाल का ये जुगाड़ वाला स्‍टार्ट-अप, भीड़ कम कर रहा ठेले पर बना सत्तू-बेसन प्लांट

बक्सर, कंचन किशोर। खाद्य सामग्रियों में मिलावट की शिकायतें आम हैं। सत्तू में मकई का आटा और बेसन में खेसारी की मिलावट खूब की जाती है। ऐसे में अगर आपके दरवाजे पर सामने पीसा गया सत्तू और बेसन मिल जाए तो यह सुरक्षित भी है और पौष्टिक भी। कोरोना काल में दुकानों में भीड़ कम करने में मददगार बक्‍सर के एक युवक का कमाल का यह स्‍टार्ट-अप ग्राहकों को उनके घर के दरवाजे पर शुद्ध और ताजा सत्तू-बेसन उपलब्ध करा रहा है। ग्राहक चाहे ढाई सौ ग्राम सत्तू लें या उससे ज्यादा, झट से प्लांट में भुना हुआ चना डाल सत्तू तैयार किया जाता है।

कमाल का है नौवीं तक पढ़े युवक का जुगाड़ू स्टार्टअप

बक्सर के सइसढ़ गांव के नौवीं तक पढ़े शंकर कुमार चौधरी का यह जुगाड़ू स्टार्टअप है। करीब 50 हजार रुपये खर्च कर शंकर ने ठेला पर सत्तू-बेसन पीसने का मिनी प्लांट लगाया। ठेले पर ही चना और चना दाल से भरी बोरी लेकर चलते हैं। ग्राहक को जितना सत्तू या बेसन चाहिए, सामने पीसकर देते है। कीमत भी बाजार भाव के बराबर, सौ रुपये प्रति किलो सत्तू और 90 रुपये प्रति किलो बेसन।

मिलावट से परेशानी की बातें सुन आया आइडिया

शंकर बताते हैं कि आइडिया दो साल पहले आया। शहरों में सत्तू-बेसन में मिलावट की बात सुनते थे, तब उन्होंने लोगों को ताजा सत्तू बेचने के लिए अपने ठेले को प्लांट का रूप दे दिया। ठेले पर 24 हजार का जेनरेटर, 14 हजार की मोटर और ग्राइंडर, बिना पैडल मारे ठेला चलाने के लिए आठ हजार की एक बैट्री और पांच हजार रुपये के अन्य सामान लगा चलता-फिरता प्लांट तैयार कर लिया।

प्रतिदिन हो जाती सात-आठ सौ तक की आय

शंकर ने बताया कि वे शहर में घूम-घूम कर रोजाना औसत 30 किलो सत्तू-बेसन बेच लेते हैं और सात-आठ सौ रुपये तक कमा लेते हैं। एक ठेले पर दो लोग होते हैं। प्रति व्यक्ति औसत नौ-दस हजार रुपये की आय प्रतिमाह हो जाती है। वे इसी तरह के चार ठेले पर प्लांट लगवा चुके हैं, जिन्हें उनके रिश्तेदार आरा और आसपास के शहरों में चला रहे हैं।

मसाला पीसने में भी कारगर है ये मशीन

शंकर का प्लांट हल्दी-धनिया और मिर्च आदि मसाले को भी पीस सकता है। वे बताते हैं कि इसी तरह का प्लांट बनवा ग्राहकों को उनके घर के पास शुद्ध मसाला भी पीस कर बेचा जा सकता है।

कोरोना काल में दुकानों में भीड़ कम करने में भी मददगार

सामाजिक संस्था 'गूंज' के लाइवलीहुड कार्यक्रम के संयोजक शिवजी चतुर्वेदी ने शंकर के प्लांट को शानदार आइडिया बताया। कहा कि रोजगार की संभावनाओं के साथ कोरोना काल में दुकानों में भीड़ कम करने में भी मददगार है, वे अपने कार्यक्रम में इस आइडिया को शामिल करेंगे।

chat bot
आपका साथी