बच्‍चों में भी फैल रहा कोरोना संक्रमण, पटना में सामने आई ये बात; बुखार-सर्दी हो तो जरूर करा लें जांच

Coronavirus Infection in Children बिहार में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में दिनोंदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हर दिन जिले में जितने नमूनों की जांच हो रही है उनमें से 20 से 24 प्रतिशत तक की रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Sat, 15 Jan 2022 08:56 AM (IST) Updated:Sat, 15 Jan 2022 08:56 AM (IST)
बच्‍चों में भी फैल रहा कोरोना संक्रमण, पटना में सामने आई ये बात; बुखार-सर्दी हो तो जरूर करा लें जांच
बच्‍चों को भी हो रहा कोरोना का संक्रमण। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पटना, जागरण संवाददाता। बिहार में कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में दिनोंदिन कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। हर दिन जिले में जितने नमूनों की जांच हो रही है, उनमें से 20 से 24 प्रतिशत तक की रिपोर्ट पाजिटिव आ रही है। अब तक दस वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों में संक्रमण की दर करीब दो प्रतिशत है। गत छह दिन में इस आयुवर्ग के 275 लोगों की रिपोर्ट पाजिटिव आ चुकी है। इनमें से 11 नवजात हैं जो जन्म लेते ही कोरोना संक्रमित हो गए थे। अबतक एम्स पटना और निजी अस्पतालों में 23 बच्चे भर्ती हो चुके हैं। वहीं संक्रमितों में सबसे ज्यादा 5108 लोग 31 से 50 आयुवर्ग के हैं।

पहली लहर से 12 गुना ज्यादा बच्चे दूसरी लहर में हुए थे संक्रमित

कोरोना की पहली लहर में एम्स पटना में 52 संक्रमित बच्चे मिले थे। वहीं दूसरी लहर में यह संख्या बढ़कर 650 से अधिक हो गई थी। वहीं प्रदेश में 5 से 25 अप्रैल के बीच 0 से 19 वर्ष आयुवर्ग में संक्रमण दर 11 प्रतिशत रही थी। इन संक्रमित बच्चों में से 38.6 प्रतिशत लड़कियां और 61.3 प्रतिशत लड़के थे। हालांकि, इनमें से केवल 0.14 प्रतिशत बच्चों को ही आइसीयू की जरूरत पड़ी थी। तीसरी लहर में अधिक संक्रामकता को देखते हुए मरीजों की संख्या अधिक हो सकती है लेकिन बहुत घातक प्रभाव नहीं होंगे।

बच्चों के उपचार की सभी दवाएं उपलब्ध

सिविल सर्जन डा. विभा कुमारी सिंह के अनुसार बच्चों को भीड़भाड़ से बचाने के साथ घर के बड़ों को सख्ती से कोरोना अनुकूल व्यवहार का पालन करना होगा। बच्चों में बड़ों की अपेक्षा संक्रमण का खतरा अभी 20 प्रतिशत तक कम है लेकिन वे घर के बुजुर्गों या बीमार लोगों के लिए सुपर स्प्रेडर का काम कर सकते हैं। अस्पतालों में संक्रमित बच्चों के इलाज के लिए सस्पेंशन फार्म में सभी दवाएं पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। अभी तक अधिकतर बच्चे होम आइसोलेशन में ही स्वस्थ हो गए हैं।

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