बिहार के मन्‍नू ने 40, तो अभिजीत ने 25 लाख रुपये की नौकरी छोड़ी; इनकी कामयाबी खोल देगी आपकी आंखें

Success Startups एक वक्‍त था जब नौकरी को लेकर युवाओं में भारी दीवानगी देखी जाती थी। अब बदले माहौल में कुछ कर गुजरने की चाहत रखने वाले युवा लाखों रुपए के पैकेज वाली नौकरी छोड़कर स्‍टार्टअप बिजनेस के जरिए सफलता का कीर्तिमान रच रहे हैं।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Wed, 29 Jun 2022 09:04 AM (IST) Updated:Sun, 03 Jul 2022 06:49 AM (IST)
बिहार के मन्‍नू ने 40, तो अभिजीत ने 25 लाख रुपये की नौकरी छोड़ी; इनकी कामयाबी खोल देगी आपकी आंखें
Start up Success Story: बिहार के इन युवाओं ने दिखाया रास्‍ता। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

दिलीप ओझा, पटना। बिहार की युवा पीढ़ी में उच्च शिक्षा के बाद नौकरी करने की परंपरा रही है। इसी राह पर प्रोफेशनल चलते रहे हैं। ऊंचा पद, बंगला, गाड़ी और बेशुमार दौलत का ख्वाब इसे हवा देता रहा है। हालांकि, यह चट्टानी परंपरा अब दरकती दिखाई दे रही है। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद युवा अब नौकरी की तलाश करने की जगह दूसरों को नौकरी देने के लिए कदम बढ़ा रहे हैं। कुछ तो अच्छी-खासी नौकरी छोड़ कर उद्यम स्थापित कर रहे हैं, जिससे अनेकों को रोजगार मिल सके। सुखद यह कि इसमें उन्हें सफलता भी मिल रही है। जाहिर है एक नई जमीन तैयार हो रही है, जो रोजगार सृजन के सुनहरे भविष्य का इतिहास लिख रही है। 

25 लाख का पैकेज छोड़ बने जाब क्रिएटर

अभिजीत नारायण एक निजी क्षेत्र की टेलीकाम कंपनी में डीजीएम थे। उनका पैकेज 25 लाख रुपये का था। उन्होंने नौकरी छोड़ जाब क्रिएटर बनना पसंद किया। कहते हैं, अगर नई सोच है तो अपना काम करना ही बेहतर है। इससे अनेक लोगों को हम रोजगार दे सकते हैं। नौकरी छोडऩे का मुझे कोई अफसोस नहीं है। 15 लोगों को रोजगार मेरी फर्म ग्रीन शेल्टर से मिला है। असली उपलब्धि यही है। 

20 लाख रुपये का पैकेज ठुकराया

प्रिंस राज बीटेक हैं। उन्हें 20 लाख रुपये का पैकेज मिला था। कहते हैं, नौकरी अच्छी थी और पैकेज भी अच्छा था। हालांकि, इच्छा थी कि कोई ऐसा काम करूं, जिससे युवाओं को रोजगार दे सकूं। मैंने यही रास्ता चुना। एग्रीधन ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड नाम से संस्था को निबंधित कराया। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से 120 लोगों को रोजगार दिया हूं। यह संख्या बढ़ाने में जुटा हूं। 

सूची लंबी और सिलसिला रफ्तार में

बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के इनक्यूबेटर सेंटर वेंचर-पार्क के सदस्य सचिव सुबोध कुमार कहते हैं, आइआइटी, एनआइटी, आइआइएम के छात्र बड़ी-बड़ी नौकरियां छोड़कर जाब क्रिएटर बन रहे हैं। वेंचर-पार्क में ऐसे करीब 120 युवा हैं, जो नई सोच के साथ कार्य कर रहे हैं। इन्होंने करीब छह सौ लोगों को रोजगार दिया है। मन्नू मरीन इंजीनियर हैं। 40 लाख रुपये का पैकेज छोड़ डेयरी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। डेढ़ हजार किसान इनसे जुड़े हैं और अपना रोजगार बढ़ा रहे हैं। संतोष कुमार भी मरीन इंजीनियार हैं। 30 लाख रुपये का पैकेज छोड़ डेयरी क्षेत्र में काम कर रहे हैं। खुद गो पालन भी कर रहे हैं। सौ से अधिक किसान भी जुड़े हैं और रोजगार कर रहे हैं। जाब क्रिएटर के नए चलन का सिलसिला रफ्तार पकड़ता नजर आ रहा है। रोजगार सृजन की नई तस्वीर उभरी है, जो सुखद है।

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