कैग रिपोर्ट में खुलासा- बिहार में बाढ़ राहत सामग्री में हुआ बड़ा घोटाला

बिहार के मुजफ्फरपुर में पिछले साल आयी बाढ़ के दौरान राहत सामग्री में घोटाले का खुलासा हुआ है। राहत सामग्री को लेकर कैग ने अपनी रिपोर्ट में गंभीर आपत्ति जताई है।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Thu, 10 Aug 2017 06:14 PM (IST) Updated:Thu, 10 Aug 2017 08:35 PM (IST)
कैग रिपोर्ट में खुलासा- बिहार में बाढ़ राहत सामग्री में हुआ बड़ा घोटाला
कैग रिपोर्ट में खुलासा- बिहार में बाढ़ राहत सामग्री में हुआ बड़ा घोटाला

पटना [जेएनएन]। पिछले साल बिहार में बाढ़ पीड़ितों के लिए मुजफ्फरपुर से भेजी गई राहत सामग्री में घोटाले का खुलासा हुआ है। सीएजी की लेखापरीक्षा में यह पकड़ा गया कि जो राहत सामग्री खरीदी गई वह सामान्य स्तर की थी। मगर, इसके लिए उच्च स्तर की सामग्री की कीमत दी गई। वहीं कई सामग्री की खरीद कर ली गई। मगर, इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। इस मामले में डीएम धर्मेंद्र सिंह के आदेश पर आपदा प्रबंधन प्रशाखा के प्रभारी से रिपोर्ट मांगी गई है। 

मालूम हो कि पिछले वर्ष राज्य के कई जिलों में बाढ़ आई थी। सरकार ने जिलों से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामग्री भेजने को कहा था। इसके बाद जिले से पूर्णिया, भोजपुर समेत कई जिलों में राहत सामग्री भेजी गई। इसकी लेखापरीक्षा में कई गड़बडिय़ां सामने आ रहीं। 

इस तरह की गड़बडिय़ां आईं सामने

- भेजी जाने वाली सामग्री में चूड़ा, गुड़, सत्तू आदि कितनी खरीदी गई यह अंकित नहीं है। मात्रा 35,500 क्विंटल दर्ज है। इससे वास्तविक रूप से यह पता नहीं चल रहा कि कितनी मात्रा में खरीद हुई। इसी तरह माचिस, मोमबत्ती, चाकू, झोला आदि की दर सामान्य व उच्च अंकित है। किस तरह की सामग्री खरीदी गई इसका जिक्र नहीं है। मगर, सभी का भुगतान उत्तर श्रेणी में किया गया है।

- सत्तू की खरीद पैकेट या क्विंटल में की गई। इसका जिक्र नहीं। हालांकि, इसकी पैकिंग के लिए मजदूरों को जिला नजारत से भुगतान किया गया है।

- आपदा प्रबंधन विभाग से बच्चों के दूध का पावडर व टॉर्च (बैट्री रहित) खरीदा गया था। मगर, इसे भी राहत के पैकेट में क्यों नहीं डाला गया।

- जब सामान्य किस्म की सामग्री खरीदी गई तो उसका भुगतान उच्च श्रेणी में कैसे की गई।

- जब कहीं किलोग्राम या क्विंटल नहीं अंकित है तो कैसे लिखा गया कि निर्धारित मात्रा इतनी है।

सामान खरीद स्टॉक  में ही रख दिया

सीएजी की लेखा परीक्षा में यह बात भी सामने आई कि सामान खरीद लिए गए। मगर, उसे स्टॉक में ही रख दिया गया। इससे उसकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही। सीएजी ने यह सवाल भी उठाया कि इतनी सामग्री क्यों खरीदी गई। जो सूची दी गई उसके अनुसार 906 तारपोलीन शीट्स की खरीद हुई। इसमें सौ का ही इस्तेमाल हुआ। 232 लाइफ जैकेट खरीदे गए। इसमें 132 ही उपयोग में लाए गए। इसी तरह पॉलीथीन शीट्स व टेंट भी अधिक खरीद लिए गए। इससे उसका इस्तेमाल नहीं हो सका। 

संचिका में पाया गया 30 हजार का ड्राफ्ट

लेखा परीक्षा में यह बात भी सामने आई कि बर्तन खरीद के लिए दिए जाने वाले दस-दस हजार के तीन बैंक ड्राफ्ट संचिका में थी। इसपर भी आपत्ति जताई गई।

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