भूटान राजघराना के बच्चे को आई पूर्वजन्म की याद, कहा- नालंदा विवि का था छात्र

भूटान की राजमाता दोजी आंग्मो नालंदा के भग्नावशेष देखने बिहार के राजगीर आईं हैं। उन्होंने कहा कि उनका नाती पूर्वजन्म में नालंदा विवि का छात्र था। वह यहां की बातें बताता है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sun, 01 Jan 2017 12:04 PM (IST) Updated:Mon, 02 Jan 2017 10:30 PM (IST)
भूटान राजघराना के बच्चे को आई पूर्वजन्म की याद, कहा- नालंदा विवि का था छात्र

पटना [अमित आलोक]। भूटान की राजमाता दोजी आंग्मो आंग्चुक के अनुसार उनके नाती जिग्मी जिग्तेन आंग्चुक ने पूर्वजन्म में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में पढ़ाई की थी। उसे साथ लेकर नालंदा के खंडहर में पहुंची राजमाता ने बताया कि उसने विभिन्न अवशेषों और संरचनाओं के बारे में बताया। यह भी बताया कि पिछले जन्म में वह किस कमरे में पढ़ाई करता था।

भूटान की राजमाता दोजी आंग्मो आंग्चुक नालंदा के विशेष दर्शन पर आयीं हैं। उनके साथ उनका तीन साल का नाती जिग्मी जिग्तेन आंग्चुक तथा उसकी मां सोनम देझेन आंगचुक भी हैं। नालंदा के खंडहरों को देखकर लौटीं राजमाता ने बताया कि उनका नाती जब एक साल का था तभी से प्राचीन नालंदा विवि का नाम लेता था। जब कुछ बड़ा हुआ तब बताया कि पिछले जन्म में उसने यहां पढ़ाई की है।

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राजमाता के अनुसार नालंदा के खंडहर में जाते ही नाती जिग्मी जिग्तेन ने अजीव गतिविधि शुरू कर दी। वह खंडहर की संरचनाओं के बारे में बताने लगा। यहां तक कि उसने यह भी बताया कि पिछले जन्म में वह किस कमरे में पढ़ाई करता था। उसने काफी भाग-दौड़ कर कमरे का भग्नावशेष खोजा।

राजमाता के अनुसार उनका नाती आठवीं सदी पूर्व बौद्ध काल में नालंदा विश्वविद्यालय में अध्ययन करने वाले विरोचना नामक छात्र के अवतार है। उनके नाती ने नालंदा के खंडहरों को देखे बिना भूटान में जैसा बताया था, वैसा ही मिला। स्तूप सहित कई ऐसी संरचनाएं देखने को मिलीं, जिनके बारे में वह भूटान में बताता था। वह एक रास्ते और ऊंची जगह के बारे में बताता था, जिसे उसने यहां आकर खोज लिया।

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राजमाता ने राजगीर भ्रमण के बाद कहा कि यहां के जर्रे-जर्रे में भगवान बुद्ध के उपदेश हैं। यह विश्व विरासत का अनोखा स्थल है। एतिहासिक व पुरातात्विक स्थलों के अलावे यहां की नैसर्गिक छटा भी दर्शनीय है।

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