रालोसपा में दिख रहे टूट के आसार, बागी सांसद अरुण कुमार बनाएंगे नई पार्टी!
लोकसभा चुनाव को देखते हुए रालोसपा में भी दो फाडड़ होने के संकेत मिल रहे है। जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार रालोसपा से हटकर अपनी एक नई पार्टी बनाएंगे।
पटना [जेएनएन]। लोकसभा चुनाव में महज एक साल से भी कम का समय है। ऐसी स्थिति में देश भर में सीटों की गिनती और आपसी मतभेद, दोस्ताना रिश्ते खूब सामने देखने के मिल रहे है। लिहाजा राजनीतिक दल और राजनेता भावी रणनीति को लेकर अपनी अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। बिहार भी इस सियासी हलचल से अछूता नहीं है।
लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एक और सियासी धमाका मिलने के संकेत मिल रहे है। जहानाबाद के सासद और रालोसपा (अरुण गुट) के अध्यक्ष अरुण कुमार अब बिहार की सियासत में नया धमाका करने की तैयारी में हैं। सूत्रों के मुताबिक, 28 जून को एक नई पार्टी का एलान होने वाला है। यह पार्टी अरुण कुमार की ही देखरेख में चलेगी।
सूत्रों के मुताबिक, अगले 28 जून को पटना के एसके मेमोरियल हाल में एक बड़े कार्यक्रम में नई पार्टी के गठन का औपचारिक एलान किया जाएगा। नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्युलर) होगा। अरुण कुमार के करीबी और पूर्व विधान पार्षद अजय सिंह अलमस्त इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे जबकि ओम प्रकाश बिंद पार्टी के बिहार अध्यक्ष होंगे।
अजय सिंह अलमस्त अरुण कुमार के सबसे भरोसेमंद माने जाते हैं। उनका राजनीतिक इतिहास रहा है। वो खुद विधानपार्षद रहे हैं। बिहार में अजय सिंह अलमस्त और उनके पिता का काफी प्रभाव रहा है। अलमस्त पिछड़ी जाति के कुशवाहा समाज से ही आते हैं, लिहाजा उन्हें पार्टी की कमान सौंपकर कोशिश कुशवाहा समाज में पार्टी की पैठ बनाने की है। इसके अलावा ओमप्रकाश बिंद जो कि अतिपिछड़ी जाति से आते हैं, उन्हें बिहार प्रदेश की कमान सौंपकर अति पिछड़ी जातियों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश हो रही है।
रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी कुशवाहा समाज से ही आते हैं। उपेंद्र कुशवाहा के साथ अरुण कुमार की अदावत जगजाहिर है। उपेंद्र कुशवाहा और अरुण कुमार ने मिलकर ही 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले रालोसपा की स्थापना की थी। उस वक्त उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अरुण कुमार बिहार प्रदेश के अध्यक्ष बनाए गए थे। उस वक्त पहली बार पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। तीनों सीटों पर ही पार्टी को जीत मिली थी।
उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से जबकि अरुण कुमार जहानाबाद से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। सीतामढ़ी की तीसरी सीट पर भी रामकुमार वर्मा ने जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नई सरकार में उपेंद्र कुशवाहा को राज्य मंत्री बनाया गया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी उनके पास ही रहा। आगे चलकर पार्टी के दोनों नेताओं में अनबन के बाद उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली रालोसपा ने अरुण कुमार को पार्टी से निलंबित कर दिया, जिसके बाद से ही अरुण कुमार राजग के भीतर रहते हुए अपने-आप को खड़ा करने में लगे है।
हालांकि, अभी असली रालोसपा को लेकर दोनों पक्ष अपना-अपना दावा करते रहे हैं। अभी अरुण कुमार अपने-आप को रालोसपा (अरुण गुट) के अध्यक्ष के तौर पर ही दावा करते रहे हैं। अरुण गुट के मुताबिक अभी रालोसपा पर दावे को लेकर मामला चुनाव आयोग में लंबित है। लेकिन, उससे पहले अरुण कुमार की तरफ से नई पार्टी बनाकर एक नए विकल्प की कोशिश की जा रही है।
लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में एक और सियासी धमाका मिलने के संकेत मिल रहे है। जहानाबाद के सासद और रालोसपा (अरुण गुट) के अध्यक्ष अरुण कुमार अब बिहार की सियासत में नया धमाका करने की तैयारी में हैं। सूत्रों के मुताबिक, 28 जून को एक नई पार्टी का एलान होने वाला है। यह पार्टी अरुण कुमार की ही देखरेख में चलेगी।
सूत्रों के मुताबिक, अगले 28 जून को पटना के एसके मेमोरियल हाल में एक बड़े कार्यक्रम में नई पार्टी के गठन का औपचारिक एलान किया जाएगा। नई पार्टी का नाम राष्ट्रीय समता पार्टी (सेक्युलर) होगा। अरुण कुमार के करीबी और पूर्व विधान पार्षद अजय सिंह अलमस्त इस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष होंगे जबकि ओम प्रकाश बिंद पार्टी के बिहार अध्यक्ष होंगे।
अजय सिंह अलमस्त अरुण कुमार के सबसे भरोसेमंद माने जाते हैं। उनका राजनीतिक इतिहास रहा है। वो खुद विधानपार्षद रहे हैं। बिहार में अजय सिंह अलमस्त और उनके पिता का काफी प्रभाव रहा है। अलमस्त पिछड़ी जाति के कुशवाहा समाज से ही आते हैं, लिहाजा उन्हें पार्टी की कमान सौंपकर कोशिश कुशवाहा समाज में पार्टी की पैठ बनाने की है। इसके अलावा ओमप्रकाश बिंद जो कि अतिपिछड़ी जाति से आते हैं, उन्हें बिहार प्रदेश की कमान सौंपकर अति पिछड़ी जातियों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश हो रही है।
रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी कुशवाहा समाज से ही आते हैं। उपेंद्र कुशवाहा के साथ अरुण कुमार की अदावत जगजाहिर है। उपेंद्र कुशवाहा और अरुण कुमार ने मिलकर ही 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले रालोसपा की स्थापना की थी। उस वक्त उपेंद्र कुशवाहा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और अरुण कुमार बिहार प्रदेश के अध्यक्ष बनाए गए थे। उस वक्त पहली बार पार्टी ने भाजपा के साथ मिलकर तीन लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था। तीनों सीटों पर ही पार्टी को जीत मिली थी।
उपेंद्र कुशवाहा काराकाट से जबकि अरुण कुमार जहानाबाद से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। सीतामढ़ी की तीसरी सीट पर भी रामकुमार वर्मा ने जीत दर्ज की थी। लोकसभा चुनाव जीतने के बाद नई सरकार में उपेंद्र कुशवाहा को राज्य मंत्री बनाया गया था। राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद भी उनके पास ही रहा। आगे चलकर पार्टी के दोनों नेताओं में अनबन के बाद उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली रालोसपा ने अरुण कुमार को पार्टी से निलंबित कर दिया, जिसके बाद से ही अरुण कुमार राजग के भीतर रहते हुए अपने-आप को खड़ा करने में लगे है।
हालांकि, अभी असली रालोसपा को लेकर दोनों पक्ष अपना-अपना दावा करते रहे हैं। अभी अरुण कुमार अपने-आप को रालोसपा (अरुण गुट) के अध्यक्ष के तौर पर ही दावा करते रहे हैं। अरुण गुट के मुताबिक अभी रालोसपा पर दावे को लेकर मामला चुनाव आयोग में लंबित है। लेकिन, उससे पहले अरुण कुमार की तरफ से नई पार्टी बनाकर एक नए विकल्प की कोशिश की जा रही है।