महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर तकरार तय, घटक दलों को चाहिए RJD से कुर्बानी

लोकसभा चुनाव के पहले महागठबंधन में सीटों के दावेदार बढ़ गए हैं। ऐसे में सबसे बड़े दल राजद के लिए ऑल इज वेल नहीं है। उसे घटक दलों की मांग पर राजग की तरह त्‍याग करना पड़ सकता है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Sun, 28 Oct 2018 11:48 AM (IST) Updated:Sun, 28 Oct 2018 11:48 AM (IST)
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर तकरार तय, घटक दलों को चाहिए RJD से कुर्बानी
महागठबंधन में सीट शेयरिंग पर तकरार तय, घटक दलों को चाहिए RJD से कुर्बानी

पटना [अरविंद शर्मा]। बिहार में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में सीट बंटवारे का फॉर्मूला तय होने के साथ ही विपक्षी महागठबंधन के घटक दलों में भी बेचैनी और दावेदारी उफान पर है। महागठबंधन के अन्य घटक दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तरह राष्‍ट्रीय जनता दल (राजद) से भी कुर्बानी की मांग करने लगे हैं। हालांकि, राजद ने स्‍पष्‍ट कर दिया है कि सीट बंटवारे के फॉर्मूले पर अंतिम मुहर लालू व तेजस्‍वी ही लगाएंगे।

महागठबंधन में राजद सबसे बड़ा दल है, जिसने पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ा था। राजद को चार सीटें मिली थीं और 21 सीटों पर उसके प्रत्याशी दूसरे नंबर पर रहे थे। कांग्रेस के हिस्से में भी दो सीटें आई थीं और आठ सीटों पर उसके प्रत्याशियों ने कड़ी टक्कर दी थी। लेकिन इस बार परिस्थितियां भिन्‍न हैं।

बढ़ गए हैं सीटों के दावेदार

राजद-कांग्रेस के अलावा तीन वामपंथी दल और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) से निकाले गए शरद यादव की नई पार्टी भी जुडऩे के लिए बेताब हैं। राजग में सीट बंटवारे से असंतुष्ट राष्‍ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी महागठबंधन में दस्तक दे रहे हैं। जाहिर है, दलों के साथ सीटों के दावेदार भी बढ़ गए हैं।

कांग्रेस का कद भी बढ़ा

पिछली बार की तुलना में कांग्रेस का कद भी बढ़ गया है। बिहार में पहले वह चार विधायकों की पार्टी थी। अब 27 विधायकों वाली असरदार पार्टी बन गई है। नए प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा को बिहार में पार्टी को विस्तार देना हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद ने कांग्रेस को गठबंधन के तहत 12 सीटें दी थीं। अबकी बार की अलग बात है।

राजद से बराबरी चाहती कांग्रेस

भाजपा की तरह राजद से भी कांग्रेस के नए नेतृत्व को कुर्बानी की अपेक्षा है। राजद के साथ वह बराबरी के आधार पर सीटों का बंटवारा चाह रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्‍यक्ष मदन मोदहन झा महागठबंधन में सीटों को लेकर किसी समस्‍या से इनकार करते हैं, लेकिन प्रदेश के कार्यकारी अध्‍यक्ष 20:20 फॉर्मूला सुझा रहे हैं। कहते हैं कि पहले राजद व कांग्रेस आपस में 20-20 सीटें बांटें, इसके बाद तय होगा कि अन्‍य दलों के लिए कौन कितना त्‍याग करेगा।

सहयोगियों को भी चाहिए सीटें

कांग्रेस कुछ भी कहे, महागठबंधन में अन्‍य दल भी हैं। हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा (हम) प्रमुख जीतनराम मांझी को भी गया समेत कम से कम तीन सीटें चाहिए। भारतीय कम्‍युनिष्‍ट पार्टी (भाकपा) को बेगूसराय कन्हैया के लिए भी सीट चाहिए। माले की पटना या आरा पर प्रबल दावेदारी है। मार्क्‍सवादी कम्‍युनिष्‍ट पार्टी (माकपा) को नवादा किसी भी हाल में चाहिए।

दावेदारी इससे भी ज्यादा है। शरद यादव को भी खुद के लिए मधेपुरा चाहिए और तीन सहयोगियों रमई राम, उदय नारायण चौधरी, अली अनवर और अर्जुन राय के लिए सीटें चाहिए। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष देवेंद्र प्रसाद यादव को भी संसद जाना है।

बंटवारे पर तकरार तय

ऐसे में महागठबंधन में भी सीट बंटवारे पर तकरार तय है। सबसे बड़े घटक दल राजद के सामने असमंजस है कि वह किसे कितनी सीटें दे और खुद के लिए कितनी सीटें रखे। हालांकि, राजद महागठबंधन में बड़ा भाई की भूमिका छोड़ने को तैयार नहीं दिख रहा। राजद नेता एज्‍या यादव कहतीं हैं कि सीटों के बंटवारे पर अंतिम फैसला राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव व नेता प्रतिपक्ष तेजस्‍वी यादव करेंगे।

कांग्रेस के प्रभाव वाली सीटें

सुपौल और किशनगंज की सीटें कसंग्रेस के कब्जे में हैं। तारिक अनवर के कांग्रेस में शामिल होने के बाद अब उनकी सीट कटिहार भी कांग्रेस की मानी जाएगी। इसके अलावा वाल्मीकिनगर, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, हाजीपुर, समस्तीपुर, पटना साहिब, सासाराम एवं औरंगाबाद में कांग्रेस बीते चुनाव में दूसरे नंबर पर थी।

राजद के प्रभाव वाली सीटें

बीते चुनाव में अररिया, मधेपुरा, भागलपुर और बांका पर राजद को जीत मिली थी। पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, झंझारपुर, दरभंगा, वैशाली, सिवान, महाराजगंज, सारण, उजियारपुर, बेगूसराय, खगडिय़ा, पाटलिपुत्र, आरा, बक्सर, काराकाट, जहानाबाद, गया, नवादा और जमुई पर राजद के प्रत्याशी दूसरे नंबर पर थे।

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