बिहार में पहला इंजीनियरिंग यूनिवर्सिटी खोलने की तैयारी पूरी , अब सीएम से ली जाएगी मंजूरी
इसी साल इंजीनियरिंग विवि खोलने के लिए बिहार विधानसभा के इसी बजट सत्र में लाया जाएगा विधेयक । नये विश्वविद्यालय के अधीन सरकारी एवं निजी तकनीकी संस्थान होंगे । एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई की मुकम्मल व्यवस्था होगी । 11 विभाग खोले जाएंगे और 165 नए पद सृजित होंगे।
पटना, दीनानाथ साहनी । बिहार के पहले इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थापना इसी साल होने जा रही है। प्रदेश में तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देने में जुटी सरकार के स्तर से इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए कवायद तेज हो गई है। विधानसभा के इसी बजट सत्र में विधेयक लाने की तैयारी हो रही है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया गया है। प्रस्ताव का प्रेजेंटेशन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने होगा। मुख्यमंत्री से प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद कैबिनेट में भेजा जाएगा। नए विश्वविद्यालय में 11 विभाग होंगे। कुलपति, प्रति कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियंत्रक, सहायक परीक्षा नियंत्रक, लेखा अधिकारी समेत 165 पद सृजित होंगे।
नय तकनीकी संस्थानों को संबद्धता देने का होगा अधिकार
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के अधीन सभी इंजीनियरिंग कॉलेज एवं पॉलिटेक्निक आते हैं। यहां तक कि इसी विश्वविद्यालय के अधीन सभी मेडिकल कॉलेज भी हैं। नए इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थापना से प्रदेश में तकनीकी शिक्षा का विकास करने और सुधार लाने में काफी मदद मिलेगी। नये विश्वविद्यालय को तकनीकी संस्थानों को संबद्धता देने और नियंत्रण रखने का अधिकार होगा। प्रदेश के सभी सरकारी 38 इंजीनियरिंग कॉलेज और 44 पॉलीटेक्निक समेत निजी तकनीकी संस्थान इसके अधीन होंगे।
एआइसटीई से और सहूलियतें मिलेंगी
एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि मौजूदा समय में एमआइटी, मुजफ्फरपुर में एमटेक की पढ़ाई की व्यवस्था है। जबकि ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने लोकनायक जयप्रकाश इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (छपरा), मोतिहारी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, गया इंजीनियरिंग कॉलेज, दरभंगा इंजीनियरिंग कॉलेज, नालन्दा कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग (चंडी), भागलपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में एमटेक की पढ़ाई संचालित करने की मंजूरी दे दी है। इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थापना से एआइसीटीई द्वारा और सहूलियतें दी जाएंगी। नए सिरे से उनकी सीटें तय की जा सकती है और उसमें 15 से 20 फीसद सीटों की बढ़ोतरी भी हो सकती है। नये विश्वविद्यालय में एमटेक और पीएचडी की पढ़ाई की मुकम्मल व्यवस्था होगी। एआइसीटीई के प्रावधान के मुताबिक किसी भी राज्य में तकनीकी शिक्षा के लिए अलग से विश्वविद्यालय का होना आवश्यक है। दूसरे राज्यों में तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति भी तकनीकी शिक्षा के क्षेत्र के विशेषज्ञ एवं शिक्षाविद् होते हैं, जो इंजीनियरिंग एवं पॉलीटेक्निक संस्थानों के संचालन एवं अनुश्रवण में अपने विशेष योग्यता से अहम भूमिका निभाते हैं। इसीलिए बिहार सरकार के स्तर से इंजीनियरिंग विश्वविद्यालय की स्थापना करने का फैसला लिया गया है।