Lok Sabha Election: मधेपुरा में दांव पर शरद की प्रतिष्‍ठा, रिश्‍तों की दुहाई दे रहे दिग्‍गज

Lok Sabha Election बिहार के मधेपुरा में शरद यादव को स्‍थानीय सांसद पप्‍पू यादव टक्‍कर दे रहे हैं। मुकाबला त्रिकोणीय है। शरद के कारण इस हाई प्रोफाइल सीट पर पूरे देश की नजर है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Fri, 19 Apr 2019 10:05 AM (IST) Updated:Fri, 19 Apr 2019 10:17 PM (IST)
Lok Sabha Election: मधेपुरा में दांव पर शरद की प्रतिष्‍ठा, रिश्‍तों की दुहाई दे रहे दिग्‍गज
Lok Sabha Election: मधेपुरा में दांव पर शरद की प्रतिष्‍ठा, रिश्‍तों की दुहाई दे रहे दिग्‍गज

मधेपुरा [दीनानाथ साहनी]। बेशक मधेपुरा हाई-प्रोफ्राइल सीट है, लेकिन इस बार यहां न कोई मुद्दा है, न कोई दागी और न ही बागी। मसला सिर्फ मोदी या माद्दा है। यादव बहुल इस संसदीय क्षेत्र में वोटरों के रुख पर पर ही दिग्गजों का भाग्‍य टिका है। मुकाबला त्रिकोणीय है और तीनों दिग्गज एक ही बिरादरी के हैं। यहां देश के दिग्‍गज राजनीतिज्ञों में शुमार शरद यादव की प्रतिष्‍ठा दांव पर लगी है।
चुनावी जंग में उम्मीदवारों को अपने पुराने संबंधों और रिश्तों की बात तक करनी पड़ रही है। परेशानी यह कि अपनों का अंदाज अब बेगानों जैसा हो गया है। मतदाता कह रहे हैं कि बेगानी शादी में अब अब्दुला दीवाना नहीं बनेगा।
उलट गए जातीय गणित के सूत्र
मधेपुरा में राजनीतक अवसरवाद ने इस बार जातीय गणित के कुछ आजमाए सूत्र को भी उलट-पलट दिए हैं। 2014 के चुनाव में यहां से राष्‍ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर निर्वािचत हुए राजीव रंजन उर्फ पप्पू यादव इस बार अपने दल जन अधिकार पार्टी (JAP) के उम्मीदवार हैं। पिछली बार उन्‍होंने जनता दल यूनाइटेड (JDU) के उम्मीदवार शरद यादव को हराया था।

गुरु-शिष्य की जंग में पप्पू ने संभाला मोर्चा
इस बार जदयू छोड़ चुके शरद यादव महागठबंधन की ओर से राजद के उम्मीदवार हैं। 'उसूलों को मारो गोली' वाले राजनीतिक दौर में सियासत की इस उलटचाल से जहां पप्पू यादव के समर्थकों के चेहरे का चुनावी रंग उड़ा हुआ है, वहीं शरद यादव के ही शिष्य रहे दिनेश चंद्र यादव राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ओर से जेडीयू के उम्मीदवार हैं, जो उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं। गुरु-शिष्य के बीच इस चुनावी जंग में पप्पू यादव ने अपने ही अंदाज में मोर्चा संभाल रखा है।
पुरानों रिश्तों की दुहाई दे रहे दिग्‍गज
मजेदार बात यह कि तीन दिग्गजों को जनता के बीच जाकर अपने पुरानों रिश्तों की दुहाई देनी पड़ रही है। दिनेश चंद्र यादव कोसी क्षेत्र से ही आते हैं और नीतीश सरकार में मंत्री हैं। सो इलाके के विभिन्न तबकों में उनकी भी खास बैठ है।
अब खराब नहीं होगा वोट
यादव समाज से तीन दिग्गजों की आपसी भिड़ंत के कारण मधेपुरा में जातिगत और भावनात्मक संदेश फैलाए जा रहे, जो सबसे अनुकूल चुनावी समीकरण के तौर पर उभरने लगे हैं। 12 फीसद मुस्लिम मतदाता किधर जाएंगे? इस बार यह तय है कि वे अपना वोट खराब नहीं करेंगे। डॉ. नेसार अहमद कहते हैं कि बेगानी शादी में अब अब्दुला दीवाना नहीं बनेगा। ऐसे में एनडीए के लिए मतदाताओं के सम्मलित रुझान को मोदी मुहिम के बूते ताकतवर बनाने में दिनेश चंद्र यादव के समर्थक जुटे हुए हैं। एनडीए और महागठबंधन की इस तगड़ी लड़ाई को पप्पू यादव और उनके समर्थक त्रिकोणीय बनाने की पुरजोर कोशिश कर रहे।
वादे अधूरे पर वोट चाहिए
आप मधेपुरा इलाके में लंबी दूरी तय करेंगे तो कुछ स्थानों पर चुनावी तैयारी होती दिखेगी। कहीं-कहीं घरों पर विभिन्‍न दलों के झंडे दिखेंगे और कभी-कभार नेताओं का काफिला आता-जाता नजर आाएगा। प्रो. केपी यादव कहते हैं कि 2008 में कुसहा बांध के टूटने से जो तबाही मची थी, उसके बाद रहनुमाओं ने खूब वादे किए थे। वादे पूरे नहीं हुए। हजारों एकड़ जमीन बालू भरने से बंजर हो गई। किसान और मजदूर बेहाल हैं, लेकिन रहनुमाओं को वोट चाहिए।

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