Rahul Gandhi: राहुल गांधी के मसले पर बिहार में भी सियासत, कांग्रेस और माले ने विधानसभा में की नारेबाजी
विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार है पर वह न्यायालय से जुड़े इस विषय पर बहस की अनुमति नहीं देंगे। नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि ऐसा होगा तो परंपरा टूटेगी शांति बरकरार नहीं रह पाएगी।
राज्य ब्यूरो, पटना। राहुल गांधी के मसले पर बिहार विधानसभा में शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। प्रश्नकाल आरंभ होते हुए कांग्रेस एवं भाकपा (माले) के सदस्य विधानसभा अध्यक्ष के आसन के समक्ष (वेल में) आ गए।
उन्होंने केंद्र की सरकार को कोसते हुए नारेबाजी कर दी। उन्होंने मोदी हटाओ, देश बचाओ के नारे लगाए। भाजपा ने इसका तल्ख अंदाज में प्रतिकार किया।
नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा ने कहा कि ऐसा होगा तो परंपरा टूटेगी, शांति बरकरार नहीं रह पाएगी।
विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने कहा कि किसी को भी अपनी बात रखने का अधिकार है, पर वह न्यायालय से जुड़े इस विषय पर बहस की अनुमति नहीं देंगे।
आसन के पास आए भाकपा (माले) और कांग्रेस के विधायकों को विधानसभा अध्यक्ष ने अपनी बात कहने की अनुमति दी।
भाकपा (माले) के महबूब आलम ने कहा कि विपक्ष का गला घोंटा जा रहा है। बोलने की स्वतंत्रता पर प्रहार हो रहा है।
राहुल गांधी के साथ साजिश की गई है। कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रहार हो रहा है।
इस मसले पर सदन में चर्चा कराई जाए। इस क्रम में मोदी के नाम पर भाजपा के लोग भी उग्र होकर अध्यक्ष के आसन के समक्ष आ गए और रिपोर्टर टेबल को पीटा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मोदी के नाम पर सदन में हंगामा स्वीकार्य नहीं। संविधान में विश्वास नहीं तो हर फैसले को मोदी से जोड़ लेते हैं।
जदयू अध्यक्ष ने केंद्र पर साधा निशाना
इधर, राहुल गांधी के मामले को लेकर जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने भी केंद्र पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि हड़बड़ी में कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी की लोकसभा से सदस्यता समाप्त करने के निर्णय से स्पष्ट हो गया है कि केन्द्र की बीजेपी सरकार बदले की भावना से कार्रवाई कर रही है और इसकी पूरी पटकथा बीजेपी ने लिखी है।
सूरत के सत्र न्यायालय द्वारा अपील के लिए दिए गए एक महीने के समय को दरकिनार करते हुए आनन-फानन में भाजपा सरकार द्वारा लिया गया निर्णय बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है।
काश केंद्र की सरकार ₹ 81000 करोड़ के कॉपरपोरेट घोटाले के विरुद्ध ऐसी ही त्वरित कार्रवाई करती...! संभव है इसके जांच की मांग का खामियाजा राहुल गांधी को उठाना पड़ा...!