कमलनाथ को खुली चुनौती-टैलेंट है तो, मध्य प्रदेश वाले भी ले सकते हैं बिहार में नौकरी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बिहारी प्रतिभा को लेकर विवादास्पद बयान दिया है। उनके बयान पर सियासत तेज है। जानिए मध्यप्रदेश को क्या मिला है चैलेंज...

By Kajal KumariEdited By: Publish:Fri, 21 Dec 2018 09:45 AM (IST) Updated:Fri, 21 Dec 2018 02:20 PM (IST)
कमलनाथ को खुली चुनौती-टैलेंट है तो, मध्य प्रदेश वाले भी ले सकते हैं बिहार में नौकरी
कमलनाथ को खुली चुनौती-टैलेंट है तो, मध्य प्रदेश वाले भी ले सकते हैं बिहार में नौकरी

पटना, अरविंद शर्मा। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कमलनाथ की तरह बिहार नहीं सोचता है। प्रतिभावान बेरोजगारों के लिए बिहार ने अपने दरवाजे को खुला रखा है। मेधा है तो मध्य प्रदेश वाले भी आएं और बिहार में नौकरी पाएं।

कमलनाथ के बिहार और उत्तर प्रदेश विरोधी बयान के बाद सियासी बवाल है। बयान को बिहारी प्रतिभा के साथ भेदभाव के रूप में देखा जा रहा है। कमलनाथ बिहारी प्रतिभाओं से खतरा महसूस कर सकते हैं, किंतु बिहार को किसी से कोई खतरा नहीं है। शायद इसीलिए मध्य प्रदेश एवं अन्य राज्यों की तरह बिहार ने अपनी कोई स्थानीय नीति नहीं बनाई है।

राज्य लोकसेवा आयोग की परीक्षाओं में मेधा के मुताबिक ही सभी प्रदेशों के लोग नौकरी पा रहे हैं। तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश जैसे कई राज्यों ने स्थानीय नीति बनाकर राज्य सरकार के अधीन नौकरियों में स्थानीय बेरोजगारों के लिए कोटा तय कर दिया है।

दूसरे राज्य तो अब निजी सेक्टर की नौकरियों में भी स्थानीय लोगों के लिए आरक्षण की तैयारी कर रहे हैं। किंतु बिहार ने अभीतक ऐसी कोई नीति नहीं बनाई है। निजी सेक्टर की बात तो दूर, राज्य सरकार की सेवाओं में भी सबके लिए विकल्प खुला रखा है। यही कारण है कि बिहार लोकसेवा आयोग द्वारा ली गई अध्यापक भर्ती परीक्षा में प्रतिभा को तरजीह दी गई।

कई विषयों में बिहार के अभ्यर्थियों की तुलना में दूसरे प्रदेश के लोगों ने नौकरी ले ली। अंग्रेजी विषय में 80 फीसद अभ्यर्थी केरल के सफल हुए थे। इसी तरह दर्शन शास्त्र में 80 फीसद और फिजिक्स में 65 फीसद पश्चिम बंगाल के हैं। यहां तक कि मैथिली भाषा में भी 25 फीसद से अधिक दूसरे प्रदेश के अभ्यर्थी ही बाजी मार ले गए, जबकि बिहार के बाहर इस भाषा का अस्तित्व न के बराबर है।

मप्र के सीएम के बयान पर उठा मुद्दा

महागठबंधन सरकार के दौरान राजद विधायक भोला यादव की पहल पर विधानसभा में इस मामले को उठाया गया था। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने भी प्रेस कान्फ्रेंस करके राज्य सरकार से बिहार सरकार की नौकरियों में 80 फीसद स्थानीय कोटा तय करने मांग की थी।

तब विपक्ष में बैठी भाजपा के प्रमुख नेता सुशील कुमार मोदी ने भी लालू की मांग का समर्थन किया था। किंतु समय के साथ सबकुछ अतीत हो गया। अब कमलनाथ के बयान के बाद बिहार में यह मुद्दा फिर जोर पकड़ सकता है।

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