Pitru Paksha 2020: पितरों को तिल-जौ से तर्पण शुरू, जानिए पूजा विधान व महत्‍वपूर्ण तिथियां

Pitru Paksha 2020 पितृपक्ष शुरू हो गया है। पितृपक्ष के दौरान पितरों को जल व तिल से तर्पण करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीष परिवार को मिलता है।

By Amit AlokEdited By: Publish:Wed, 02 Sep 2020 07:37 AM (IST) Updated:Fri, 04 Sep 2020 04:55 PM (IST)
Pitru Paksha 2020: पितरों को तिल-जौ से तर्पण शुरू, जानिए पूजा विधान व महत्‍वपूर्ण तिथियां
Pitru Paksha 2020: पितरों को तिल-जौ से तर्पण शुरू, जानिए पूजा विधान व महत्‍वपूर्ण तिथियां

पटना, जेएनएन। Pitru Paksha 2020: भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा (बुधवार) को देव-ऋषि को तर्पण करने के साथ पितृपक्ष आरंभ हो गया। श्रद्धालु गुरुवार से अपने पितरों को तिल, जौ से तर्पण कर उनका आशीष प्राप्त कर रहे हैं। इस साल कोरोना संक्रमण के कारण गया और पुनपुन में पितृपक्ष मेला का आयोजन नहीं किया जा रहा है। इसका समापन 17 सितंबर को होगा। पितरों को जल और तिल से तर्पण करने से उनकी आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीष परिवार पर बना रहता है। पितरों के तर्पण का कार्य गंगा तट, नदी, तालाब में करने का विधान है। पटना के पंडित राकेश झा ने बताया कि कुंडली से पितृदोष की शांति, पुरखों का आशीष एवं पितरों की तृप्ति के लिए गुरुवार से तर्पण का कार्य आरंभ हो गया है।

मान्‍यता है कि वंशजों के समीप आते हैं पूर्वज

मान्‍यता है कि अश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पूरे 15 दिनों तक यमराज पितरों को मुक्त करते हैं। इसके बाद सभी पितर अपने-अपने हिस्से का ग्रास लेने के लिए अपने वंशजों के समीप आते हैं, जिससे उन्हें आत्मिक शांति प्राप्त होती है।

17 सितंबर को सर्वपितृ अमावस्या, पितृ विसर्जन

आचार्य पीके युग ने बताया कि पितृपक्ष के दौरान सर्वपितृ अमावस्या का विशेष महत्व है। जिन लोगों को अपने पितरों के मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है वे सर्वपितृ अमावस्या के दिन अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण कर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें। सर्वपितृ अमावस्या 17 सितंबर को है। 17 सितंबर को पितृ विसर्जन का महालया पर्व संपन्न होगा। इस तिथि को सूर्योदय से लेकर शाम 4:56 बजे तक पितरों का तर्पण कर ब्राह्मण को दान-पुण्य कर आशीष प्राप्त कर सकते हैं।

नहीं लग रहे गया और पुनपुन के पितृपक्ष मेले

लॉकडाउन के कारण इस बार गया और पुनपुन में पितृपक्ष मेला नहीं लग रहा है। श्रद्धालुओं को इन तीर्थों में पिंडदान और तर्पण का मौका इस साल नहीं मिलेगा। बेहतर होगा कि इस बार अपने घर में या बगल के किसी जलाशय के पास ही तर्पण कर लें। भीड़ वाले स्थलों पर जाने से बचना बेहतर होगा।

पितृपक्ष की तिथियां, एक नजर

अगस्त्य ऋषि तर्पण- बुधवार, 02 सितंबर

पितृपक्ष आरंभ (प्रतिपदा) - गुरुवार, 03 सितंबर

चतुर्थी श्राद्ध - रविवार, 6 सितंबर

मातृ नवमी - शुक्रवार, 11 सितंबर

इंदिरा एकादशी- रविवार, 13 सितंबर

चतुर्दशी श्राद्ध- बुधवार, 16 सितंबर

अमावस्या, महालया व सर्वपितृ विसर्जन - गुरुवार, 17 सितंबर

मलमास आरंभ- 17 सितम्बर शाम 04:56 से 16 अक्टूबर तक

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