पटना में अमिताभ की तरह बाल रखने वाले युवक से लोग परेशान, 'बच्चन' और थानेदार के कारनामों से पुलिस हैरान

बिग बी अमिताभ बच्चन की तरह हेयर स्टाइल रखने वाले एक युवक से पटना सिटी के लोग परेशान हैं। यह गुंडा नहीं है। थानों का दलाल है। एक थानेदार और बच्चन की जोड़ी के कारनामे जब पुलिस मुख्यालय पहुंचे तो अधिकारी दंग रह गए।

By Prashant KumarEdited By: Publish:Fri, 18 Nov 2022 05:12 PM (IST) Updated:Fri, 18 Nov 2022 05:12 PM (IST)
पटना में अमिताभ की तरह बाल रखने वाले युवक से लोग परेशान, 'बच्चन' और थानेदार के कारनामों से पुलिस हैरान
अमिताभ बच्चन की तरह बाल रखने वाला एक युवक चर्चा में है। सांकेतिक तस्वीर।

प्रशांत कुमार, पटना। पटना सिटी के कुछ थाना क्षेत्रों में बच्चन का आतंक फैला है। यह कोई गुंडा नहीं, बल्कि थानों का दलाल है। वैसे, ये उसका असली नाम नहीं है। अमिताभ बच्चन की तरह हेयरस्टाइल रखने के कारण लोग बच्चन कहते हैं। खुद को शेरदिल बताने वाले एक थानेदार और बच्चन की जोड़ी के कारनामे, जब पुलिस मुख्यालय पहुंचे तो अधिकारी दंग रह गए। दरअसल, इन्होंने पहले एक साफ-सुथरी जमीन में विवाद लगाया। फिर, उसे दूसरे के हाथ बिकवाया। इसके बाद जमीन पर कब्जा दिलाने के नाम पर मोटी रकम वसूल की। विक्रेता से फर्जी केस करवा पूरे मामले को उलझा दिया। सूत्र बताते हैं कि शिकायतकर्ता के आवेदन पर मुख्यालय में तैनात एक एसपी रैंक के अधिकारी ने तकनीकी जांच की तो कई राजफाश हो गए। शेरदिली दिखाने वाले थानेदार को जल्द पिंजड़े में कैद करने की तैयारी है, जहां बच्चन सदी के महानायक के प्रसिद्ध डायलाग सुनाकर उनका मनोरंजन करेगा। 

न तुम जानो, न हम

जिले में तैनात एक दारोगाजी के किस्से इन दिनों खूब चर्चा में हैं। दारोगाजी को सबसे विवादित थाने की थानेदारी मिली है, जहां कोई न कोई ऐसी घटना होती रहती है, जिससे पूरा विभाग परेशान हो जाता है। हालांकि, दारोगाजी और उनके आका विचलित नहीं होते। वे आश्वस्त हैं, उनका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। सिर पर साहब का हाथ है। उस क्षेत्र से साहब के पास दर्जनों आवेदन आ चुके हैं। शिकायतों का अंबार लगा है, लेकिन उनसे तीन स्तर ऊपर बैठे अधिकारी ये कहकर शिकायतों को दबा देते हैं कि इतना तो होता रहता है। दारोगा के खिलाफ इस बार कुछ ज्यादा ही गंभीर शिकायत मिली तो साहब ने अपना पल्ला झाड़ लिया। कहा, जितने का हिस्सा मिला, उससे ज्यादा बार तुम्हें बचाया हूं। अब न तुम हमको जानते हो और न ही हम। आर्थिक अपराध इकाई कहीं घुसी मामले में तो मेरे भी बाल-बच्चे हैं। सब किए धरे पर पानी फिर जाएगा।  

हाली-डे मूड में साहब

जिले के एक साहब नवंबर आते ही हाली-डे मूड में आ गए हैं। अब उन्होंने अनुसंधान, शिकायत, विधि-व्यवस्था जैसे कार्यों की चिंता अधीनस्थ अफसरों पर छोड़ दिया है। थानेदारों से भी कम बातें करते हैं। इससे ऊपर रैंक के अधिकारियों से भी दूरी बना ली है। जानते हैं, अब कुछ हो जाए, प्रोमोशन और पोस्टिंग में बाधा नहीं आनी वाली है। चर्चा इस बात की भी है कि साहब केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर दफ्तरी कामकाज वाले विभाग में जाने की तैयारी में हैं। आपस में बातें कर रहे दो इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों ने कहा कि ये साल हमारा स्वर्णिम वर्ष रहा। कभी साहब ने गाली नहीं दी। क्या आया, क्या किया, ये पूछते भी नहीं थे। पहले वाले भी नुकसानदायक नहीं थे। हां, थोड़ी गाली जरूर देते थे। तभी दूसरे इंस्पेक्टर ने कहा- दोस्त, हम अच्छे दिन का मजा नहीं उठा पाए। हमको तो थानेदारी से हटा दिया गया था। 

सिपाही से खौफ खाते थानेदार

जिला बल में तैनात एक सिपाही से थानेदार भी खौफ खाते हैं। कारण, वह सिंह जी का भांजा है। सिंह जी सहायक अवर निरीक्षक के पद से सेवानिवृत हो चुके हैं, लेकिन अब भी एक साहब के कार्यालय में टेलीफोन ड्यूटी करते हैं। उनकी हनक ऐसे ही है कि एक फोन पर थानेदारी जाती-आती रहती है। बात कुछ महीने पहले की है। उनके भांजे की तैनाती क्विक मोबाइल में हुई। उसे एक थाने के थानेदार को रिपोर्ट करना होता था, लेकिन वो साहब के पास तभी ही जाता, जब उसे पेट्रोल के लिए कूपन लेना होता था। मन किया तो ड्यूटी की, नहीं तो कहां हैं, ये भी कोई नहीं पूछता। उसके रवैये से दूसरे सहकर्मी परेशान थे। उन्हें उसकी ड्यूटी करनी थी। थानेदार को उन्होंने मिलकर शिकायत की, जिसके बाद साहब ने उसकी क्लास लगा दी थी। फिर क्या था, साहब थानेदार के पद से ही हटा दिए गए।

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