सिखों के दूसरे बड़े तख्‍त पटना साहिब के मुख्‍य ग्रंथी की मौत, हत्‍या या आत्‍महत्‍या; इस पर फंसा पेंच

विश्व के दूसरे बड़े तख्त साहिब के मुख्य ग्रंथि की इलाज के दौरान मौत उनकी गर्दन कृपाण से कट गई थी। यह अब तक तय नहीं हो सका था कि किसी ने हत्‍या के लिए उनकी गर्दन काटी थी या उन्‍होंने खुद ही आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी।

By Shubh Narayan PathakEdited By: Publish:Mon, 17 Jan 2022 09:00 AM (IST) Updated:Mon, 17 Jan 2022 09:13 AM (IST)
सिखों के दूसरे बड़े तख्‍त पटना साहिब के मुख्‍य ग्रंथी की मौत, हत्‍या या आत्‍महत्‍या; इस पर फंसा पेंच
पटना साहिब गुरुघर के मुख्‍य ग्रंथी की मौत। फाइल फोटो

पटना सिटी, जागरण संवाददाता। दुनिया में सिखों के दूसरे सबसे बड़े तख्‍त पटना साहिब स्थित श्रीहरि मंदिर साहिब के मुख्‍य ग्रंथी 70 वर्षीय भाई राजेंद्र सिंह का निधन हो गया है। उनकी गर्दन कृपाण से कट गई थी। यह अब तक तय नहीं हो सका था कि किसी ने हत्‍या के लिए उनकी गर्दन काटी थी, या उन्‍होंने खुद ही आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी। उनका निधन पटना के बड़े अस्‍पताल पीएमसीएच में रविवार की देर रात 2:45 बजे इलाज के दौरान हो गया। वे यहां 13 जनवरी से ही भर्ती थे। उनकी हालत में लगातार सुधार भी हो रहा था।

देर रात सांस लेने में हुई थी तकलीफ

अस्‍पताल में उनके साथ रहे पुत्र दया सिंह ने बताया कि पिता की तबीयत में तेजी से सुधार हो रहा था। रात में उन्हें दाल का पानी भी दिया गया। वह इशारों को समझने भी लगे थे। अचानक देर रात सांस लेने में तकलीफ होने पर डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद 2:45 में उन्होंने अंतिम सांस ली। पुत्र ने बताया कि अब शव के पोस्टमार्टम रिपोर्ट सही यह पता चल पाएगा कि उन्होंने खुद से गले में कृपाण से हमला कर आत्महत्या करने का प्रयास किया था या किसी ने उन पर हमला कर हत्या की है।

पुत्र ने बताया कि पोस्टमार्टम होने के बाद पार्थिव शरीर को तख्त साहिब में लोगों के दर्शन के लिए रखा जाएगा देर शाम उनका अंतिम संस्कार खाजेकलां घाट पर किया जाएगा। मुख्य ग्रंथी के निधन की खबर मिलते ही सिख समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष अवतार सिंह हित महासचिव इंद्रजीत सिंह समेत अन्य पदाधिकारियों एवं सदस्यों ने शोक व्यक्त किया है।

गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के सदस्य एवं पूर्व महासचिव महेंद्र पाल सिंह ढिल्लों, सरदार राजा सिंह, त्रिलोक सिंह निषाद समेत कई अन्य ने भी शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्य ग्रंथी पर हुए हमले की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए ताकि यह पता चल सके कि गुरुद्वारा परिसर स्थित उनके कमरे के बिस्तर पर वह खून से लथपथ संदिग्ध हालत में आखिर कैसे पड़े मिले।

मृतक के छोटे पुत्र दीपक सिंह के अनुसार जब वह 13 जनवरी की सुबह पिताजी के लिए चाय लेकर गया तो उनके कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था। दरवाजा खोल कर अंदर जाने पर देखा कि पिताजी बिस्तर पर खून से लथपथ पडे थे। पुत्र के अनुसार जिस कृपाण से वृद्ध मुख्य ग्रंथी द्वारा गले पर हमला कर आत्महत्या करने का प्रयास करने की बात कहीं जा रही है, खून लगा वह कृपाण कमरे से नहीं मिला है। पुलिस का कहना है कि मामले की गंभीरता से जांच की जाएगी।

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