पटना हाईकोर्ट ने पूछा-सिपाही की नियुक्ति में किन्नरों को मौका क्यों नहीं?

पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामे के जरिए जानकारी देने को कहा है कि सिपाही नियुक्ति में किन्नरों को क्यों नहीं मौका दिया गया है। नियुक्ति के लिए फार्म भरने की अंतिम तिथि 15 दिसम्बर है। ऑनलाइन फार्म भरने की छूट दी गई है।

By Akshay PandeyEdited By: Publish:Tue, 15 Dec 2020 12:03 PM (IST) Updated:Tue, 15 Dec 2020 03:26 PM (IST)
पटना हाईकोर्ट ने  पूछा-सिपाही की नियुक्ति में किन्नरों को मौका क्यों नहीं?
पटना हाईकोर्ट ने सिपाही नियुक्ति में किन्नरों को मौका न देने पर बिहार सरकार से सवाल पूछा है।

राज्य ब्यूरो, पटना: पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को हलफनामे के जरिए जानकारी देने को कहा है कि सिपाही नियुक्ति में किन्नरों को क्यों नहीं मौका दिया गया है। नियुक्ति के लिए फार्म भरने की अंतिम तिथि 15 दिसम्बर है। ऑनलाइन फार्म भरने की छूट दी गई है। इसमें केवल पुरुष और स्त्री ही फार्म भरने के योग्य माने गए हैं। इस भेदभाव को लेकर वीरा यादव ने एक लोकहित याचिका दायर की थी।

22 दिसंबर तक राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश

मुख्य न्यायाधीश संजय करोल एवं न्यायाधीश एस कुमार की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सोमवार को सुनवाई की। सिपाही बहाली मामले में ट्रांसजेंडर के आवेदन के लिए कोई प्रावधान नहीं होने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने आगामी 22 दिसंबर तक राज्य सरकार को जवाब दायर करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि राज्य में सिपाही बहाली कि आवेदन में ट्रांसजेंडर के लिए कोई प्रावधान नहीं किया गया है। इस कारण बड़ी संख्या में किन्नर आवेदन करने से वंचित रह गए हैं। वहीं राज्य सरकार के अधिवक्ता अजय ने दलील दी कि चूंकि यह सरकार का नीतिगत मामला है। इसलिए सरकार को जवाब देने की मोहलत दी जाए। इस मामले में अगली सुनवाई 22 दिसंबर को की जाएगी।

फर्जी डिग्री के आधार पर नियुक्त शिक्षक पर भी किया था सवाल

चार दिन पहले भी पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया था। इसमें पूछा था कि आखिरकार फर्जी डिग्री के आधार पर बिहार में कब तक शिक्षकों को कार्यरत रखा जाएगा? सवाल का जवाब देने के लिए राज्य सरकार को नौ जनवरी तक का मौका दिया गया है l बताते चलें कि ये वे शिक्षक हैं जिनकी नियुक्ति 14 साल पहले 2006 से लेकर 2010-11 के बीच विभिन्न स्कूलों में बड़े पैमाने पर फर्जी डिग्रियों के आधार पर प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों के लिए हुई थीं l 

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