पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई कड़ी फटकार-शिक्षा व्यवस्था है बदहाल, हो क्या रहा ये...

पटना हाईकोर्ट ने बिहार में खराब शिक्षा व्यवस्था को लेकर बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगायी है । कोर्ट ने कहा है कि सरकारी अफसर अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजें फिर पता चलेगा।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Thu, 20 Feb 2020 03:27 PM (IST) Updated:Fri, 21 Feb 2020 09:22 AM (IST)
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई कड़ी फटकार-शिक्षा व्यवस्था है बदहाल, हो क्या रहा ये...
पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को लगाई कड़ी फटकार-शिक्षा व्यवस्था है बदहाल, हो क्या रहा ये...

पटना, राज्य ब्यूरो। पटना हाई कोर्ट ने राज्य में शिक्षा की बदतर स्थिति पर तल्ख टिपण्णी करते हुए मुख्य सचिव को  निर्देश दिया है कि बिहार में क़्वालिटी एजुकेशन देने के लिए, खासकर गरीबों के बच्चों के लिए , सरकार क्या कर रही है? कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि राज्य में शिक्षा की ऐसी बदतर स्थिति इसलिए है क्योंकि सूबे के सरकारी अफसर अपने बच्चों को राज्य से बाहर पढ़ाते हैं।

कोर्ट ने कहा कि राज्य में शिक्षा को ऐसी बदतर स्थिति से तभी उबारा जा सकता है जब तमाम अफसरों को बाध्य किया जाए कि उनके बच्चे  राज्य के सरकारी स्कूलों में पढ़ें। ऐसा लगता है कि सूबे में कानून का राज एक नारा बन कर रह गया है जिस पर कोई अमल नही कर सकता।राज्य में शिक्षा सबसे खराब हालत में हैं फिर भी इसकी सुध किसी को नही।

न्यायमूर्ति डॉक्टर अनिल कुमार उपाध्याय की एकलपीठ ने कौशल किशोर ठाकुर की रिट याचिका को सुनते हुए मुख्य सचिव को खुद से हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा है कि बिहार में  बेपटरी हुई शिक्षा व्यवस्था को कैसे वापस पटरी पर लाया जाए ताकि राज्य के भविष्य जिन गरीबों के करोड़ों बच्चों के कंधों पर है उनको गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके । 

पूर्णिया में गेस्ट टीचरों को हटाए जाने के मामले पर उपरोक्त तल्ख टिप्पणी करते हुए हाई कोर्ट ने राज्य के मुख्य सचिव से जवाब तलब किया और मुख्य सचिव को कोर्ट के सवालों के जवाब अगली सुनवाई यानी 23 मार्च से पहले दायर करना है ।

बता दें कि सूबे में अभी बिहार बोर्ड के मैट्रिक की परीक्षा चल रही है और राज्य के नियोजित शिक्षक अपनी मांगो के समर्थन में हड़ताल पर चले गए हैं। शिक्षकों की हड़ताल के बावजूद शिक्षा विभाग मैट्रिक की परीक्षा ले रहा है। वहीं राज्य के विभिन्न स्कूलों में पठन-पाठन का कार्य बुरी तरह से प्रभावित है। 

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