Nitish Kumar: नीतीश कुमार के सामने ये कैसा 'धर्मसंकट', एक तरफ शांभवी चौधरी तो दूसरी तरफ...

नीतीश कुमार की कैबिनेट के दो मंत्रियों अशोक चौधरी और महेश्वर हजारी की संतान समस्तीपुर लोकसभा सीट पर आमने-सामने है। वहीं नीतीश कुमार जब समस्तीपुर में चुनाव प्रचार के लिए जाएंगे तो उनके सामने धर्मसंकट की स्थिति हो सकती है। हालांकि महेश्वर हजारी ने समस्तीपुर के मैदान से दूर रहने की घोषणा कर रखी है। 2009 में वे इस सीट से जदयू के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं।

By Jagran NewsEdited By: Rajat Mourya Publish:Tue, 23 Apr 2024 08:17 PM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2024 08:17 PM (IST)
Nitish Kumar: नीतीश कुमार के सामने ये कैसा 'धर्मसंकट', एक तरफ शांभवी चौधरी तो दूसरी तरफ...
नीतीश कुमार के सामने ये कैसा 'धर्मसंकट', एक तरफ शांभवी चौधरी तो दूसरी तरफ... (फाइल फोटो)

राज्य ब्यूरो, पटना। समस्तीपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने खानपुर के प्रखंड प्रमुख सन्नी हजारी को टिकट दिया है। सन्नी हजारी राज्य सरकार में मंत्री महेश्वरी हजारी के पुत्र हैं। नीतीश मंत्रिमंडल के दूसरे मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी से उनका मुकाबला हो रहा है।

शांभवी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में लोजपा की प्रत्याशी हैं। चर्चित आइपीएस अधिकारी रहे किशोर कुणाल उनके श्वसुर हैं। अपने अधीनस्थ दो मंत्रियों की संतानों को आमने-सामने पाकर संभवत: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए वहां चुनाव प्रचार में धर्मसंकट की स्थिति हो।

हालांकि, महेश्वर हजारी ने समस्तीपुर के मैदान से दूर रहने की घोषणा कर रखी है। 2009 में वे इस सीट से जदयू के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं।

यहां से नीतीश ने ही कांग्रेस को किया था बेदखल, अब अंशुल से आस

पटना साहिब में अंशुल का मुकाबला पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद से होना है। वे भाजपा से दूसरी बार चुनाव मैदान में हैं। पिछली बार रविशंकर प्रसाद कांग्रेस प्रत्याशी रहे शत्रुघ्न सिन्हा को पराजित कर संसद पहुंचे थे। 2014 में शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा के प्रत्याशी थे और उनके मुकाबले में कांग्रेस ने कुणाल सिंह को उतारा था। वे भी खेत रहे।

2009 में भी शत्रुघ्न ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में यहां बाजी मारी थी। तब अभिनेता से अभिनेता को भिड़ाने के बावजूद कांग्रेस चुनाव हार गई थी। कांग्रेस के प्रत्याशी शेखर सुमन थे, जो बिहारी बाबू की तरह पटना के ही मूल निवासी हैं। 2009 से ही पटना साहिब का संसदीय इतिहास शुरू होता है। उससे पहले थोड़ा-बहुत भौगोलिक परिवर्तन के साथ यह बाढ़ संसदीय क्षेत्र हुआ करता था।

कांग्रेस को यहां आखिरी जीत 1984 में प्रकाश चंद्र ने दिलाई थी। हालांकि, तब जीत का अंतर काफी अधिक रहा था। प्रकाश चंद्र को 63.74 प्रतिशत वोट मिले थे। उसके अगले चुनाव यानी 1989 में रामलखन सिंह यादव को पराजित कर नीतीश कुमार ने कांग्रेस को इस सीट से बेदखल-सा कर दिया। नीतीश बाढ़ से लगातार पांच बार सांसद रहे। 2004 में राजद के विजय कृष्ण ने उन्हें यहां मात दी थी।

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