Delhi Result 2020: NDA की हार में अपनी जीत की संभावना देख सकते हैं CM नीतीश कुमार

दिल्ली में एनडीए की हार में अगर नीतीश अपनी जीत की संभावना देख रहे हैं तो यह ठीक ही है। केजरीवाल के प्रादुर्भाव से बहुत पहले ही उन्‍होंने काम को अपना मूल मंत्र बना लिया था।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 11 Feb 2020 05:08 PM (IST) Updated:Wed, 12 Feb 2020 09:36 PM (IST)
Delhi Result 2020: NDA की हार में अपनी जीत की संभावना देख सकते हैं CM नीतीश कुमार
Delhi Result 2020: NDA की हार में अपनी जीत की संभावना देख सकते हैं CM नीतीश कुमार

पटना [अरुण अशेष]। दिल्ली विधानसभा चुनाव में एनडीए की हार में अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपनी जीत की संभावना देख रहे हैं तो यह ठीक ही है। वजह: आम आदमी पार्टी सरकार के कामकाज के आधार पर वोट मांग रही थी। अरविंद केजरीवाल के प्रादुर्भाव से बहुत पहले ही नीतीश कुमार ने काम को ही अपना मूल मंत्र बना लिया था।

विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान नीतीश कुमार काम के आधार पर ही वोट मांगते हैं। साफ-साफ कह देते हैं कि काम नहीं करेंगे तो वोट भी नहीं मांगेंगे। 2015 के विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने वादा किया था-घर-घर बिजली नहीं पहुंची तो हम वोट मांगने नहीं आएंगे। वह इस पर कायम भी रहे। 2005 का विधानसभा चुनाव भी कामकाज के आधार पर हुआ था। उस समय वादा किया गया था।

2010 का चुनाव वादा पूरा करने के आधार पर लड़े और जीते भी। 2015 के विधानसभा चुनाव में भी नीतीश काम के नाम पर ही लड़े। हालांकि, उस समय के सहयोगी राजद ने चुनाव में दूसरे मुद्दे को पकड़ लिया था। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद भाजपा की जीत में आरक्षण की समाप्ति की आशंका जता रहे थे। वह कमोवेश मंडल के दौर की याद दिला कर वोटरों को गोलबंद कर रहे थे। उस समय भी नीतीश बिहार और विकास से इधर-उधर नहीं भटके। परिणाम सबको पता है।

बीते लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के साथ रहने के बावजूद अपना एजेंडा नहीं छोड़ा। जाहिर है, इस साल होने जा रहे विधानसभा चुनाव में भी नीतीश विकास या कामकाज से अलग किसी एजेंडे का चयन नहीं करेंगे। बीच के पांच साल में उनके पास विकास की कुछ उपलब्धियां जुड़ गईं हैं। मसलन, हर घर नल का जल और जल-जीवन हरियाली अभियान।

सबसे बड़ी बात, नीतीश सरकार की योजनाएं सबके लिए होती हैं। बेशक कुछ ऐेसे मोर्चे हैं, जिन्हें चुनाव मैदान में जाने से पहले नीतीश को दुरूस्त करना होगा।  ये अपराध और भ्रष्टाचार के मोर्चे हैं। याद कीजिए, 2005 के चुनाव में अपराध पर नियंत्रण विकास से भी बड़ा मुददा था। एक दौर में इस पर नियंत्रण भी हो गया था। लेकिन, इधर के दिनों में कुछ कमजोरी आई है। इसी तरह तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी दफ्तरों से भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती रहती हैं। 

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