हिन्दुत्व के ध्वजवाहक बनते जा रहे गिरिराज, राजग के सहयोगियों की बढ़ रही बेचैनी

भाजपा नेता सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के हिंदुत्व मसले वाले बयान से एनडीए के सहयोगियों की परेशानी बढ़ती जा रही है। बयान के मामले में गिरिराज फायरब्रांड नेता माने जाते हैं।

By Kajal KumariEdited By: Publish:Tue, 23 Oct 2018 09:17 AM (IST) Updated:Tue, 23 Oct 2018 09:17 AM (IST)
हिन्दुत्व के ध्वजवाहक बनते जा रहे गिरिराज, राजग के सहयोगियों की बढ़ रही बेचैनी
हिन्दुत्व के ध्वजवाहक बनते जा रहे गिरिराज, राजग के सहयोगियों की बढ़ रही बेचैनी

पटना [सुभाष पांडेय]। लोकसभा का चुनाव जैसे-जैसे करीब आ रहा है केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह भाजपा के हिन्दुत्व एजेंडे के ध्वजवाहक के रूप में उभर रहे हैं। मुस्लिम बहुल पश्चिमी यूपी के अमरोहा से उन्होंने 16 सितंबर से जनसंख्या नियंत्रण के लिए जनसंख्या कानून रैली की शुरूआत की है।

गिरिराज के रविवार को बागपत में जनसंख्या समाधान फाउंडेशन के तहत जनसंख्या कानून रैली में यह साफ कर दिया गया कि अब यह नहीं चलेगा कि हम दो बच्चे पैदा करें और कोई आठ।

सोमवार को नवादा में उसी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कह दिया कि नालंदा को तहत-नहस करने वाले आक्रांता के नाम पर बख्तियारपुर, अकबरपुर एवं फतेहपुर जैसे स्थलों का नाम बदल दिया जाना चाहिए।

गिरिराज ने कहा जब आक्रांता ताकतवर थे तो नाम बदल दिया अब हम ताकतवर हैं, इसलिए हमें ऐसे नामों को बदल देना चाहिए। उसी तरह जैसे योगी आदित्य नाथ ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग राज कर दिया।

गिरिराज के इस विवादास्पद बयान पर बिहार में राजग के सहयोगी जदयू ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। हालांकि इससे गिरिराज के तेवर में कोई फर्क नहीं आया। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण को लेकर मेरा अभियान जारी रहेगा। 

गिरिराज के इस अभियान से पश्चिम यूपी में हिन्दुओं की गोलबंदी से जहां योगी सरकार को मदद मिल रही है वहीं इसकी आंच से बिहार में एनडीए के सहयोगियों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। यूपी के बाद गिरिराज के एजेंडे में बिहार का सीमांचल और नेपाल से सटे मिथिला का वह इलाका हैं जहां पिछले कुछ सालों में जनसंख्या का सामाजिक समीकरण बदला है।

गिरिराज बागपत के बाद गाजियाबाद में रैली करने वाले हैं। पश्चिम यूपी के बाद वह बिहार के उन इलाकों में जाएंगे जहां बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुद्दा पहले से ही गहराया हुआ है।   

आजादी के बाद हिन्दू और मुसलमानों की जनसंख्या में लगातार हो रहे असंतुलन को देश में विकास और समरसता के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानने वाले गिरिराज सिंह अपने इस अभियान को भले ही भाजपा का अभियान नहीं बताते हैं लेकिन एक बात स्पष्ट है कि उनके इस अभियान को पार्टी का प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर समर्थन हासिल है। 

केंद्रीय मंत्री सिंह ने मुस्लिम बहुल अमरोहा के धनौरा स्थान से पिछले महीने 16 सितंबर को अपना यह अभियान शुरू किया है। इसके महत्व को इसी से समझा जा सकता है कि 21 अक्टूबर को बागपत में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के कारण वह भाजपा सांसद भोला सिंह की अंत्येष्टि में भी शामिल नहीं हुए।

बागपत में ही उन्होंने कह दिया कि भारत के मुसलमान मुगलों के नहीं, श्रीराम के वंशज हैं। उन्होंने कहा कि यह नहीं चलेगा कि हम दो बच्चे पैदा करें और वो आठ। उन्होंने इसे कैंसर सरीखी बीमारी बताया और कहा समय रहते इसका इलाज नहीं हुआ तो बीमारी लाइलाज हो जाएगी। 

गिरिराज सवाल करते हैं आखिर क्या कारण है कि जहां जहां हिन्दू आबादी घटी है वहां वहां सामाजिक समीकरण बिगड़ा है। लखीसराय में 99 फीसद हिन्दू है, वहां सामाजिक समीकरण कभी नहीं बिगड़ा, लेकिन आरा के रानी सागर में जैसे ही यह बदला वहां की समरसता भी बिगड़ गई।  

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