बिहार की मिताली ने की माउंट अकोंकागुआ फतह, दैनिक जागरण से की खास बात; बताया अपना लक्ष्‍य

बिहार के नालंदा की बेटी मिताली अकोंकागुआ की चोटी फतह करनेवाली पहली भारतीय महिला बनीं। इस सफलता से उनका पूरा परिवार खुश है। मिताली ने दैनिक जागरण से की बात।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Fri, 17 Jan 2020 04:59 PM (IST) Updated:Fri, 17 Jan 2020 05:59 PM (IST)
बिहार की मिताली ने की माउंट अकोंकागुआ फतह, दैनिक जागरण से की खास बात; बताया अपना लक्ष्‍य
बिहार की मिताली ने की माउंट अकोंकागुआ फतह, दैनिक जागरण से की खास बात; बताया अपना लक्ष्‍य

पटना, जेएनएन। बिहार के नालंदा की बेटी और पटना विश्वविद्यालय के राजनीतिशास्त्र विभाग की छात्रा मिताली प्रसाद एशिया के बाहर की सबसे ऊंची चोटी माउंट अकोंकागुआ (6962 मीटर) पर अकेले पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। अकोंकागुआ की चोटी पर तिरंगा फहराने के बाद उन्‍होंने दैनिक जागरण से खास बात की। उन्‍होंने बताया कि 13 जनवरी की रात 12:45 मिनट पर उसने दक्षिण अमेरिका की माउंट अकोंकागुआ की चोटी पर तिरंगा लहराया। इसके साथ ही मिताली ने पटना विश्वविद्यालय का झंडा भी लहराया। गुरुवार की सुबह वह तराई पहुंचीं। 

सात महादेश के सबसे ऊंची चोटियों को फतह का लक्ष्‍य

भारत के साथ ही बिहार को गौरवान्वित करनेवाली मिताली प्रसाद ने बताया कि मौसम खराब होने के कारण चेहरा झुलस गया है। हाथ-पैर की अंगुलियों में अभी तक मूवमेंट नहीं आई है। बता दें कि पिछले साल मिताली ने अफ्रीका महादेश की सबसे ऊंची चोटी किलिमंजारो (तंजानिया) पर तिरंगा फहराया था। उनका लक्ष्य सात महादेश के सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने का है। 

बगैर गाइड और पोर्टर पूरी की चढ़ाई

मिताली ने चार जनवरी को चढ़ाई प्रारंभ की थी। मौसम खराब होने के कारण अतिरिक्त पांच दिन लगे। राशन कम होने के बावजूद 90 से 100 किलोमीटर की रफ्तार वाली हवा और मानइस तीस डिग्री के बीच चढ़ाई की। इसका प्रभाव स्वास्थ्य पर पड़ा है। चोटी से उतरने के बाद स्वास्थ्य की जांच हुई। डॉक्टरों के अनुसार मिताली के सामान्य होने में एक सप्ताह से अधिक समय लगेगा। मिताली ने बगैर गाइड और पोर्टर चढ़ाई की। राशन भी खुद ही उठाया। रास्ते में खाना भी बनाया। रोडमैप और प्लानिंग भी खुद ही की। सामान्य तौर पर पर्वतारोही ग्रुप में चढ़ाई करते हैं। गाइड और पोर्टर के बिना चढ़ाई काफी जोखिम भरा होता है। 

खुशी से ज्यादा कर्ज उतारने की चिंता

मिताली 17 दिसंबर को फतह के लिए पटना से रवाना हुई थी। उसने बताया कि राज्य के खेलकूद में पर्वतारोहण शामिल नहीं होने के कारण सहायता नहीं मिल पाती। कुछ मददगार हैं, जो हौसला टूटने नहीं देते हैं। कराटे में ब्लैक बेल्ट मिताली नालंदा जिले के कतरीसराय प्रखंड के मायापुर गांव की है। पटना के बहादुरपुर में परिवार के साथ रहती हैं। मां चंचला देवी सर्जिकल बेल्ट बनाती हैं। पिता मणीन्द्र प्रसाद छोटे किसान हैं। परिजनों का कहना है कि चोटी फतह करने की अपार खुशी है, लेकिन कर्ज के पैसे से दक्षिण अमेरिका गई है। अब उसे उतारने की चिंता है। 

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