बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह गए कलाकार

मंच को ना तो सजाया गया था और ना ही मंच पर कोई वस्तु दिखाई पड़ पर रही थी

By JagranEdited By: Publish:Sat, 20 Jul 2019 01:41 AM (IST) Updated:Sat, 20 Jul 2019 01:41 AM (IST)
बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह गए कलाकार
बिना कुछ कहे बहुत कुछ कह गए कलाकार

पटना। मंच को ना तो सजाया गया था और ना ही मंच पर कोई वस्तु दिखाई पड़ पर रही थी। और ना कलाकारों ने अपने पात्र को दिखाने के लिए कोई विशेष प्रकार की वस्त्र पहना था। खाली मंच पर कुछ कलाकार सफेद वस्त्र में बिना कोई डायलाग बोले अपने हाव-भाव से दर्शक तक अपनी बात पहुंचा रहे थे। कलाकारों ने अपने शानदार मूक अभिनय से दर्शकों तक अपना संदेश बखूबी पहुंचाया और उनका मनोरंजन किया।

मौका था कालिदास रंगालय में कनक एंटरटेनमेंट एवं माडर्न माइम सेंटर, कोलकाता के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय माइम फेस्टिवल का। फेस्टिवल के पहले दिन पॉल्युशन माइम शो का मंचन किया गया। इससे पहले फेस्टिवल की शुरुआत दीप प्रज्जवलन से की गई। पॉल्युशन माइम शो में पांच कहानियों को दिखाया गया। इसमें द ट्री, वाइन, साउंड, टार्गेट, नेक्स्ट जेनरेशन पर कलाकारों ने माइम शो किया। शो की शुरुआत में द ट्री में यह दिखाने की कोशिश की गई कि मनुष्य के पास सोचने समझने के लिए दिमाग है, लेकिन वृक्ष एक स्थान पर रहकर ही बिना कुछ सोचे-समझे हमें सब कुछ देता आया है और मनुष्य चिंतनशील होते हुए भी प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है। वृक्ष से हमें फल, पत्ता, छाया, औषधि आदि प्राप्त होती है, लेकिन आज इसी वृक्ष को काटकर कंक्रीट का जंगल बनाया जा रहा है। ऐसा करके मनुष्य अपने आप को उन्नत महसूस कर रहा है।

वाइन के दुष्प्रभाव को दिखाया

इसके बाद वाइन के दुष्प्रभाव को दिखाया गया। दिखाया गया कि मनुष्य को वाइन का स्वाद खूब भाता है। जीवन भर वो इसी भ्रम में रहता है कि वो वाइन को पी रहा है, लेकिन उसका भ्रम तब टूट जाता है, जब इसका दुष्परिणाम सामने आता है। उसे पता चलता है कि वो वाइन को नहीं पी रहा था, बल्कि वाइन ही उसे पी रही थी। इसके बाद ध्वनि प्रदूषण के नुकसान को भी दिखाया गया। इसमें दिखाया गया कि भागदौड़ भरी जिंदगी में हमें गैरजरूरी शोर सुनना पड़ता है। जरूरत से ज्यादा सुनने पर हमारा दिमाग और शरीर प्रदूषण का शिकार हो जाता है। तब हम शांति की ओर बढ़ते हैं, तब तक हमे साउंड पूरी तरह से जकड़ चुका होता है।

पैसा कमाना एकमात्र उद्देश्य नहीं

माइम शो में यह भी दिखाया गया कि किस तरह से जीवन में हर किसी का लक्ष्य सिर्फ पैसा और नाम कमाना हो गया है। लोग अपने लक्ष्य को पाने के चक्कर में किसी का भी ख्याल नहीं रखते हैं और उनकी भावनाओं को ठेस पहुंचाते हैं। माइम शो के अंत में यह दिखाया गया कि किस तरह से हम अपनी आने वाली पीढ़ी के बारे में कुछ भी नहीं सोच रहे हैं। पृथ्वी पर सबकुछ प्रदूषित होते जा रहा है। लोगों की सोच के साथ-साथ वायु, जल, भोजन सभी चीजें प्रदूषित होते जा रही हैं। आखिरी दृश्य में यह दिखाया जाता है कि पृथ्वी पर सबकुछ खत्म हो जाता है।

इनकी रही भागीदारी

माइम शो पॉल्युशन का निर्देशन कमल नस्कर द्वारा किया गया। सह निर्देशन सुमित ठाकुर ने किया। कमल नस्कर, सुमित ठाकुर, शाकिब खान, संजय अभिमन्यु, दीपक गोयल, शिवानी झा, शशिकांत, गौतम, नितेश, अमन, सूरज, उत्सव, टीपू सुल्तान, संदीप, नीतीश, मोहीत, प्रशांत, रवि मंडल, छोटु कुमार, कृष्णा कुमार, आशु, मयंक, आकाश ने बेहतरीन मूक अभिनय किया। प्रकाश परिकल्पना मुकेश कुमार सिन्हा, उद्घोषणा आकांक्षा प्रिया श्रीवास्तव और रूप सज्जा यामिनी की रही।

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