पटना के गयासुद्दीन ने पद से नहीं, शोध और प्रयोग से बनाई अपनी पहचान
शहर की आधारभूत संरचना के बारे में गयासुद्दीन कहते हैं, प्रदूषण गंभीर समस्या है। घर-घर में औषधीय प्लांट लगाने के लिए सरकार पौधे उपलब्ध कराए।
बिजली विभाग में सहायक अभियंता से निदेशक पद तक पहुंचने वाले 65 वर्षीय गयासुद्दीन भले ही सेवानिवृत्त हो गए, लेकिन नौकरी के दौरान उनके नए-नए प्रयोगों और खोज के लिए आज भी विभागीय लोग उन्हें याद करते हैं। रिटायरमेंट के बाद वह रुपसपुर थाना क्षेत्र के दानापुर नहर के पास मोकिनपुर उस्मान इलाके स्थित राजा कॉम्प्लेक्स में रहते हैं।
अपने शहर को शानदार बनाने की मुहिम में शामिल हों, यहां करें क्लिक और रेट करें अपनी सिटी
गयासुद्दीन मूल रूप से बिहार के पश्चिम चंपारण के लौरिया थाना के कंधवलिया गांव के निवासी हैं। 10वीं कक्षा पास करने के बाद मुजफ्फरपुर से इंटर और भागलपुर से बीटेक किया। इसके बाद पटना से एमटेक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने 1984 में अर्बन सप्लाई डिवीजन-टू रांची में सहायक अभियंता के पद पर सेवा शुरू की।
उस समय झारखंड बिहार से अलग नहीं हुआ था। रिटायर होने से पहले गयासुद्दीन ने होमियोपैथिक की डिग्री ले ली। अब वह मामूली फीस लेकर लोगों का इलाज कर रहे हैं। बिजली विभाग से उनका लगाव अब भी नहीं छूटा है। वह समय-समय पर इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट जाते रहते हैं और बिजली संचरण व्यवस्था में सुधार से जुड़े अपने अनुभव इंजीनियरों-कर्मियों से साझा करते हैं।
सॉफ्टवेयर बनाकर शुरू की बिलिंग
गयासुद्दीन ने रक्सौल में साफ्टवेयर बनाकर ऑन स्पॉट बिलिंग व्यवस्था शुरू की। उस समय वह रक्सौल में कार्यपालक अभियंता के पद पर कार्यरत थे। इस बीच बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के सदस्य राजस्व रामेश्वर सिंह रक्सौल पहुंचे और उनकी प्रतिभा के कायल हो गए। उन्होंने गयासुद्दीन को पटना बुला लिया और दानापुर आपूर्ति प्रमंडल में ऑन द स्पॉट बिलिंग सिस्टम लागू करा दिया।
इसके बाद उनका स्थानांतरण टीआरडब्ल्यू में हुआ। उस समय वहां ट्रांसफार्मर जलने को लेकर हाहाकर मचा था। वह जले ट्रांसफॉर्मरों के तेल को फिल्टर कर ट्रांसफार्मर को दुरुस्त कराने लगे। यह प्रयोग सफल रहा। तभी वह मुजफ्फरपुर एरिया बोर्ड के मुख्य अभियंता सह महाप्रबंधक बना दिए गए। यहां भी ट्रांसफॉर्मरों से निकलने वाले तेल की फिल्टरिंग कर उनकी मरम्मत शुरू कर दी। जीएम होते हुए भी वह खुद ट्रांसफॉर्मर रिपेयर करते थे।
उस समय देशभर में ऑन स्पॉट ट्रांसफॉर्मर रिपेयरिंग की व्यवस्था नहीं थी। तब खराब हुए ट्रांसफॉर्मर की पावर सब स्टेशन एवं ग्रिडों के पावर वैक्यूम सर्किट में मरम्मत होती थी। उनकी योग्यता को देखते हुए बिजली बोर्ड ने चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर का नया पद बनाया और उन्हें इस पद पर पदस्थापित किया।
गयासुद्दीन के मॉडल को बिजली कंपनी ने अपनाया
नौकरी के दौरान गयासुद्दीन ने ऐसा बैट्री चार्जर बनाया, जिसमें बिजली तार टूटने पर स्वत: बिजली बंद हो जाती है। बिजली कंपनी पहले जो बैट्री चार्जर खरीदती थी, वह सालभर ही चलता था, लेकिन गयासुद्दीन के बनाए बैट्री चार्जर की दस साल चलने की गारंटी है। उनके बैट्री चार्जर मॉडल को विद्युत कंपनी ने अपना लिया। राज्य के अधिसंख्य पावर सबस्टेशनों पर उन्हीं का बैट्री चार्जर लगा है।
सपना जो रह गया अधूरा
गयासुद्दीन का कहना है कि विद्युत कंपनी रोजगार पैदा करने की फैक्ट्री बन सकती है, लेकिन उन्हें मौका नहीं मिला। वे मॉडल बनाने को तैयार हैं। डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफॉर्मर, पावर ट्रांसफॉर्मर के साथ बिजली के पोल की फैक्ट्री लगायी जा सकती है। बिहार में खपत भी है। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा।
अभियंताओं को भी सीखने का मौका मिलेगा। राज्य के बाहर की कंपनियों को ठेके पर विद्युतीकरण, लाइन निर्माण, भूमिगत केबल बिछाने आदि का कार्य सौंप दिया गया है। यह सब कार्य कंपनी को अपने अभियंताओं के माध्यम से कराना चाहिए था। विद्युत कंपनी मुनाफे में रहती जिससे रोजगार पैदा होता।
लोड को बैलेंस और मीटर तत्काल बदलने की जरूरत
गयासुद्दीन का कहना है कि पटना में बिजली की मांग के साथ-साथ विद्युत संरचना में सुधार की जरूरत है। लोड को बैलेंस करने की जरूरत है। मीटर जलते ही उन्हें बदलने की व्यवस्था होनी चाहिए।
पौधों से बदलेगी शहर की सूरत
शहर की आधारभूत संरचना के बारे में गयासुद्दीन कहते हैं, प्रदूषण गंभीर समस्या है। घर-घर में औषधीय प्लांट लगाने के लिए सरकार पौधे उपलब्ध कराए। हरियाली बढ़ेगी तो पर्यावरण और सेहत में सुधार होगा। सरकारी आवासों में पौधे लगाए जाएं। ओवरब्रिज के दोनों छोर का मुंह चौड़ा किया जाए, इससे जाम से राहत मिलेगी। डोर-टू-डोर कूड़ा उठाया जाए तो सड़क पर कचरा डालने वालों पर सख्ती बरती जाए। शहर की गलियों में स्ट्रीट लाइट और टूटी सड़क को दुरुस्त किया जाए।