शिकायत पर त्वरित एक्शन ले पुलिस, रात्रि गश्ती हो अनिवार्य तब महफूज महसूस करेंगी महिलाएं

थानास्तर पर हर नागरिक के लिए संवेदनशीलता लाने की आवश्यकता है। एक आम नागरिक अथवा महिला यह नहीं चाहती कि वह बेवजह थाने में जाए।

By Krishan KumarEdited By: Publish:Thu, 16 Aug 2018 06:48 PM (IST) Updated:Thu, 16 Aug 2018 06:48 PM (IST)
शिकायत पर त्वरित एक्शन ले पुलिस, रात्रि गश्ती हो अनिवार्य तब महफूज महसूस करेंगी महिलाएं

दिलमणि मिश्रा बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हैं। वह बक्सर के ब्रह्मपुर से विधायक भी रह चुकी हैं। वर्ष 2010 से 2015 तक वह विधायक रहीं। एक नवंबर 2017 को दिलमणि मिश्रा ने बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष का कार्यभार संभाला और तब से महिलाओं की सुरक्षा और उनसे जुड़ीं समस्याओं को लेकर काम कर रहीं हैं।

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दिलमणि कहती हैं कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ हुई है, लेकिन इसे और बेहतर करने की जरूरत है। आबादी के अनुसार संसाधन बढ़े हैं पर उनके संचालनकर्ताओं में संवेदनशीलता लाने की आवश्यकता है। बात महिलाओं की करें तो अब वे काफी हद तक रोड पर चलने में सुरक्षित महसूस करती हैं, क्योंकि चौक-चौराहों पर कैमरे लगे हैं। बावजूद इसके चेन स्नैचिंग और छेड़छाड़ की घटनाएं हो रही हैं। इसके पीछे का सच यह है कि सीसी कैमरों की मॉनीटरिंग नहीं होती है।

वारदात के बाद पुलिस सक्रिय होती है। कैमरों की फुटेज देखी जाती है। अगर कंट्रोल रूम में तैनात पुलिसकर्मियों की नजर हरेक कैमरे पर रहे तो अपराध पर और लगाम लगेगी। पुलिस को भी अधिक गश्त करने की जरूरत नहीं होगी, क्योंकि अपराधियों में भय रहेगा कि कोई उनपर नजरें जमाए बैठा है। थाना पुलिस मोहल्ले में जाकर लोगों को समझाए और प्रेरित करे कि वे अपने घर और संस्थान में कैमरे लगाएं। संभव हो तो 15 दिन पर पुलिस को बैकअप दें। पुलिस खुद भी उनके यहां से नियमित समय पर फुटेज लेती रही।

संवेदनशील हो थाने की पुलिस 

थानास्तर पर हर नागरिक के लिए संवेदनशीलता लाने की आवश्यकता है। एक आम नागरिक अथवा कोई महिला यह नहीं चाहती कि वह बेवजह थाने में जाए। सभी लोगों के मन में थाने के प्रति एक भय होता है, जो बरसों से नहीं निकला है और निकट भविष्य में निकलने की उम्मीद भी कम है। इसके बावजूद लोग किसी तरह हिम्मत जुटाकर थाने में जाते हैं तो पुलिसकर्मियों को उनकी मनोदशा और परिस्थिति को समझना होगा। तत्काल उनके आवेदन में वर्णित तथ्यों की जांच हो और प्राथमिकी दर्ज की जाए।

रात्रि गश्ती बढ़ाने की जरूरत

हाल में अवर सचिव के घर लूटपाट और हत्या की घटना हुई। यह दुखद है। उनका क्वार्टर वीवीआइपी इलाके में है, लेकिन उस रात्रि गश्ती नहीं हो रही थी। देखा गया है कि रात के वक्त थानों की पुलिस क्षेत्र में सही तरीके से गश्ती करती नहीं दिखती। प्रमुख सड़कों और चौक-चौराहों पर पुलिस नजर आती है, लेकिन गलियां रात में विरान रहती हैं। साइकिल और बाइक गश्ती भी नहीं होती। आला अफसरों को खुद रात के वक्त गश्ती दल का जायजा लेने के लिए निकलना चाहिए।

स्कूल और कॉलेजों के बाहर तैनात रहे पुलिस

समाचारपत्रों से पता चलता है कि पुलिस गल्र्स स्कूल और कॉलेजों के बाहर तैनाती के लिए अभियान चलाती है। दो-चार दिन तक अभियान चलता है, फिर स्थिति जस की तस हो जाती है। पुलिस को अभियान चलाने की जरूरत नहीं है। नियमित रूप से हर गल्र्स स्कूल और कॉलेजों के बाहर दो-चार पुलिसकर्मियों को छुट्टी होने तक तैनात किया जाए, ताकि कोई मनचला संस्थान के इर्द-गिर्द न भटके। इससे लड़कियों का भी हौसला बढ़ेगा। लड़कियों व महिलाओं को आत्मनिर्भर और जागरूक करने की भी जरूरत है।

फिर थाने में ही न जाए अधिकारी से लगाई फरियाद

हाल में पुलिस अधिकारियों ने थानास्तर से हुई लापरवाही के खिलाफ कठोर कार्रवाई की है। उदाहरण है नाबालिग सब्जी विक्रेता को जेल भेजा जाना। लेकिन उसे न्याय पाने में तीन महीने से अधिक का वक्त लग गया, जब तक बच्चा जेल में था। उस बच्चे के पिता ने सभी पुलिस अधिकारियों को जांच के लिए आवेदन दिया था, जो घूम-फिर कर थाने में ही चला जाता था। अधिकारियों को सुनिश्चित करना होगा कि उनके यहां दिए गए आवेदन पर वे खुद जांच करें और अगर कोई थाने के विरुद्ध शिकायत करता है तो उसका आवेदन किसी भी सूरत में उन्हीं आरोपित पुलिसकर्मियों तक नहीं पहुंचे। ऐसे में सूचक की गोपनीयता भंग हो जाती है और उसकी जान पर भी खतरा मंडराने लगता है।

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