Lok Sabha Election: 3 लोकसभा चुनावों से आंकड़ों के जाल में फंसा महागठबंधन, एनडीए के इस पिछले रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाया

Bihar Politics बिहार में पिछले डेढ़ दशक में महागठबंधन को लोकसभा चुनाव में कोई खास सफलता नहीं मिलती दिख रही है। लोकसभा चुनाव की रणभूमि तैयार हो गई है और इसके साथ ही लोगों का आकलन और वोटों को लेकर जोड़-घटाव भी शुरू हो गया है। लोगों की चर्चा में विषय है कि महागठबंधन फिर आंकड़ों की बाजीगरी में फंसेगा या फिर राजग को फंसाने में सफल होगा।

By Sunil Raj Edited By: Sanjeev Kumar Publish:Thu, 11 Apr 2024 04:07 PM (IST) Updated:Thu, 11 Apr 2024 04:07 PM (IST)
Lok Sabha Election: 3 लोकसभा चुनावों से आंकड़ों के जाल में फंसा महागठबंधन, एनडीए के इस पिछले रिकॉर्ड को नहीं तोड़ पाया
तेजस्वी यादव और लालू यादव (जागरण फोटो)

HighLights

  • पिछले 15 साल में महागठबंधन को लोकसभा चुनाव में झटका ही लगा है।
  • इस बार उम्मीदवार चुनने में लालू यादव ने फिर से प्रमुख भूमिका निभाई है।

सुनील राज, जागरण, पटना। Bihar Politics News Hindi: बीते डेढ़ दशक में बिहार के लोग तीन लोकसभा चुनाव देख चुके हैं। लेकिन उन चुनावों के नतीजे बताते हैं कि तमाम कोशिशों के बाद भी महागठबंधन, एनडीए को वोट प्रतिशत में पराजित नहीं कर पाया। 2004 के लोकसभा चुनाव में अलबत्ता महागठबंधन (2004 में यूपीए था) के मुकाबले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए वोट प्रतिशत के मामले में थोड़ा पीछे रहा, लेकिन इसके बाद लोकसभा के जो भी चुनाव हुए राजग ने कभी महागठबंधन को आगे बढऩे नहीं दिया।

एक बार फिर लोकसभा चुनाव की रणभूमि तैयार हो गई है और इसके साथ ही लोगों का आकलन और वोटों को लेकर जोड़-घटाव भी शुरू हो गया है। लोगों की चर्चा में विषय है कि महागठबंधन फिर आंकड़ों की बाजीगरी में फंसेगा या फिर राजग को फंसाने में सफल होगा।

सबसे पहले 2004 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस दौरान संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए के घटक दलों में बिहार में कांग्रेस, राजद के साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस, लोजपा और सीपीएम जैसी राजनीतिक पार्टियां शामिल थी। राष्ट्रीय स्तर पर इस गठबंधन में 15 दल थे।

दूसरी ओर एनडीए के घटक दलों में भाजपा, जदयू साथ-साथ थे। 2004 के लोकसभा चुनाव की 40 सीटों पर हुए चुनाव में राजद ने 22, लोजपा ने चार, कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत दर्ज की।

दूसरी ओर राजग के सहयोगी जदयू ने 24 सीटों पर चुनाव लड़कर छह में जीत हासिल की और भाजपा ने 16 लड़कर तीन। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन ने उस 2004 के चुनाव में 45.1 प्रतिशत वोट प्राप्त किए। जबकि दूसरी ओर एनडीए को 36.93 प्रतिशत वोट हासिल हुए।

2009 में क्या रहा था परिणाम

2009 में हुए चुनाव में भाजपा-जदयू फिर साथ-साथ लड़े। तो इन्हें 37.97 प्रतिशत वोट मिले। 2009 के लोकसभा चुनाव में जदयू 25 और भाजपा 15 सीटों पर लड़े थे। परिणाम आए तो भाजपा ने 12 सीटें तो जदयू ने 20 सीटों पर जीत दर्ज की थी। दूसरी ओर राजद और लोजपा मिलकर लड़े। कांग्रेस ने तब अकेले चुनाव लड़ा था। राजद ने 28 सीटों पर लड़कर चार में जीत हासिल की लोजपा जो 12 सीटों पर लड़ी उसका खाता भी नहीं खुला। इन दोनों दलों ने मिलकर 25.86 प्रतिशत वोट हासिल किए। जबकि कांग्रेस को 10.26 प्रतिशत वोट मिले और उसने दो सीटों पर जीत प्राप्त की।

2014 के चुनाव में जेडीयू, एनडीए से बाहर था

2014 के लोकसभा चुनाव में जदयू एनडीए से बाहर था। उसने अकेले चुनाव लड़ा। जदयू ने खुद 38 सीटों पर चुनाव लड़ा जबकि दो सीटें बांका और बेगूसराय उसने सीपीआइ को दी। तब एनडीए में भाजपा, लोजपा और रालोसपा ने मिलकर चुनाव लड़ा। उस चुनाव एनडीए को 38.77 प्रतिशत वोट मिले जबकि महागठबंधन की ओर से राजद, राकांपा और कांग्रेस साथ लड़े तब इनका वोट प्रतिशत था 29.75 प्रतिशत। जदयू को उस दौरान 15.78 प्रतिशत वोट आए थे।

2019 में था यह हाल

2019 के चुनाव में एनडीए के घटक दलों में भाजपा, जदयू के साथ लोजपा शामिल थी। एनडीए ने तब 39 सीटों पर जीत प्राप्त की और उसका वोट प्रतिशत था 53.25 प्रतिशत। दूसरी ओर महागठबंधन में शामिल राजद, कांग्रेस, रालोजपा, हम और वीआइपी ने एक साथ चुनाव लड़ा लेकिन जीत पाए सिर्फ एक सीट।

2019 के चुनाव में महागठबंधन का वोट प्रतिशत 30.61 प्रतिशत रहा। बीते चार चुनावों के परिणाम बताते हैं कि एनडीए वोट के मामले में सिर्फ एक चुनाव छोड़ शेष में महागठबंधन से आगे रहा है। इस चुनाव में एनडीए पुराने इतिहास को दोहराने में सफल होता है या महागठबंधन वोट के आंकड़ों में नया इतिहास रचता है यह तो चुनाव के नतीजे आने पर ही साफ हो पाएगा।

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