जजों की वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ केंद्रीय कानून मंत्री, जानिए क्‍या कहा

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद देश में जजों की वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ हैं। इस संबंध में उन्‍होंने पटना में अपनी बेबाक राय व्‍यक्‍त की। जानिए उन्‍होंने क्‍या कहा।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 26 Feb 2018 09:38 AM (IST) Updated:Mon, 26 Feb 2018 11:53 PM (IST)
जजों की वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ केंद्रीय कानून मंत्री, जानिए क्‍या कहा
जजों की वर्तमान नियुक्ति प्रक्रिया के खिलाफ केंद्रीय कानून मंत्री, जानिए क्‍या कहा

पटना [राज्य ब्यूरो]। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने देश में जजों की नियुक्ति की मौजूदा प्रक्रिया की जमकर मुखालफत की है। उन्होंने कहा कि जब देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी भी चुनी हुई सरकार को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, चुनाव आयोग के मुख्य आयुक्त व अन्य आयुक्तों, सेनाध्यक्ष समेत अन्य संवैधानिक पदों पर नियुक्ति का अधिकार है तो फिर हाइकोर्ट व सुप्रीमकोर्ट के जजों की नियुक्ति का क्यों नहीं?

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने राज्य न्यायाधिकरणों की द्वितीय राष्ट्रीय सम्मलेन के समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि देश में गणतंत्र लागू होने के बाद 1950 से 1993 तक देश के कानून मंत्री को जजों की नियुक्ति का अधिकार था। लेकिन, 1993 में कॉलेजियम सिस्टम लागू कर दिया गया। इसके बाद यह कहा जाने लगा कि सरकार द्वारा नियुक्त जज सरकार का पक्षधर होगा। लेकिन, 1993 के बाद ही देश की न्यायिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार के मामले उजागर हुए।

उन्होंने यह भी कहा कि देश के नागरिकों को हर तरह की सुविधा उपलब्ध कराने का दायित्व यदि किसी चुनी हुई सरकार पर है तो लोगों को समय पर न्याय दिलाना भी सरकार का ही दायित्व होना चाहिए। कानून मंत्री ने भी न्याधिकरणों के कामकाज पर आपत्ति व्यक्त की। कहा, बिहार में कुल 22 न्यायाधिकरण कार्यरत हैं। लेकिन, न्यायाधिकरणों द्वारा जारी आदेश का हाइकोर्ट में चुनौती दी जाती है। जबकि, न्यायाधिकरणों का गठन ही इस उद्देश्य से किया गया था कि इससे कोर्ट में मुकदमों की संख्या में कमी आएगी। यानी न्यायाधिकरणों के गठन का उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है।

इससे पहले ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि विधानमंडल, कार्यपालिका और न्यायपालिका ठीक ब्रह्मा, विष्णु और महेश की तरह हैं। यदि एक का काम सृष्टि करना है तो दूसरे का काम पालन करना और तीसरे का काम न्याय करना है। लेकिन, हाल के वर्षों में इन तीनों के बीच तालमेल नहीं दिख रहा है। तीनों एक-दूसरे पर दोषारोपण कर रहे हैं। यह ठीक नहीं है।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंत्री ने कहा कि न्यायाधिकरणों को अपनी भूमिका निभानी होगी। तभी अदालतों में मुकदमों की संख्या कम हो सकती है।

chat bot
आपका साथी