Bihar Chunav 2020: बदल रही बिहार की राजनीति, युवा जाति नहीं अपने हित को लेकर दिख रहे मुखर

युवा हित की बात करते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि जाति खत्म हो गई और उसके आधार पर वोट नहीं पड़ता। जाति है उसके आधार पर वोट भी गिर रहा लेकिन पूछने पर कोई युवा जाति के आधार पर किसी को वोट देने की बात नहीं कहता।

By Prateek KumarEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 06:11 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 06:11 PM (IST)
Bihar Chunav 2020: बदल रही बिहार की राजनीति, युवा जाति नहीं अपने हित को लेकर दिख रहे मुखर
वोटिग के बाद खुशी जाहिर करते हुए युवा।

पटना, राज्य ब्यूरो। चुनाव में जाति का अपना महत्व है लेकिन बिहार के युवा जाति में बंधे नहीं दिखना चाहते। वह विकास की बात करते हैं। अपने हित की बात करते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि जाति खत्म हो गई है और उसके आधार पर वोट नहीं पड़ता। जाति है, उसके आधार पर वोट भी गिर रहा, लेकिन पूछने पर कोई युवा जाति के आधार पर किसी को वोट देने की बात नहीं कहता। युवा अपने लिए अपने मुद्दे खुद तय कर रहा। इसमें सभी जाति के युवा है।

चुनाव के मौसम में एक साथ सभी जाति के युवा

पटना जिले के पालीगंज विधानसभा क्षेत्र में दो जगहों पर बड़ी संख्या में युवाओं के समूह से बात हुई। बात के क्रम में यह स्वाभाविक था कि युवाओं से यह जाना जाए कि जिस तरह से वे बातें कर रहे हैं, उसे ध्यान में रख उनकी जाति की बात पूछी जाए। पूछने पर यह मालूम हुआ कि उन युवाओं में यादव, दलित और अति पिछड़ा सभी है। सब एक जगह जुटे थे और चुनाव पर बात कर रहे थे। उनके लिए जाति से अधिक महत्व अपने रोजगार पर था।

परदेस से लौटे हैैं युवक

दो-तीन युवकों ने कहा कि हम मार्च में ही परदेस से लौटे हैैं। उनके लिए परदेस दिल्ली, मुंबई और मुंबई है। होली में आए थे और जब लौटने की तैयारी कर रहे थे कि कोरोना आ गया। बोले यहां काम नहीं मिल रहा। राज मिस्त्री का काम जानते हैैं। जाति से क्या मतलब है। जो काम और शांति देगा उसी के साथ हैैं। सभी ने सीधे-सीधे इस मुद्दे पर अपनी बात का समर्थन किया। युवाओं में यह है कि जो उनकी बात करेगा, वह उनके साथ हैैं। बातचीत में उनकी सोच साफ और स्पष्ट समझ में आ रही थी।

उम्रदराज लोग भी जाति से हटकर कर रहे बात

मसौढ़ी के ही एक सुदूर इलाके में कुछ अधेड़ लोगों से बात हुई। यहां भी जाति का फैक्टर ध्वस्त होता हुआ दिखा। लोगों ने कहा कि अब समझ गए हैं लोग। जाति की पार्टी भोजन नहीं देता है न? विधि-व्यवस्था की बात करते हुए वे किसी पर आरोप भी नहीं मढ़ते। सीधे-सीधे कहते हैैं- रात बारह बजे भी हम घर लौट रहे हैैं। यह इस इलाके लिए बहुत बड़ी चीज है। जो भी रहेगा उसे इस बात पर तो तत्पर रहना ही होगा। देर शाम तक दुकान चल रही यही चाहते हैैं हम।

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