Kaimoor Accident News: कुदरा में अंडरपास नहीं बनने से दुर्घटनाओं का दौर जारी

कैमूर जिले की मुख्‍य सड़क या रेलमार्ग में अंडरपास नहीं होने से आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती हैं। कई बार लोगों ने यहां अंडरपास निर्माण की मांग की। लेकिन न जनप्रतिन‍िधि और न ही प्रशासन ने इस ओर ध्‍यान दिया।

By Bihar News NetworkEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 08:23 PM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 08:23 PM (IST)
Kaimoor Accident News: कुदरा में अंडरपास नहीं बनने से दुर्घटनाओं का दौर जारी
कैमूर के कुदरा में अंडरपास नहीं, दुर्घटनाओं का दौर जारी

संवाद सूत्र, कुदरा (कैमूर): कुदरा के लोगों की खुशकिस्मती के पर्याय माने जाने वाले देश के प्रमुख सड़क व रेल मार्ग अंडरपास के अभाव में अब यहां के अनेक परिवारों की तबाही के कारण बन रहे हैं। अंडरपास के अभाव में सड़क व रेल लाइन को पार करते वक्त आए दिन यहां लोग दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं। उनके हताहत होने के चलते कुदरा प्रखंड मुख्यालय व आसपास के गांवों के अनगिनत परिवारों की ङ्क्षजदगियां तबाह हो चुकी हैं। दुर्घटनाओं का सिलसिला साल दर साल  जारी रहने के बावजूद सरकार और उसके नुमाइंदे मौन साधे हुए हैं।

 बताते चलें कि एक दिन पहले कुदरा और लालापुर बाजार के बीच रेल लाइन पार करते वक्त कुदरा प्रखंड मुख्यालय के जहानाबाद के निवासी टुनटुन खरवार की पुत्री ट्रेन की चपेट में आकर बुरी तरह घायल हो गई थी। वह अब वाराणसी में अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रही है। उसी स्थान पर कुछ समय पहले जहानाबाद के ही

स्वर्गीय अशोक साह की पुत्री ट्रेन की चपेट में आने से अपंग हो गई, जबकि अंचल के पुरैनी गांव के वीरेंद्र ङ्क्षसह की पत्नी जीवन से हाथ धो बैठी।

जहानाबाद के पंचायत समिति सदस्य जितेंद्र कुमार उर्फ पियन पासवान कहते हैं कि कुदरा में सड़क व रेल मार्गों पर होने वाली दुर्घटनाओं में अब तक हताहत  होनेवालों की सूची तैयार की जाए तो कागज के पन्ने कम पड़ जाएंगे। स्वयं उनके पिता की मौत भी यहां सड़क दुर्घटना में ही हुई थी। स्थानीय लोगों की मानें तो जनहित के मुद्दों को लेकर स्थानीय जनप्रतिनिधियों के मौन साधे रहने के चलते यहां समस्या ज्यादा जटिल हुई है। उनकी संवेदनहीनता के चलते

आमजन को सड़क व रेल मार्ग पर जीवन की सुरक्षा की ²ष्टि से सुविधाएं मिलने की बात तो दूर जो सुविधाएं पहले से मौजूद थीं, वह भी छिन गईं। जानकार लोगों  के मुताबिक पिछले दशकों में कुदरा से होकर गुजरने वाले जीटी रोड व दिल्ली  हावड़ा रेल लाइन के विस्तारीकरण के लिए काफी कार्य हुए हैं, लेकिन उन कार्यों के क्रियान्वयन से जुड़े अधिकारी स्थानीय न होने के चलते यहां के लोगों की जरूरतों व समस्याओं से वाकिफ नहीं थे। स्थानीय जनप्रतिनिधि उन तक जनता की जरूरतों व ङ्क्षचताओं की बातें पहुंचा सकते थे, लेकिन उन्होंने इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई। नतीजतन सड़क व रेल मार्गों के विस्तारीकरण से जुड़े अधिकारी स्थानीय जनता की सुविधाओं का  खयाल रखे बिना जैसे तैसे अपना काम करके चले गए। पुराने लोग बताते हैं कि कुदरा प्रखंड मुख्यालय में इन दिनों रेलवे स्टेशन के पश्चिमी केबिन के पास जहां सबसे अधिक दुर्घटनाएं घटती हैं वहां अंग्रेजों के समय में अंडरपास हुआ करता था। समय के आगे बढऩे के साथ उसका विकास नहीं किया गया तथा वह आखिरकार अनुपयोगी होकर जमींदोज हो गया। उसकी जगह पर रेल प्रशासन के द्वारा लोगों को रेल लाइन पार करने के लिए लालापुर क्रॉङ्क्षसग बनवाया गया, लेकिन पिछले वर्षों में रेलवे की नीति के तहत उस सुविधा को भी समाप्त कर दिया गया। विकल्प के रूप में सरकार के द्वारा जो आरओबी बनाया गया उसकी लंबाई व ऊंचाई अधिक होने के चलते पैदल चलने वाले लोग उसका इस्तेमाल नहीं करते। नतीजतन कुदरा और लालापुर बाजार के बीच प्रतिदिन हजारों लोगों का जीवन को खतरे में डालकर रेल लाइन पार करना अभी भी जारी है। यही स्थिति वर्तमान के समय में राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो के नाम से जाने जाने वाले ऐतिहासिक जीटी रोड की भी है। पुराने जमाने से चले आ रहे उसके दो लेन को बढ़ाकर पहले चार लेन और बाद में छह लेन किया गया, लेकिन सकरी मोड़ जैसे उन स्थानों पर अंडरपास नहीं बनाया गया, जहां आम ग्रामीणों के अलावा बड़ी संख्या में विद्यालयों व महाविद्यालयों के छात्र छात्राओं का आना जाना लगा रहता है। जिन जगहों पर अंडरपास बनाने की कवायद शुरू भी की गई वहां वह काम अभी भी अधर में ही है।

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