इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक तड़पे मरीज, हड़ताल पर जमे रहे जूनियर डॉक्टर

जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी राजधानी के मेडिकल कॉलेजों में मरीजों का इलाज बुरी तरह प्रभावित रहा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 09 Apr 2019 07:28 PM (IST) Updated:Tue, 09 Apr 2019 07:28 PM (IST)
इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक तड़पे मरीज, हड़ताल पर जमे रहे जूनियर डॉक्टर
इमरजेंसी से लेकर वार्ड तक तड़पे मरीज, हड़ताल पर जमे रहे जूनियर डॉक्टर

पटना । जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को भी राजधानी के मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा व्यवस्था बुरी तरह प्रभावित रही। इमरजेंसी, आइसीसीयू, आइसीयू से लेकर वार्ड तक में मरीज बेहाल रहे पर हड़ताली डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। पीएमसीएच के ओपीडी में तो मरीजों का इलाज किसी तरह हुआ, इमरजेंसी बुरी तरह प्रभावित हुई। यहां से मरीजों का पलायन होता रहा। दलालों की चांदी रही। वहीं नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) मे रजिस्ट्रेशन काउंटर बंद रहने के कारण ओपीडी में सन्नाटा पसरा रहा। एनएमसीएच में जूनियर डॉक्टर रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास पंडाल के नीचे कुर्सी पर बैठे आंदोलन करते रहे। मरीजों की कराह और उनके परिजनों की परेशानी से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। एनएमसीएच में सुबह 11:00 बजे के करीब मरीजों के परिजनों का धैर्य जवाब दे गया और उन्होंने अस्पताल का मुख्य द्वार बंद कर बाहर सड़क जाम कर दी। सरकार और व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी की।

पीएमसीएच के ओपीडी में 2100 मरीजों का इलाज हुआ। यहां लगभग सामान्य दिनों की तरह ही इलाज चला। हड़ताल से इमरजेंसी बुरी तरह से प्रभावित थी। इमरजेंसी में डॉक्टर बैठे रहे और मरीजों का पलायन होता रहा। देखते-देखते इमरजेंसी के एक-तिहाई बेड खाली हो गए। यूं तो अस्पताल प्रशासन अस्पताल में डॉक्टरों के होने की दावा करता रहा लेकिन अधिकांश अपने चैंबर में नहीं दिखे। जो आए भी वे मरीजों को देखने नहीं गए। मरीजों के परिजन चिल्लाते रहे लेकिन डॉक्टर अस्पताल में हड़ताल होने का बहाना बनाकर निजी अस्पतालों में जाने की सलाह देते रहे। अ

मंगलवार को पीएमसीएच इमरजेंसी में 390 मरीजों को भर्ती किया गया। हालांकि, इलाज नहीं होने के कारण शाम तक करीब 100 मरीज निजी अस्पतालों को पलायन कर गए। अस्पताल में मंगलवार को 16 मेजर एवं 13 माइनर ऑपरेशन हुए। 13 ऑपरेशन टालने पड़े। कुल छह मरीजों की मौत हो गई।

पीएमसीएच इमरजेंसी में आरा से आए डब्ल्यू को पूर्वाह्न 11:00 बजे भर्ती कराया गया। उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। भर्ती होने के बाद एक बार डॉक्टर ने मरीज को देखा। उसके बाद फिर कोई देखने नहीं आया, तो परिजन दोपहर दो बजे के करीब निजी क्लीनिक लेकर चले गए। उनका कहना था कि जब कोई यहां देखने वाला ही नहीं है तो यहां रखने से क्या लाभ। वहीं इमरजेंसी में भर्ती अजीत कुमार की पत्‍‌नी रूपा ने बताया कि पति के सिर में काफी चोट है। मारपीट में बुरी तरह से घायल हो गए हैं। लेकिन सुबह से कोई डॉक्टर देखने नहीं आया है। आर्थिक स्थिति के कारण निजी क्लीनिक में नहीं ले जा सकते हैं, इसलिए पीएमसीएच में पड़े हैं। वहीं नालंदा से आए कुलदीप सीढ़ी से गिरकर घायल हो गए थे। उन्हें भी इमरजेंसी में भर्ती किया गया है। हालांकि सुबह से कोई डॉक्टर देखने नहीं आया। महनार से आए समरजीत के पेट का ऑपरेशन हुआ है लेकिन उसे भी किसी डॉक्टर ने नहीं देखा। उसकी तबीयत लगातार खराब होती जा रही थी। इससे परिजन काफी परेशान दिखे, लेकिन डॉक्टरों के कान पर जूं नहीं रेंगी। कौशल्या देवी पिछले पांच दिनों से भर्ती हैं, उनकी भी तबीयत बिगड़ रही है, परंतु डॉक्टर इलाज को आगे नहीं बढ़ रहे हैं।

: हड़ताल से दलालों की चांदी :

पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से निजी अस्पताल के दलालों की चांदी हो गई है। राज्य के कोने-कोने से बीमार लोग पीएमसीएच पहुंच रहे थे, लेकिन यहां पर सही इलाज नहीं होने के कारण जैसे ही कोई मरीज इमरजेंसी के गेट से बाहर निकलता था, दलाल मरीज और परिजनों को चारों तरफ से घेर रहे थे। मरीजों को अपनी-अपनी एंबुलेंस में बैठाकर ले जा रहे थे।

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