छत्तीसगढ़ में नक्‍सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुआ बिहार का लाल, घर पहुंचा शव

छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में नक्‍सलियों के साथ मुठभेड़ में बिहार के बेगूसराय जिले का लाल शहीद हो गया। जवान का शव शुक्रवार को गांव लाया गया।

By Ravi RanjanEdited By: Publish:Thu, 08 Mar 2018 04:12 PM (IST) Updated:Fri, 09 Mar 2018 11:43 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में नक्‍सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुआ बिहार का लाल, घर पहुंचा शव
छत्तीसगढ़ में नक्‍सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुआ बिहार का लाल, घर पहुंचा शव

बेगूसराय [जेएनएन]। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के संवेदनशील नक्सल प्रभावित रावघाट में बुधवार को बिहार के बेगूसराय जिले के मंझौल पंचायत-एक निवासी उमेश सिंह का पुत्र सीमा सुरक्षा बल का आरक्षी अमरेश कुमार नक्सलियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए। बुधवार की रात इसकी जानकारी परिवारवालों को मिलते ही मानों उनपर पहाड़ टूट पड़ा। परिवार में चहुंओर कोहराम मच गया। शुक्रवार को शहीद का शव घर पहुंचा। शव घर पहुंचते ही पूरा माहौल गमगीन हो गया।

शहीद के घर ढढ़स बंधाने वालों का लगा है तांता

गुरुवार को अमरेश की शहादत की जानकारी जैसे-जैसे गांव वालों को मिलती गई पड़ोसियों व शुभचिंतकों का सांत्वना देने के लिए तांता लगा रहा। परिजनों से मिली जानकारी के अनुसार अमरेश कुमार सीमा सुरक्षा बल 134 बटालियन के आरक्षी पद पर कार्यरत थे।

बताया गया कि छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में रावघाट से सीमा सुरक्षा बल 134 बटालियन से एक पार्टी असिस्टेंट कमांडेंट के साथ सर्चिंग के लिए निकली थी। इसी बीच पहले से घात लगाए नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जिसमें जवान अमरेश कुमार शहीद हो गए। छत्तीसगढ़ से दूरभाष पर शहीद के परिवार को बताया गया कि शुक्रवार को शहीद का शव मंझौल पहुंच जाने की संभावना है।

माता-पिता का है रो-रो कर है बुरा हाल

इधर खबर सुनकर शहीद की मां का रो रोकर बुरा हाल है। वह विलाप करते हुए कहती है कि देश को तुमने शरीयत दिया, परंतु दूध का शरीयत नहीं दिया, देश का तिरंगा लेकर आया परंतु, माता को कफन नहीं दिया। देश के लिए लड़ते-लड़ते कुर्बानी दी किन्तु माता पिता के लिए कुछ नहीं कर सके। इतना बोलकर शहीद अमरेश की मां मंजू देवी फूट फूटकर रोने लगती है और अचेत हो जाती हैं।

फिर वहां मौजूद लोग उसे ढ़ाढस बंधाने का प्रयास करते रहे। इस कारूणिक दृश्‍य को देख वहां मौजूद महिला व पुरुषों की भी आंखे नम हो गई। पिता इस पुत्र शोक से कुछ बोल नहीं पा रहे हैं। वे सिर्फ यही कह पाए कि पुत्र पिता को कंधा देता है यहां पिता ही पुत्र को कंधा देने को विवश हुए हैं। संपूर्ण इलाके में अमरेश की शहादत की चर्चा हो रही है।

शहीद अमरेश की पारिवारिक स्थिति

नक्सली मुठभेड़ में शहीद हुए अमरेश कुमार परिवार का एक मात्र कमाउ सदस्य था। उमेश सिंह मध्यम वर्गीय परिवार से हैं। पिता उमेश सिंह तीस वर्षों से हॉकर का कार्य मंझौल में कर रहे हैं। सीमा सुरक्षा बल में 2012 में नौकरी लग जाने के बाद भी अखबार बेचने का कार्य करते रहे।

मुठभेड़ में हुए शहीद

जानकारी के मुताबिक, छत्‍तीसगढ़ के कांकेर में बीएसएफ जवानों और नक्सलियों के बीच भारी मुठभेड़ हुई थी, इस घटना में बीएसएफ के एक अधिकारी और एक जवान के शहीद हो गए। मुठभेड़ के दौरान आईईडी ब्लास्ट हो गया, जिसमें असिस्टेंड कमांडर जितेंद्र और जवान अमरेश कुमार शहीद हो गये। असिस्टेंड कमांडर जितेंद्र हरियाणा और अमरेश कुमार बिहार के बेगूसराय के रहने वाले हैं।

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