यह बस स्‍टैंड नहीं, पटना एयरपोर्ट है जनाब, नजारा देख हैरान हो जाएंगे आप

पटना एयरपोर्ट पर यात्री सुविधाओं का हाल बेहाल है। सुरक्षा जांच के नाम पर लंबी कतारें लगती हैं। बेहतर प्रबंधन से सुधर सकने वाली चीजें भी नहीं सुधर रहीं। आप भी जानिए।

By Amit AlokEdited By: Publish:Mon, 04 Dec 2017 05:00 PM (IST) Updated:Tue, 05 Dec 2017 07:51 PM (IST)
यह बस स्‍टैंड नहीं, पटना एयरपोर्ट है जनाब, नजारा देख हैरान हो जाएंगे आप
यह बस स्‍टैंड नहीं, पटना एयरपोर्ट है जनाब, नजारा देख हैरान हो जाएंगे आप

पटना [चंद्रशेखर]। नवंबर के दूसरे सप्ताह में पटना एयरपोर्ट के फर्श पर लेटे यात्रियों की तस्वीरों ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। दावे किए गए थे कि यात्रियों को भविष्य में ऐसी दिक्कतें नहीं होंगी, लेकिन जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट की तस्वीर आज भी जस की तस है।

सुरक्षा जांच के नाम पर यात्रियों की लंबी लाइन लगती है। सर्द मौसम में भी पसीना आने तक यात्रियों के धैर्य की परीक्षा ली जाती है। एक यात्री को सिक्योरिटी चेक कराने में 30 से 50 मिनट का समय लगता है। फ्लाइट लेट होती हैं। यात्री परेशान होते हैं। बावजूद इसके न एयरपोर्ट अथॉरिटी, न सुरक्षा संभालने वाले सीआइएसएफ के पदाधिकारी जिम्मेवारी लेने को तैयार होते हैं। जो चीजें महज बेहतर प्रबंधन से सुधर सकती है, उसके लिए जगह कम होने की दुहाई दी जाती है।


प्रतिदिन आठ हजार यात्री करते हैं सफर

पटना एयरपोर्ट से प्रतिदिन 8000 यात्रियों का आना-जाना होता है। इतने यात्रियों के लिए मात्र दो ही लगेज स्कैनर लगाए गए हैं। एयरपोर्ट प्रबंधन की ओर से यात्रियों की सुरक्षा जांच के लिए महिलाओं के लिए एक और पुरुषों के लिए दो फ्रिस्किंग बूथ खोले गए हैं। जांच के लिए एक यात्री को औसतन 32 सेकंड का समय लगना चाहिए था, लेकिन अव्यवस्था के कारण यह समय काफी बढ़ जाता है।

कोहरे के कारण सुबह की उड़ानें हुईं रिशिड्यूल
कोहरे के कारण सुबह में उड़ान भरने वाले सभी विमानों को रिशिड्यूल कर दिन अथवा शाम में किया गया है। इसके कारण दोपहर से लेकर देर शाम तक फ्लाइट का बंच बनने लगा है। दोपहर से देर रात तक हमेशा एयरपोर्ट पर तीन से चार विमान खड़े रहते हैं। इन फ्लाइट के यात्रियों की एक साथ मौजूदगी एयरपोर्ट पर भीड़ बढ़ाती है। मात्र दो लगेज स्कैनर होने के कारण यात्रियों को सुरक्षा जांच कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है।

विमानों और यात्रियों की संख्या के अनुसार नहीं बढ़े जवान
पांच साल पहले पटना एयरपोर्ट से मात्र 16 से 18 विमान उड़ान भरते थे। उस वक्त सीआइएसएफ के 190 जवानों और अधिकारियों को तैनात किया गया था। पिछले पांच वर्षों मेें विमानों की संख्या दोगुनी हो गई, यात्रियों की संख्या तिगुनी हो गई लेकिन सीआइएसएफ की संख्या में आज तक वृद्धि नहीं की गई है। 250 से 300 यात्री प्रति घंटे के हिसाब से एयरपोर्ट पर आते थे। आज इनकी संख्या 800 तक पहुंच गई है।

एयरपोर्ट निर्माण के समय इसकी क्षमता सालाना पांच लाख यात्रियों की थी। अब यात्रियों की संख्या 30 लाख के पार हो चुकी है। पहले जहां साल भर में 3000 से 3500 उड़ानें थीं, अब यह संख्या 22 हजार से पार हो चुकी है।

इसलिए लगती हैं कतारें
1. पटना एयरपोर्ट से प्रतिदिन 8000 से अधिक यात्री उड़ान भरते हैं। इनकी सिक्योरिटी जांच के लिए पहले की तरह आज भी दो ही लगेज स्कैनर लगाए गए हैं।
2. फ्रिस्किंग बूथ नाम के पांच हैं।  सीआइएसएफ जवानों की कमी के कारण तीन ही बूथ चलाए जाते हैं।
3.एयरपोर्ट के प्रवेश द्वार पर दो ही जवानों की ड्यूटी लगाई गई है। एक महिला और एक पुरुष जवान को टर्मिनल भवन के अंदर जाने वाले यात्रियों के टिकट और सामान की जांच करनी है।
कैसे सुधरेगी स्थिति
- पटना एयरपोर्ट पर दो के बजाय छह लगेज स्कैनर लगाने होंगे। 
- विजिबिलिटी 1200 मीटर से कम कर 300 मीटर तक रहने पर विमानों की हो लैंडिंग।
- तत्काल रडार सिस्टम इंस्टाल करने की आवश्यकता है। देश के सारे एयरपोर्ट पर रडार लगाए जा चुके हैं।
- रन वे की लंबाई बढ़ाकर 6800 से 8000 मीटर करना होगा।
- विमानों का पार्किंग स्टैंड चार से बढ़ाकर कम से कम छह करना होगा।
- यात्रियों के बैठने के लिए पर्याप्त संख्या में कुर्सी लगाने की आवश्यकता है।



एयरपोर्ट निदेशक ने माना, व्‍यवस्‍था में है कमी

पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट के निदेशक राजेन्द्र सिंह लाहोरिया ने कहा एयरपोर्ट पर फ्लाइट की संख्या बढ़कर दोगुनी हो गई है। सुरक्षाकर्मियों की संख्या एक ही लगेज स्कैनर की है। संख्या बढ़ाने के लिए बार-बार लिखा जा रहा है। जवानों की कमी के बावजूद दो-दो स्कैनर से सुरक्षा जांच काफी तेजी से होती है। तीसरा स्कैनर भी तैयार है।

उन्‍होंने कहा कि सुरक्षाकर्मियों की संख्या बढ़ते ही तीसरा भी काम करने लगेगा। अभी जगह की कमी से भी थोड़ी परेशानी हो रही है। प्रबंधन की कोशिश है कि जितनी फ्लाइट हैं, उनका परिचालन सही तरीके से हो और यात्रियों को परेशानी न हो।

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