Sadhvi Padmavati: बेटी पद्मावती की तबीयत खराब सुन पिता की आंखों से छलके आंसू, गुरु पर बरसे

हरिद्वार के मातृ सदन में अनशन पर बैठी साध्वी पद्मावती की तबीयत बिगड़ने की खबर सुन बिहार के नालंदा में रह रहे उनके पिता के आंसू छलक पड़े। वे बरबस बेटी के गुरु पर ही फट पड़े।

By Rajesh ThakurEdited By: Publish:Tue, 18 Feb 2020 05:49 PM (IST) Updated:Tue, 18 Feb 2020 05:49 PM (IST)
Sadhvi Padmavati: बेटी पद्मावती की तबीयत खराब सुन पिता की आंखों से छलके आंसू, गुरु पर बरसे
Sadhvi Padmavati: बेटी पद्मावती की तबीयत खराब सुन पिता की आंखों से छलके आंसू, गुरु पर बरसे

नालंदा, प्रशांत सिंह। Information about the bad health of daughter Padmavati Tears spilled from the eyes of father at Nalanda in Bihar: गंगा की अविरलता के लिए बीते 15 दिसंबर से हरिद्वार के मातृ सदन में अनशन पर बैठी साध्वी पद्मावती की सोमवार को हालत अचानक बिगड़ गई। जैसे ही यह खबर उनके पिता संत कुमार को मिली, उनका वात्सल्य छलक आया। वे बरबस बेटी के गुरु पर ही फट पड़े।

कहा, संन्यास के बाद बेटी ने परिवार को त्याग दिया है, अब उसके सबकुछ मातृ सदन के गुरु शिवानंद जी ही हैं। उन्हीं से आदेश लेकर वह 62 दिनों से आमरण अनशन कर रही थी। उद्देश्य नि:संदेह महान है, गंगा की अविरलता के लिए बांधों का निर्माण रुकना ही चाहिए, परंतु कोई गुरु शिष्या से ऐसे भी अनशन कराता है कि उसकी जान पर बन आए? पिता संत कुमार ने मंगलवार को भी फोन कर बेटी की तबीयत की जानकारी ली। 

जाऊंगा देखने तो बेटी को दुख होगा

जब जागरण ने बताया कि घबराएं नहीं, उनका अनशन तोड़वा दिया गया है और इलाज के लिए दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया है, तो उन्होंने राहत की सांस ली। पूछा गया कि क्या वे बेटी को देखने एम्स जाएंगे तो कहा कि उसने ऐसा करने से मना कर रखा है। वह वहां जाकर बेटी का दिल नहीं दुखाना चाहते। उनके गांव नालंदा जिले के सरमेरा प्रखंड के मलावां गांव के एक व्यक्ति एम्स में हैं, उनसे ही हाल-चाल लेता रहूंगा।     

नीतीश की तरह सत्ता वाले अन्य लोग भी संवेदनशील होते 

गंगा की अविरलता के साथ साध्वी पद्मावती के जीवन की लगातार फिक्र कर रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति संत कुमार ने आभार जताया। उन्‍होंने कहा कि काश केंद्र और उत्तराखंड की सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोग भी संवेदनशील होते। जिस तरह उन्होंने पिछले दिनों नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र और बिहार के जल संसाधन मंत्री संजय झा को दूत बनाकर हरिद्वार भेजा था और गंगा सत्याग्रह के प्रति अपना समर्थन जताते हुए साध्वी से अनशन तोडऩे की अपील की थी, अन्य सत्ताधीश भी ऐसा करते तो यह नौबत नहीं आती। 


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